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सीएसआर – स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बनती महिलाएं

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सीएसआर से स्वरोजगार, आत्मनिर्भर बनती महिलाएं

झारखंड में सीएसआर की मदद से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं। ये महिलाएं अपनी जिंदगी का गुजर बसर करने के लिए कभी पत्ता और लकड़ी चुनने का काम करती थी। लेकिन कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) ने इनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लेकर आया है। अब ये पत्ता और लकड़ी को छोड़ खुद के पैरों पर खड़ी होंगी अब झारखंड के सारंडा की महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ेंगी। इसके लिए चिरिया माइंस द्वारा सीएसआर के तहत पहल शुरू की गई है। सारंडा की महिलाओं को स्वरोजगार से जुड़ने के लिए मुफ्त सिलाई और कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद इन महिलाओं को स्वरोजगार से जुड़ने के लिए संशाधन भी मुहैया कराया जायेगा। ताकि महिलाएं अपने घरों पर रह कर भी सिलाई-कढ़ाई का काम कर परिवार के भरण-पोषण में सहायक बन सकें।

चिरिया माइंस के सीएसआर के तहत प्रशिक्षित होती महिलाएं

इतना ही नही चिरिया माइंस के सीएसआर के तहत इन महिलाओं को प्रशिक्षण के बाद रोजगार भी दिलाया जायेगा। सीएसआर के तहत क्षेत्र की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए काफी पहल की जा रही है। ताकि आगामी दिनों के बदलते दौर में कंधे से कंधा मिलाकर ये महिलाएं चल सकें। हम आपको बता दें कि एशिया का सबसे बड़ा साल के पेड़ों का जंगल है सारंडा वन जो झारखंड-ओडिशा सीमा में फैला हुआ है। ये इलाका बहुत पिछड़ा है और यहां माइंस और सेल इंडिया बड़े पैमाने पर सीएसआर के काम करती है।

सीएसआर से मिली 6 साल बाद एमआरआई व सीटी स्कैन मशीन

सीएसआर की वजह से उन मरीजों की सालों से जटिल बनी समस्या अब खत्म होने वाली है, ये खबर उन मरीजों को बड़ी राहत देंगी जो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में CT Scan और MRI कराने के चक्कर में दर दर भटकते थे, सीटी स्कैन और एमआरआई कराने के लिए मोटी रकम खर्च करने पर मजबूर रहते थे, लेकिन अब जल्द ही छत्तीसगढ़ इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल सइंसेस Chhattisgarh Institute of Medical Sciences (CIMS) में सीएसआर के जरिये सीटी स्कैन और एमआरआई की नई मशीनें लगाई जाएंगी। 6 साल की लंबी प्रक्रिया के बाद सिम्स को एमआरआई व सीटी स्कैन मशीन मिल गई है। और उम्मीद है कि नवंबर के अंतिम सप्ताह से जांच की सुविधा मिलने लगेगी।

सीएसआर के तहत साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने दिया 23 करोड़ रुपये

ये सुविधा साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के सीएसआर फंड से 23 करोड़ रुपये मिलने के बाद ये मशीनें खरीदी गयी है। जिसका इंस्टॉलेशन का काम जारी है। इससे पहले सिम्स अस्पताल में कभी एमआरआई मशीन नहीं मिली थी। सीटी स्कैन मशीन की सुविधा थी। लेकिन यह मशीन भी पिछले तीन साल से खराब है। ऐसे में गरीब तपके के मरीजों को काफी परेशानी होती थी। उन्हें जांच के लिए तीन से आठ हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते थे। लेकिन, सिम्स में इसकी सुविधा शुरू होने से महज 300 से 500 रुपये तक में दोनों जांच हो जाएगी।