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November 15, 2025

लालू परिवार में दरार? बेटी रोहिणी आचार्य ने किया राजनीति और परिवार छोड़ने का ऐलान

The CSR Journal Magazine
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद लालू प्रसाद यादव के परिवार में उठापटक दिखाई दे रही है। चुनाव में सीटों की संख्या घटने और सियासी साख को हुए नुकसान के 24 घंटे के भीतर ही लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है। उन्होंने राजनीति के साथ-साथ परिवार से भी नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है। रोहिणी ने यह घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर एक पोस्ट के जरिए की।

‘संजय और रमीज ने कहा’ पोस्ट एडिट कर लगाया गंभीर आरोप

रोहिणी आचार्य की इस घोषणा ने लालू परिवार के आंतरिक कलह को सतह पर ला दिया है। रोहिणी ने अपनी शुरुआती पोस्ट में केवल राजनीति छोड़ने की बात कही थी, लेकिन बाद में उन्होंने पोस्ट को एडिट करते हुए दो व्यक्तियों—संजय यादव और रमीज—पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने स्पष्ट रूप से लिखा कि इन दोनों ने ही उन्हें ऐसा करने के लिए कहा है। रोहिणी ने यह भी कहा कि वह सारे आरोप अपने ऊपर लेती हैं।
रोहिणी और संजय यादव के बीच मनमुटाव की खबरें पहले भी आती रही हैं। यह तल्खी तब साफ दिखी थी जब बिहार अधिकार यात्रा के दौरान संजय यादव बस में अगली सीट पर बैठे थे और इस पर एक एक्स यूजर की आपत्तिजनक पोस्ट को रोहिणी ने शेयर किया था।

आत्म-सम्मान सर्वोपरि – क्या पहले से दे रही थीं संकेत?

यह पहली बार नहीं है जब रोहिणी ने परिवार से दूरी बनाने की बात कही है। इस ऐलान से पहले भी वह संकेत दे चुकी थीं। सितंबर में भी उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा था कि उन्होंने बेटी और बहन के तौर पर अपना कर्तव्य निभाया है, लेकिन उन्हें किसी पद की लालसा या राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है और उनके लिए उनका आत्म-सम्मान सर्वोपरि है।
हालांकि, इन संकेतों के बावजूद, विधानसभा चुनाव में रोहिणी ने अपने भाई तेजस्वी यादव का खुलकर समर्थन किया था। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद उनका यह फैसला बताता है कि परिवार के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है।

सारण की हार का सदमा या पारिवारिक तकरार?

रोहिणी आचार्य ने 2024 के लोकसभा चुनाव से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने आरजेडी की सबसे मज़बूत और परंपरागत सीट सारण से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी से हार का सामना करना पड़ा।
माना जा रहा है कि इतनी प्रतिष्ठित सीट पर मिली हार के बाद परिवार के भीतर उनका प्रभाव कम हो गया। उनकी ताज़ा घोषणा, जिसमें उन्होंने संजय यादव और रमीज पर आरोप लगाए हैं, यह संकेत देती है कि शायद लोकसभा चुनाव की हार के बाद शुरू हुई आंतरिक तकरार अब एक बड़े पारिवारिक बिखराव में बदल गई है।

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