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चन्नी पर कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक – देर आये दुरुस्त आये

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चुनावी बिसात पर राजनीतिक ड्रामा खूब खेला जा रहा है। चाहे उत्तर प्रदेश हो या फिर या फिर पंजाब मास्टर स्ट्रोक पर मास्टर स्ट्रोक खेला जा रहा है। पंजाब की बात करें तो कांग्रेस में मचा सियासी घमासान कुछ हद तक स्थिर होता नजर आ रहा है। राहुल गांधी ने चरणजीत सिंह चन्नी को गरीब घर का बेटा बताते हुए कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया। नवजोत सिंह सिद्धू और सुनील जाखड़ को साइड लाइन कर चरणजीत सिंह चन्नी के दलित चेहरे को चुनना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
कांग्रेस (Congress in Punjab) के इस सियासी चाल का असली परिणाम 10 मार्च को आएगा, लेकिन रुझान देखने को मिलने लगा है। दरअसल The CSR Journal की टीम ने पंजाब के कुल 23 जिलों में जाकर लोगों से बात की, जनता जनार्दन और राजनीतिक नब्ज को टटोलने की कोशिश की, राजनीतिक गलियारों में जाकर राजनेताओं से बात की और राजनीतिक बयार को समझा। इस रिपोर्ट में हम बताएंगे कि कांग्रेस को आखिर मुख्यमंत्री पद का चेहरा क्यों घोषित करना पड़ा? इससे उसे क्या फायदा हो सकता है? इस रिपोर्ट में ये भी समझने की कोशिश करेंगे कि आखिरकार कौन सी पार्टी पंजाब में सरकार बनाएगी।

पंजाब चुनाव के पहले कांग्रेस को क्यों सीएम चन्नी का चेहरा घोषित करना पड़ा?

अमूमन कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसमें चुनाव परिणाम आने के बाद ही राज्य की कमान किसके हाथ जाएगी ये तय किया जाता है। कांग्रेस हाई कमान हमेशा से ऐसे ही काम करती आयी है। लेकिन इस बार ट्रेंड बदला बदला सा नज़र आ रहा है। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party in Punjab) पहले ही भगवंत मान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुकी है। अकाली दल में भी सुखबीर बादल सीएम का चेहरा हैं। इस वजह से कांग्रेस पर दबाव था कि वो भी मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ चुनाव में उतरे। कांग्रेस के लिए ये एक तरह से मजबूरी थी। लेकिन यही मज़बूरी अब कांग्रेस की मजबूती बन गयी है।

मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना मज़बूरी लेकिन चन्नी के नाम पर मजबूती

जीत का दम भरती पार्टियों ने सीएम के चेहरे पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिय। बीजेपी, आम आदमी पार्टी, अकाली दल या फिर कांग्रेस हर कोई पार्टी सीएम के चेहरे को प्रोजेक्ट तो कर रही है लेकिन सीएम चन्नी को सबसे ज्यादा फायदा दिखता नज़र आ रहा है। चन्नी की अपनी मजबूतियां हैं। कांग्रेस हर मंच पर ये डंका बजा रही है कि उसने पहली बार पंजाब में एक दलित को मुख्यमंत्री बनाया है। पंजाब में 32 फीसदी दलित वोट है। ऐसे में तीन महीने बाद ही चन्नी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर कांग्रेस दलितों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती थी। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात ये भी है कि जब The CSR Journal की टीम पंजाब के ग्राउंड जीरों पर लोगों से बात की तो ये पाया कि चन्नी ने महज तीन महीनों के भीतर जनता और जनता से जुड़े सरोकारों पर फोकस किया।
कांग्रेस आलाकमान ने ये पहले ही तय कर रखा था कि लंबी दौड़ के लिए कौन ज्यादा बेहतर होगा। चन्नी या फिर सिद्धू। वैसे सिद्धू की पार्टियों के बीच कुद्दम कुद्दी और उनकी बेलगाम बोली कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती है। अगर वो मुख्यमंत्री बन जाते तो वे शायद हाईकमान की भी नहीं सुनते। हाईकमान ऐसे नेता को ही मुख्यमंत्री बनाता है जो उसकी सुने। इस वजह से भी चन्नी का दावा ज्यादा मजबूत बन गया। इस बीच ये भी कहना जरुरी है कि सरकारी दावों की मानें तो मुख्यमंत्री चन्नी, डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा के नेतृत्व में पंजाब में कांग्रेस सरकार ने डेवलपमेंट के झंडे ही गाड़े है।

जनता के बीच भी चन्नी सबसे बड़े चेहरे, अब उन्हें चाहिए पंजाब का साथ

एक वोटिंग सर्वे की मानें तो पंजाब की जनता को चरणजीत सिंह चन्नी फिर से मुख्यमंत्री के रूप में चाहिए लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी के लिए डगर उतनी आसान नहीं है। भले ही कांग्रेस आलाकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी का चेहरा सीएम के लिए ऐलान कर दिया हो और जनता भी चाहती हो लेकिन चन्नी के लिए मुसीबतें बहुत है। सबसे पहले तो चरणजीत सिंह चन्नी को सभी विरोधियों को साथ लाने की चुनौती होगी। जाखड़ से लेकर सिद्धू तक सबको साथ लेकर चलना होगा। सिद्धू जिस तरह की बयानबाजी करते हैं उससे भी निपटना चन्नी के लिए एक चुनौती होगी। जिन दोनों सीटों से चन्नी को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है उन्हें जीतकर खुद को बड़ा नेता साबित करने का मौका भी चन्नी के पास है।

पंजाब में चन्नी जी के नेतृत्व में कांग्रेस बना रही है सरकार – सुखजिंदर सिंह रंधावा, उपमुख्यमंत्री, पंजाब

दी सीएसआर जर्नल की टीम ने जब पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) से बात किया तो उन्होंने बताया कि “पंजाब में हम फिर से सत्ता में आ रहे है, जनता के आशीर्वाद से कांग्रेस बहुमत से सरकार बनाएगी, चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में हुए विकास पर जनता हमें दुबारा चुनेगी”। बहरहाल पंजाब की 117 विधानसभा सीटों (Punjab Election 2022) पर एक चरण में 20 फरवरी को चुनाव होगा। लेकिन पंजाब में किसकी सरकार बनने जा रही है। कौन है जनता की पहली पसंद? इस सवाल का कई सर्वे का आकलन करने और पंजाब के 23 जिलों के ग्राउंड जीरो पर जाने के बाद The CSR Journal इस नतीजे पर पहुंची है कि पंजाब के चुनाव परिणाम कुछ इस तरह होंगे :
कुल सीटें – 117
कांग्रेस – 53
बीजेपी+कैप्टन (पंजाब लोक कांग्रेस) – 3
अकाली+ – 12
आम आदमी पार्टी – 46
संयुक्त समाज मोर्चा – 0-0
अन्य – 3