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बीजेपी, शिवसेना या फिर तीसरा विकल्प, जो भी सरकार बने, जिम्मेदार बने

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हरियाणा में सरकार तो बन गई, लेकिन महाराष्ट्र में सरकार बनने में पेंच फंसा हुआ है, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी तो जरूर है लेकिन जनादेश और सीट दोनों कम होने की वजह से उनकी सहयोगी दल शिवसेना बीजेपी को आंख तरेर रही है। पांच साल सरकार में रहने के बावजूद शिवसेना सत्ता की मजबूरी में चुनाव से पहले गठबंधन की लेकिन जैसे ही नतीजे आये वैसे ही शिवसेना तोलमोल करने लगी।

पहले से ही शिवसेना महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी करती आई है अब दिवाली के अगले ही दिन महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान शुरू हो गई है। सुबह से ही शिवसेना और बीजेपी ने नेताओं की गवर्नर हाउस की दौड़ शुरू हो गई। पहले शिवसेना के दिवाकर राउते गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी से मिलने पहुंते तो उनके तुरंत बाद ही सीएम देवेंद्र फडणवीस भी गवर्नर के दरबार में पहुंचे। दोनों ही दलों ने इस मुलाकात को दीपावली के मौके पर औपचारिक मुलाकात बताया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस दौरान दोनों ने ही अनौपचारिक तौर पर सरकार गठन को लेकर गवर्नर से बात की।

शनिवार को शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से फिफ्टी फिफ्टी फॉर्म्युले को लेकर लिखित आश्वासन मांगा था। इस फॉर्म्युले में दोनों पार्टियों के बीच मुख्यमंत्री पद का भी ढाई-ढाई साल के लिए बंटवारा शामिल है। वही बीजेपी शिवसेना को उपमुख्यमंत्री देने के लिए राजी तो है लेकिन सरकार आधा आधा बाटने पर राजी नही है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 2014 के मुकाबले बीजेपी को कम सीटें मिलने के बाद से ही शिवसेना अब सीएम पद पर ढाई-ढाई साल की बात कर रही है। हालांकि बीजेपी का कहना है कि वह 105 सीटें लाने के बाद भी शिवसेना से सीएम पद साझा नहीं कर सकती। राज्यपाल से मुलाकात कर मुख्यमंत्री राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति से गवर्नर को अवगत कराया तो वही शिवसेना की ओर से राउते भी गवर्नर को अपनी पार्टी के रुख और विधायक दल की बैठक में लिए गए फैसले से अवगत कराया।

चुनाव परिणामों से पहले माना जा रहा था कि बीजेपी अपने दम पर ही बहुमत के लिए जरूरी 145 सीटें ले आएगी और उसे शिवसेना के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। हालांकि चुनाव के बाद जो स्थिति बनी उससे अब साफ है कि बीजेपी अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती और उसे शिवसेना, एनसीपी या कांग्रेस का सहारा चाहिए होगा। माना यही जा रहा है कि बीजेपी विधायक दल 30 तारीख को देवेंद्र फडणवीस को अपना नेता चुन लेगी और फिर वही होगा तो साल 2014 में हुआ था।2014 में भी बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं था, उस वक्त राज्यपाल विद्यासागर राव ने फडणवीस को एनसीपी के सपोर्ट से सरकार गठन का न्योता दिया था। राज्यपाल ने फडणवीस को बहुमत साबित करने के लिए एक महीने का समय दिया और इस बार भी वही होगा ऐसा बताया जा रहा है।

कहते है कि सत्ता एक ऐसा नशा है जिसे पाने के लिए साम दाम दंड भेद इस्तेमाल कर सत्ता को हासिल करने में लोग जुट जाते है, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ये तीनों मिलकर सरकार बनाने को लेकर अन्य विकल्प बन सकता है, बहरहाल सरकार किसी की भी बने लेकिन जिम्मेदार सरकार बने ताकि समाज और महाराष्ट्र का चौतरफा विकास होता रहे।