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सलमान सिर्फ हीरो नहीं बल्कि एक सोशली रिस्पांसिबल सिटीजन भी है।

इस बात से बिलकुल इंकार नहीं किया जा सकता कि सलमान खान अपने करियर के शुरवाती दौर में सुपरस्टार तो बन गए लेकिन वो ये स्टारडम पचा नहीं पाए, सलमान का मतलब ही कॉन्ट्रोवर्सी हो गया था।काले हिरण का शिकार हो या फिर हिट एंड रन मामला, हीरोइनों के साथ मारपीट या फिर फ़िल्म...

क्या सफल हुआ अण्णा आंदोलन और महाराष्ट्र का बजट सत्र?

विपक्षी नेता धनंजय मुंडे के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सदन के शुरुवात में ही बीजेपी और शिवसेना ने जोरदार हंगामा किया। लेकिन बाद में किसानों की रैली ने सदन का नूर ही बदल दिया। विधिमंडल का कामकाज आम आदमी की मांगो को लेकर केंद्रित हुआ। देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने नाशिक के आदिवासी इलाके...

फसल के लिए पसीना और हक़ के लिए बहाया खून

पैरों में छाले थे, हाथों में लाल झंडा था, टोपी भी लाल, लाल सलाम करते हुए किसान पग पग आगे बढ़ रहे थे, हौसले बुलंद थे और मांगें तमाम थी, सरकार पर  विश्वास करना मुश्किल हो रहा था कि  सरकार क्या इनके  सामने झुकेगी और क्या इनकी तमाम मांगें मान ली जाएँगी, क्योंकि इसके...

आजादी के ७० वर्षो में भारत में महिलाएँ कितनी आजाद हुई है?

आए दिन अखबारों के पन्ने काली स्याही से भरे होते हैं, स्याही समाचारों से।कभी निर्भया की दिल दहलाने वाली दास्तान तो कभी किसी मासूम की सिसकियाँ जिसने अभी तक लड़की होने का फर्क भी जाना न था।अब हमारा समाज इन बातों का आदि सा हो गया लगता है।हमारा देश महिलाओं के खिलाफ होने वाले...
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सीएसआर फंड विभिन्न क्षेत्रों में खर्च करना चाहिए: सुधीर मुनगंटीवार, वित्त और वन विभाग मंत्री, महाराष्ट्र

सीएसआर याने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसीबिलीटी समाज में बदलाव के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है।सीएसआर के तहत कई ऐसे काम हो रहे है जिससे ना सिर्फ समाज मे बदलाव हो रहा है बल्कि लोगों की जिंदगी में भी काफी बदलाव आ रहा है।

महिला दिवस पर कहाँ खो गई है हमारी देहाती महिलाये

पालघर की स्वछतादूत बनी आदिवासी सुशीला मुम्बई से सटा पालघर यह आदिवासी जिला है। सालो संघर्ष के बाद उसको ठाणे जिले से अलग कर दिया गया ताकियहाँ रहनेवाले आदिवासियोंके जिंदगी में कुछ बुनियादी बदलाव आ सके। यह कहानी है सुशीला हनुमंत खुरकटे की जो जवार तहसिल के नांदगाव की रहनेवाली है।आठ मार्च को महिलादिवस के अवसर...

तेरा धिआन किधर है मेरा सीएसआर इधर है

साल 2015 शुरू हो गया है और यह पहला वित्तीय वर्ष होगा जब भारतीय कार्पोरेट जगत को सीएसआर यानि कार्पोरेट सामाजिक दायित्व के तहत किए गए अपने काम का लेखा जोखा कार्पोरेट मंत्रायल के समक्ष रखना होगा। बीते दो बरसों से कार्पोरेट और सोशिअल जगत में सीएसआर को लेकर काफ़ी कुछ कहा और सुना...

से कैसे बनेगा ‘मेक इन इंडिया’ ?

‘मेक इन इंडिया’ ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका बखान वो भारत से लेकर अमेरिका के मैडिसन स्क्वाअर तक कर चुके हैं। ‘मेक इन इंडिया’ के इस सपने को प्रधानमंत्री अपने थ्रीडी के चश्मे से देखते हैं जिसे वो डिमांड, डेमोक्रेसी और डेमोग्रेफी के रुप में परिभाषित करते हैं। मगर...

क्यों बंद हो रहे हैं बजट प्राइवेट स्कूल ?

दुनिया के 37 फ़ीसदी अनपढ़ लोग भारत में रहते हैं, 58 फ़ीसदी बच्चे अपनी प्राइमरी स्कूल में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं, जबकि 90 फ़ीसदी बच्चे किसी तरह की तालीम पूरी नहीं कर पाते. ये है हमारे आज के भारत की तस्वीर जिसपर हम अपने आनेवेल कल की बुनियाद रख रहे हैं. मगर आंकड़े...

मोदी का संयुक्त राष्ट्र को संदेश – क्लाइमेट चेंज पर साथ आएं देश

नरेंद्र मोदी भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिनकी अमेरिका यात्रा और संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में उनका भाषण - दोनों ही चीज़ें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं. नरेंद्र मोदी इस वक्त गूगल सर्च इंजिन में टॉप पर हैं. भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य देशों में उनकी...

सुलभ क्रांति का नया दौर : साक्षात्कार

प्रधानमंत्री के मिशन टॉयलेट पर सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक विंदेश्वर पाठक से वरिष्ठ पत्रकार उमेश चतुर्वेदी की बातचीत हर साल स्वतंत्रता दिवस यानी पंद्रह अगस्त को लालकिले से प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन में दरअसल देश की भावी नीतियों और योजनाओं की ही झलक मिलती रही है। 67 साल से साल-दर-साल प्रधानमंत्री के भाषण...

‘ शौचालय की सोच ‘

एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री क्या कर सकता है, ये नरेंद्र मोदी ने कर दिखाया है. 15 अगस्त को लाल किले से जब नरेंद्र मोदी ने देश के कार्पोरेट घरानों से , महिलाओं और ख़ासकर स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालयों के निर्माण करने की अपील की .....

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