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March 23, 2025

जहवां के लड़कन न माने हार, उहै त है आपन बिहार- Bihar Diwas 2025

कभी Bihar अपनी पुरानी पहचान के साथ एक दबा और पिछड़ा हुआ राज्य माना जाता था। लेकिन अब Bihar का तेज़ी से विकास हो रहा है। आज बिहार अपना 113वां स्थापना दिवस मना रहा है। अब इसे चुनावी, राजनीतिक हथकंडा समझें, या बिहारियत के गौरव को Celebrate करने का तरीका, कि Bihar Diwas पर दिवाली, होली और दुर्गा पूजा की तरह देश भर से शुभकामनाओं की बाढ़ आ रही है। Bihar Diwas, जिसे बिहार स्थापना दिवस भी कहा जाता है, हर वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन 1912 में बिहार को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में स्थापित किए जाने की स्मृति में मनाया जाता है। बिहार का इतिहास, संस्कृति और परंपराएं अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण हैं, जो इसे भारत के प्रमुख राज्यों में से एक बनाती हैं।

Bihar का समृद्ध इतिहास

बिहार का इतिहास प्राचीन काल से ही गौरवशाली रहा है। यह क्षेत्र वैदिक काल में ‘विहार’ (Vihar) या ‘विहारक’(viharak) के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है ‘मठों की भूमि’। इस भूमि ने अनेक महान साम्राज्यों को जन्म दिया, जिनमें Maurya, Gupta और Pal वंश प्रमुख हैं। Maurya साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य और उनके प्रमुख मंत्री आचार्य Chanakya ने ‘Bihar’ या ‘Viharak’ के मगध क्षेत्र से ही अपने साम्राज्य का विस्तार किया। सम्राट अशोक, जिन्हें विश्व में शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, ने भी यहीं से शासन किया। उनके शासनकाल में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रसार हुआ और बिहार बौद्ध शिक्षा का केंद्र बना। बोधगया में महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिससे यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए तीर्थस्थल बन गया। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान कर चुके पितरों का श्राद्ध-तर्पण गया में करने से उन्हे जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और उनकी आने वाली पीढ़ियां उनके हर ऋण से मुक्त हो जाती हैं।

Bihar की शैक्षणिक और सांस्कृतिक धरोहर

Bihar ने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बिहार ज्ञान का केंद्र है। प्राचीन काल में बिहार शिक्षा, संस्कृति और शक्ति का केंद्र था। कभी दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित करने वाला नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) Bihar की राजधानी Patna में स्थित है। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन काल में उच्च शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे, जहां विश्वभर से विद्यार्थी अध्ययन के लिए आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय विशेष रूप से बौद्ध अध्ययन के लिए प्रसिद्ध है और इसे यूनेस्को द्वारा ‘Unesco World Heritage Site‘ के रूप में मान्यता प्राप्त है। माना जाता है कि Bihari गणित (Mathematics) में बहुत माहिर होते हैं। बिहार को IAS बनाने की फैक्ट्री माना जाता है। बिहार भारत का दूसरा सबसे बड़ा IAS देने वाला राज्य माना जाता है। हर साल दर्जनों बिहारी IAS की प्रतिष्ठित परीक्षा पास करते हैं। Bihar के सहरसा जिले के बनगांव को IAS-IPS की खेती वाला गांव भी कहा जाता है। इस गांव के हर घर में एक न एक IAS, IPS अधिकारी मिल जाएंगे। Doctor, Engineer, BDO, CO की तो यहां भरमार है। कहावत है कि देश के किसी भी राज्य में चले जाइए, रिक्शा चालक से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक, हर जगह आपको बिहारी मिल जाएंगे।
सांस्कृतिक दृष्टि से, बिहार की भूमि ने मैथिली, भोजपुरी, मगही जैसी समृद्ध भाषाओं और साहित्य को जन्म दिया है। मधुबनी पेंटिंग, जो मिथिला क्षेत्र की विशेषता है, अपनी जटिल डिजाइन और जीवंत रंगों के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

बिहार है मानसिक तप की भूमि

मानव जाति की भलाई के लिए इतिहास का सबसे आकर्षक विचार यहीं की देन है। गौतम बुद्ध और भगवान महावीर ने 2600 साल पहले अहिंसा की अवधारणा विकसित की। वैशाली, यह स्थान जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्मभूमि है। Bihar, जैन और बौद्ध धर्म की जन्मस्थली होने के साथ गुरु गोबिंद सिंह की जन्मस्थली भी है। सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का जन्म Bihar के Patna में सिखों के 9वें गुरु, Shri Guru Tegbahadur जी और माता Gujari के घर हुआ था। पटना में जिस घर में Guru Gobind Singhji का जन्म हुआ था, वहीं अब सिखों का पवित्र स्थान (Harimandar Takhat ) तखट श्री हरिमंदर साहिब है। बिहार में देश का सबसे पुराना हिंदू मंदिर ‘माता मुंडेश्वरी देवी’ सासाराम से 200 किलोमीटर पर स्थित है। Structure के हिसाब से ये भारत का सबसे पुराना मंदिर है। इसे 5वीं शताब्दी के आसपास का बताया जाता है। ये मंदिर अपने इतिहास के साथ-साथ यहां होने वाली रक्तहीन बलि के लिए भी जाना जाता है। यहां माता को अर्पित करने के बाद बकरे की जान नहीं ली जाती, बल्कि मंत्रों से कुछ देर के लिए बेहोश कर दिया जाता है और यही मां मुंडेश्वरी के लिए बलि मानी जाती है।

Bihar है ठंडी हवा की बयार

बिहार ग्रीष्म ऋतु की वो सांझ है, जो एक भीषण तपन मे जली हुई किसान की देह को ठंडक पहुचाती है। बिहार मे आज भी अनुभवी लोग सायंकाल घरों के बाहर बैठकर भावी पिढियों को जीवन का सार बताते हैं। यहां के किसान खुद तमाम कष्ट सहकर बच्चो के उज्जवल भविष्य हेतु उन्हे बड़े शहरों को भेजते हैं। Bihar मे अब भी लोग बनावट की चीजों के बजाय खुद को जी रहे है। आधुनिकता के इस दौर में सत्तु ने खुद को पीढियों में बचाए रखा है और ‘सतुआ’ के ‘लिट्टी’ और चोखा के स्वाद से देशभर को ललचाए रखा है। महात्मा गांधी गांव को असली भारत मानते थे और बिहार के गाओं ने अब भी गांधीजी के उस कथन का मान बनाए रखा है।

का बताएं का का है बिहार मां

भारत की मशूहर नालंदा लाइब्रेरी बिहार में है। कभी ये लाइब्रेरी दुनिया भर के लोगों के आकर्षण का केंद्र हुआ करती थी। हालांकि, बख्तियार खिलजी की फौज ने ये लाइब्रेरी जला दी थी। बख्तियार, कुतुब-अल-दिन ऐबक का तुर्क अफगानी मिलट्री जनरल था। ये लाइब्रेरी इतनी बड़ी थी कि इसे पूरी तरह जलने में 3 महीने लगे और इसमें रखी नौ लाख पांडुलिपियां (Manuscripts) नष्ट हो गई। बिहार दुनिया की सबसे उपजाऊ भूमि में से एक है। गंगा, कोशी और गंडक जैसी नदियों से घिरे बिहार की धरती दुनिया की सबसे उपजाऊ भूमि में गिनी जाती है। दुनिया का सबसे बड़ा Wi-Fi Range बिहार में है। दुनिया का सबसे बड़ा Wi-Fi Range, 20 किलोमीटर के kshetra में स्थापित किया गया है जो  राजधानी पटना में है। पर्यटकों के लिए बिहार में बहुत कुछ है। शेर शाह सूरी और मानेर शरीफ का मकबरा बिहार में ही है। यहां आपको मुगल वास्तुकला का बेहतरीन नमूना दिखेगा, साथ ही ‘बोधी वृक्ष’ भी दिखेगा, जिसके नीचे बैठकर युवराज Siddharth ने तपस्या की और Gautam Buddha कहलाए।
 Bihar के सोनपुर में नवंबर माह की कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाला ‘पशु मेला’ प्राचीन समय से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। Asia का सबसे बड़ा ‘पशु मेला’ गंगा और गंडक नदी के संगम पर आयोजित होता है। कहा जाता है Samrat Chandragupt Maurya इसी मेले से अपने युद्ध के हाथी और घोड़े खरीदा करते थे।
बिहार का स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1857 के सिपाही विद्रोह में बाबू वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और उन्हें पराजित किया। इसके अलावा Champaran Satyagrah, जो महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 में हुआ, ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी।

Bihar Diwas का आयोजन

इस अवसर पर राज्य भर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी, सेमिनार, और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, इतिहास, और उपलब्धियों को प्रदर्शित करना होता है। इस दिन सरकारी कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। Bihar Diwas न केवल राज्य के गठन का उत्सव है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक पहचान, इतिहास, और विकास की यात्रा का भी प्रतीक है। यह दिन बिहारवासियों के लिए गर्व का अवसर होता है, जब वे अपने राज्य की उपलब्धियों को याद करते हैं और भविष्य के लिए नए संकल्प लेते हैं।

सांस्कृतिक विविधता

बिहार की सांस्कृतिक विविधता उसके त्योहारों, नृत्य, संगीत, और कला में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। यहां के प्रमुख त्योहारों में छठ पूजा, मकर संक्रांति, होली, और दशहरा शामिल हैं। छठ पूजा विशेष रूप से सूर्य देव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है और इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। अब तो देश के हर राज्य में Chath Pooja का यट्सव बड़े राजनीतिक स्तर पर मनाया जाने लगा है। नृत्य और संगीत में, बिहार की समृद्ध परंपरा है। यहां का ‘Jhijhiya’ नृत्य और Mithilanchal का ‘Sama-Chakewa’ Folkdance बहुत महत्वपूर्ण है, जो महिलाएं अपने भाई की रक्षा के लिए प्रार्थना के रूप में करती हैं। इसके अलावा, भोजपुरी और मैथिली संगीत भारत के विभिन्न हिस्सों में लोकप्रिय हैं।

बिहार की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति

हाल के वर्षों में Bihar ने आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र में भी प्रगति की है। कृषि इस राज्य की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है, जिसमें धान, गेहूं, गन्ना, और मक्का की खेती प्रमुख है। राज्य सरकार ने औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। बिहार में अब विभिन्न खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, कपड़ा उद्योग, और अन्य छोटे एवं मध्यम उद्योग स्थापित हो रहे हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं। Bihar Diwas केवल एक तिथि नहीं, बल्कि बिहार की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आर्थिक उपलब्धियों का उत्सव है। यह दिन हमें बिहार की गौरवशाली परंपरा और संघर्षों की याद दिलाता है और हमें एक उज्ज्वल भविष्य की दिशा में प्रेरित करता है। बिहारवासियों के लिए यह एक ऐसा अवसर है, जब वे अपने राज्य की समृद्धि और विकास में योगदान देने के लिए संकल्पबद्ध होते हैं।
बिहार दिवस का उत्सव हमें एकता, सहयोग और राज्य के विकास में योगदान देने की प्रेरणा देता है। यह दिन बिहार की पहचान को और मजबूत करता है और समस्त बिहारवासियों को अपनी जड़ों से जोड़ता है

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