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तो क्या मंदी और बेरोजगारी की वजह से “हारी” बीजेपी?

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चाहे महाराष्ट्र हो या फिर हरियाणा, चुनावी नतीजों ने हर एक पार्टी को चौंका दिया है, ना बीजेपी को इल्म था कि उनका हरियाणा और महाराष्ट्र में इतना बुरा परफॉर्मेंस रहेगा, ना ही कांग्रेस एनसीपी को इस बात का अंदाजा था कि उनकी पार्टी बीजेपी के विजय रथ को इन आंकड़ों पर ही रोक देंगे। बीजेपी के नेता चुनाव से पहले इतने बड़बोले हो गए थे कि हरियाणा के 90 सीटों में से बीजेपी को 75 दिला रहे थे वही महाराष्ट्र में 288 सीटों में से 250 दिला रहे थे, अपनी जीत को लेकर बीजेपी के नेता इतना अस्वस्थ थे कि चुनावी परिणाम देख मीडिया के सामने उन्हें कोई जवाब नही सूझ रहा है। महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम बीजेपी के लिए कुछ उत्साह जनक नहीं हैं, जहां बीजेपी साल 2014 में अकेले लड़ 122 लेकर आई थी जो कि अब 100 के आसपास है। वहीं हरियाणा में तो उसे सरकार बचना मुश्किल हो रहा है। भले ही जुगाड़ कर हरियाणा में सरकार बन जाये, भले ही महाराष्ट्र में भी बीजेपी शिवसेना मिलकर बहुमत का आंकड़ा पा लिए है लेकिन बीजेपी और शिवसेना के लिए ये नतीजे जरूर निराशाजनक है।
शिवसेना को लेकर बीजेपी के साथ भले चुनावी गठबंधन हो गया लेकिन इस गठबंधन के पीछे दोनों ही पार्टियां जिस तरह से चूहा बिल्ली का खेल खेलें उसे देख ऐसा लग रहा है कि अब फिर से दोनों ही पार्टियां सीएम पद के लिए लड़ेंगी, जिसकी शुरवात सुनील शिंदे के बयान के बाद हो चुकी है, सुनील शिंदे वही शिवसेना के नेता है जिन्होंने अपनी सीट आदित्य के लिए छोड़ दी है। उद्धव पहले ही कह चुके है कि शिवसेना का सीएम होगा, अब जब बीजेपी के सीटों का ग्राफ गिरा है ऐसे में बीजेपी के लिए आगे मुश्किल जरूर है। वही हरियाणा में भी किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नही मिला है। हरियाणा में जेजेपी और निर्दलीय लोगों के हाथ मे सत्ता की कुंजी है और रही बात महाराष्ट्र की तो यहां शिवसेना बीजेपी के बीच सीएम पद को लेकर घमासान हो सकता है जिसके संकेत अभी से मिलने शुरू हो गए है।
महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी दल आरपीआई के अध्यक्ष रामदास अठावले ने कहा कि मंदी और बेरोजगारी ने नरेंद्र मोदी को चुनाव हराया है वही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजों से बेहद खुश हूं, उन्होंने कहा कि हमारा संगठन मजबूत हुआ है और पार्टी में आज आए नतीजों को लेकर उत्साह है। पूरी कांग्रेस पार्टी खुश है वही बीजेपी तो खुश होकर भी नाखुश है। बीजेपी के लिए अब वक्त है मंथन का कि सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी महाराष्ट्र और हरियाणा में आसानी और अपने दम पर सरकार क्यों नही बना पाए रही है। पंकजा मुंडे, राम शिंदे जैसे मंत्री जिनकी पार्टी में पैठ थी वो तक भी अपनी सीट नही बचा पाए तो वही हाल हरियाणा में रहा।
इस बार महाराष्ट्र की जनता से इस तरह से वोट दिए हैं कि सभी दलों के पास सरकार बनाने के विकल्प खुले दिख रहे हैं, वही सीएम पद पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि वह इन मुद्दों पर मिलकर बात करेंगे, यह गठबंधन मोल-भाव वाले पक्ष पर नहीं बना है, हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना बीजेपी दोस्त हैं। बहरहाल हालात कुछ भी बने, कोई भी फार्मूला चले लेकिन हरियाणा में बीजेपी के लिए थोड़ी राह आसान तो महाराष्ट्र में मुश्किल है क्योंकि 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में अब तक आए रिजल्ट में कांग्रेस एनसीपी 108 सीटों पर या तो जीत चुके हैं या बढ़त बनाए हुए हैं, ऐसे में एक विकल्प है कि शिवसेना अपनी शर्त पर एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ले, इसी स्थिति को देखते हुए शिवसेना बीजेपी के सामने अपनी शर्तें मनवाना चाह रही है। पहली बार ठाकरे परिवार की ओर से आदित्य ठाकरे चुनाव लड़े हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि शिवसेना आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनवाने पर अड़ सकती है। खैर ये राजनीति है और इन राजनेताओं को समझना चाहिए कि जनता ही जनार्दन है।