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June 25, 2025

Prada ने पेश की कोल्हापुरी जैसी चप्पलें, नकल तो की, पर भारत को नहीं दिया क्रेडिट!

इटली के मिलान में आयोजित Prada Spring Summer 2026 फैशन शो इन दिनों सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है। वजह है Prada का नया मेन्स कलेक्शन, जिसमे ऐसी सैंडल पेश की, जो हू-ब-हू भारत की प्रसिद्ध ‘कोल्हापुरी चप्पल’ जैसी दिखती हैं।

इटली के मिलान पहुंची कोल्हापुरी चप्पल, मगर Prada की होकर

Prada Italy का एक लक्जरी फैशन ब्रांड है, जिसकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में फैली हुई है। हालांकि, यह मशहूर फैशन हाउस भी भारत की नकल करने में पीछे नहीं हटा। दरअसल, इस ब्रांड ने अपने 2026 के स्प्रिंग-समर Mens कलेक्शन में हमारी सदियों पुरानी ‘कोल्हापुरी चप्पल’ को प्रदर्शित किया है। हालांकि अजीबो-गरीब कपड़ों के साथ स्टाइल की गईं थीं कोल्हापुरी चप्पलें!
इस फैशन शो का आयोजन 22 जून को मिलान के Fondazione Prada Deposito में करवाया गया था। इस पूरे संग्रह के डिजाइनर Miuccia Bianchi Prada और Raf Simons थे। उन्होंने अपने इस फैशन शो को ‘दृष्टिकोण में परिवर्तन- अर्थ का विघटन और सत्ता का विघटन’ नाम दिया था। यह फैशन शो आम लोगों के लिए नहीं था, क्योंकि इसमें बेहद अतरंगी कपड़े दिखाए गए थे। हालांकि, इसका मुख्य आकर्षण भारतीय कोल्हापुरी चप्पल ही रहीं।
हालांकि, विवाद की जड़ ये नहीं कि डिजाइन इंस्पायर है, बल्कि ये कि Prada ने भारत को या भारतीय कारीगरों को कोई क्रेडिट नहीं दिया। इसी बात को लेकर सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर कब इंटरनेशनल ब्रांड्स भारतीय हस्तकला को खुलकर सम्मान देंगे।

कैसे पकड़ी गई Prada की चोरी

सेलिब्रिटी स्टाइलिस्ट अनाइता श्रॉफ अदजानिया ने Prada के फैशन शो का एक वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया था। उसमें पुरुष मॉडल रंग-बिरंगे कपड़ों के साथ पैरों में कोल्हापुरी चप्पल पहने दिखाई दिए। अनाइता के साथ-साथ आम लोगों का ध्यान भी इसी बात पर गया कि यह तो हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पहनावे की एक और नकल है। बड़ी बात यह है कि Prada ने भी अन्य ब्रांड की तरह इन चप्पलों का श्रेय भारत को नहीं दिया।

क्या होती है कोल्हापुरी चप्पल

कोल्हापुरी चप्पल महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले की ऐतिहासिक और पारंपरिक हस्तकला का हिस्सा हैं। इन चप्पलों का इतिहास 13वीं शताब्दी से जुड़ा है और यह आज भी भारत की संस्कृति और कारीगरी की पहचान हैं। इनकी खास बात है कि ये चप्पल पूरी तरह हाथ से बनाई जाती है। बेहतरीन क्वालिटी वाले चमड़े का इस्तेमाल, पारंपरिक डिजाइनों में सुंदर नक्काशी, सालों तक चलने वाली टिकाऊ बनावट, पहनने में बेहद आरामदायक कोल्हापुर की पहचान इन चप्पलों को GI टैग (Geographical Indication) से सम्मानित भी किया जा चुका है।

कोल्हापुरी चप्पल कैसे बनती हैं

इन चप्पलों को बनाने की प्रक्रिया बेहद मेहनत और हुनर से भरी होती है। सबसे पहले उच्च गुणवत्ता वाला लेदर चुना जाता है। उसे मुलायम करने के बाद मनचाहा आकार दिया जाता है, फिर डिजाइनों की नक्काशी की जाती है। चप्पल के अंगूठे वाले हिस्से पर रिंग बनाई जाती है, जिससे ग्रिप बेहतर होती है। पूरी प्रक्रिया हाथ से होती है, मशीन का कोई इस्तेमाल नहीं। इसी कारीगरी की वजह से कोल्हापुरी चप्पलें दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। कोल्हापुरी चप्पलें गर्मी या नमी में भी आरामदायक रहती हैं। महाराष्ट्र के ह्यूमिड वातावरण में भी इन्हें पहनना आसान है। लंबे समय तक चलती हैं और इस्तेमाल के साथ पैर के आकार में ढल जाती हैं। नेचुरल टैन रंग और ट्रेडिशनल डिजाइनों से इनकी पहचान बनी रहती है।

भारतीय हस्तकला को क्रेडिट क्यों जरूरी है

भारत की हस्तकला दुनिया में अद्वितीय है, चाहे वो बनारसी साड़ी हो, मधुबनी पेंटिंग या कोल्हापुरी चप्पल! इन सभी के पीछे भारतीय कारीगरों की मेहनत और पीढ़ियों पुराना हुनर है। जब बड़े इंटरनेशनल ब्रांड्स इस कला से इंस्पायर होकर प्रोडक्ट्स बनाते हैं, तो उन्हें भारत और यहां के कारीगरों को उचित श्रेय देना जरूरी है। इससे न केवल भारतीय कलाकारों को पहचान मिलती है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर भी दुनिया के सामने गर्व से प्रस्तुत होती है।

कोल्हापुरी चप्पल- भारत की विरासत, जो वैश्विक फैशन का हिस्सा बन रही है

यह पहला मौका नहीं है जब इंटरनेशनल फैशन में भारतीय हस्तकला की छाप दिखी हो। इससे पहले भी कई ग्लोबल ब्रांड्स भारतीय डिजाइनों से प्रभावित हुए हैं। बात बस इतनी है कि भारत को उसका क्रेडिट और कारीगरों को उनकी पहचान मिलनी चाहिए। अगर आप भी भारतीय कला को सपोर्ट करना चाहते हैं, तो अगली बार खरीदारी करते वक्त असली ‘कोल्हापुरी चप्पल’ जरूर अपनाएं और लोकल आर्ट को बढ़ावा दें।

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