Home Leaders Speak मिलिए उनसे जिनका केटो के जरिये मदद करना है जुनून

मिलिए उनसे जिनका केटो के जरिये मदद करना है जुनून

2286
0
SHARE
 
भारत में दानवीरों की कोई कमी नहीं है। चाहे वह कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के जरिए कॉर्पोरेट दान दें। या फिर या फिर एक आम इंसान दान दे।  फंड रेजिंग के जरिए केटो ऑर्गेनाइजेशन ने करोड़ों लोगों की जिंदगियों में बदलाव ला चुका है। Ketto Organization के फाउंडर और सीईओ वरुण शेठ से बातचीत करते हैं।

बहुत-बहुत स्वागत है वरुण जी आपका The CSR Journal में मेरा पहला सवाल कि केटो ऑर्गेनाइजेशन फंड रेजिंग के जरिए लाखों लोगों की जिंदगियां बदल चुका है। सोशल कॉज के जरिए से सामाजिक तौर पर केटो ऑर्गनाइजेशन बड़े बदलाव ला रहा है। मेडिकल फील्ड हो या फिर सोशल, किस तरह से केटो ऑर्गनाइजेशन काम करता है?

सबसे पहले The CSR Journal का बहुत-बहुत शुक्रिया, कि मुझे मौका दिया। केटो एक ऐसी ऑर्गेनाइजेशन है जिसकी शुरुआत हमने 8 साल पहले की। साल 2012 में Ketto की हमने स्थापना की थी। पहले दिन से हमारा मकसद था पूरे देश और पूरी दुनिया से लोगों को इकट्ठा कर उन्हें एक प्लेटफॉर्म देना। लोगों की किस तरह से मदद की जा सके, ज़रूरतमंदों तक किस तरह से मदद पहुंचाया जा सके, वो भी इंटरनेट के माध्यम से। मैं भारत में पैदा हुआ, पला बढ़ा, जिसकी वजह से भारत में लोगों की क्या तकलीफ है। यहां क्या चैलेंजेस हैं मैं बहुत अच्छी तरह जानता हूं। भारत हर मायने में लगातार आगे बढ़ रहा है, लेकिन फिर भी कई मामलों में दिक्कतें हैं। समाज के कुछ लोग पीछे छूटते जा रहे हैं। उन्हें मदद नहीं मिल रही है। फॉर एजुकेशन, फॉर हेल्थ केयर लोगों की मदद करना यह मेरे लिए एक जुनून था। इसी सोच के साथ हम सब ने Ketto की शुरवात की और देखा कि देश में बहुत सारे एनजीओ है। Non-Profit ऑर्गेनाइजेशन है जिनको फंडरेजिंग के लिए बहुत मदद चाहिए। ये राइट टेक्निक यूज नहीं कर रहे हैं। ट्रांसपेरेंसी नहीं हैं। क्रेडिबिलिटी नहीं बना पा रहे हैं और मदद की सोच के साथ हमने केटो की शुरुआत की और बताते हुए खुशी हो रही है कि Ketto ने बहुत सारे लोगों की मदद की।

अगर हम आंकड़ों की माने तो अब तक केटो ऑर्गनाइजेशन ने 55 लाख लोगों की मदद की है, 11 हज़ार करोड़ रुपए लोगों ने केटों के जरिये सीधे तौर पर जरूरतमंदों की मदद की है। कहां तक यह जर्नी जाने वाली है। फिलहाल ज्यादातर आप लोग मेडिकल फील्ड में काम कर रहे हैं। सोशल कॉजेस के लिए काम कर रहे हैं। क्राउड फंडिंग पाने के लिए क्या प्रोसेस है?

हमारा प्रोसेस बहुत सिंपल है। जिसको भी फंड की जरूरत हो, भले उनका मेडिकल ट्रीटमेंट हो, कैंसर ट्रीटमेंट हो या सर्जरी। कोई भी एनजीओ हो जिनको फंड की रिक्वायरमेंट है, वह हमारे वेबसाइट पर आ सकते हैं। www.ketto.org पर जाएं, वहां एक बड़ा बटन है। स्टार्ट अ फंडरेजर उस पर क्लिक कीजिए। डिटेल्स के साथ फॉर्म भर दीजिए। एक बार फॉर्म भरने के बाद हमारी टीम आपको कांटेक्ट करेगी। हम वेरीफाई करेंगे और सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आपका फंड रेजर अप्रूव हो जाएगा और एक बार फंड रेजिंग अप्रूव हो गया फिर आप फंड रेजिंग कर सकेंगे। हम सभी पेमेंट फॉर्म को स्वीकार करते हैं। चाहे वह यूपीआई हो, या फिर नेट बैंकिंग या डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड। आपको एक लॉगिन दिया जाएगा आप उस लॉगिन में देख सकेंगे कि आप के लिए कितने पैसे इकट्ठा हुए, किन-किन लोगों ने आप को दान दिए। कितना डोनेशन आपको आ रहा है, कहां से आ रहा है, कौन दे रहा है, यह पूरी जानकारी लॉगिन में आपको मिल सकेगा।

किस फील्ड में सबसे ज्यादा लोग फंड रेजिंग की मांग करते हैं। कौन-कौन से ऐसे सोशल कॉजेस हैं जिसके लिए आप फंड रेजिंग करते हैं?

मेडिकल फील्ड सबसे बड़ा है। क्योंकि हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हम सबसे ज्यादा पैसे खर्च करते हैं। हमारा देश सबसे ज्यादा अंडर हेल्थ इंश्योरेंस है। हम सबसे ज्यादा मेडिकल साइड में काम कर रहे हैं। मेडिकल हेल्प के लिए सबसे ज्यादा लोग आते हैं। साथ ही उतने ही बड़े पैमाने पर मेडिकल फील्ड में लोग पैसे दान भी दे रहे हैं। लोग अपने आप को मेडिकल से कोरिलेट कर लेते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर जो मेरे घर में किसी को कैंसर हुआ है तो उसका दुख दर्द और पैसों की कमी हम अच्छी तरह से समझ सकते हैं। इसलिए दूसरे के दुख को भी समझते हुए लोग दान देते हैं। मेडिकल फील्ड के बाद सबसे ज्यादा दान एजुकेशन फील्ड में लोग देते हैं। एजुकेशन के बाद तीसरा सबसे बड़ा फिल्ड है एनिमल कॉज। बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो कि जानवरों की जान बचाने के लिए, उनके लिए सेंटर सेट अप करने के लिए, फंड रेजिंग करते हैं। एनिमल वेलफेयर भी सबसे बड़ा कॉज है स्पेशली डॉग्स के लिए। टीयर वन सिटी में डॉग्स की मदद करने के लिए बहुत सारे लोग पैसे देतें हैं। वुमन एंपावरमेंट भी इन सोशल कॉसेस में आता है।  महिला सशक्तिकरण के लिए भी हम फंड रेजिंग करते हैं। वुमन एंपावरमेंट भी अपने देश में बहुत मायने रखता है। महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर देने के लिए भी हम लगातार काम कर रहे हैं।

समाज में वह कौन लोग हैं जो कि आपको दान देते हैं। क्या आप मिनिमम से लेकर मैक्सिमम रुपए तक दान लेते हैं। क्या आपको एक आम इंसान भी दान दे सकता है और क्या कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के जरिए कॉर्पोरेट्स भी दान दे सकती हैं?

सबसे पहले तो हम बता दें कि हम सिर्फ ऑनलाइन ट्रांजैक्शन स्वीकार करते हैं। जो भी ऑनलाइन पेमेंट करता है वह हमारे ऑडियंस है। जो लोग कम इनकम वाले होते हैं, स्टूडेंट्स हैं, या फिर कोई भी आम नागरिक, कोई भी डोनेशन कर सकते हैं। लोग ₹1 भी डोनेट कर सकते हैं और जो करोड़पति है जो अबजोपति है वह लोग भी आकर हमें दान दे सकते हैं। यह प्लेटफार्म सबके लिए है। आप किसी भी कॉल को सपोर्ट कर सकते हैं। आप को अगर लगता है कि मुझे इनकी मदद करनी चाहिए तो आप उनकी ₹10 से भी मदद कर सकते हैं और अधिकतम से अधिकतम रुपए भी देकर उनकी मदद कर सकते हैं।

हम देख रहे हैं कि इस कोरोना काल में देश की जो कॉर्पोरेट्स है वह बहुत मददगार साबित हो रही है। सीएसआर फंड के जरिए लाखों करोड़ों रुपए जन मानस पर खर्च किए जा रहे हैं। क्या सीएसआर फंड भी आपको भी मिलता है?

ज्यादातर कॉर्पोरेट हमारे वेबसाइट पर आकर दान नहीं देती। क्योंकि कॉरपोरेट्स लॉन्ग टर्म गोल और एजेंडे पर काम करती है। कॉर्पोरेट्स किसी भी कॉसेस पर तीन-चार साल काम करती है। कॉरपोरेट्स जो पैसे सीएसआर के तहत देते हैं वह बहुत बड़े पैमाने पर भी होता है। हमारा वेबसाइट ऐसा नहीं है, हमारे वेबसाइट पर और लोग ऐसे हैं जो अपने स्तर पर, अकेले दान देते हैं। हमारे वेबसाइट पर आम नागरिक हैं जो कि सामने आकर लोगों की मदद करते हैं।

आप फंड रेजिंग के लिए एक प्लेटफॉर्म देते हैं। आपके पास लोग आते हैं और उनकी जिंदगी बदल जाती है। ज्यादातर आप मेडिकल फील्ड में काम कर रहे हैं। लोगों की मदद करना अपने आप में एक खुशी है, सेटिस्फेक्शन तो जरूर होता होगा आपको?

हर महीने हमारी टीम की एक मीटिंग होती है और उस मीटिंग में हम खुशियां बांटते हैं। यानी कि जो हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स वह हमें बताते हैं कि क्या-क्या हो रहा है। किन-किन लोगों तक मदद पहुंची है। किन किन लोगों तक कितने रुपयों की मदद हुई। कितने रुपए हमारे वेबसाइट के जरिए इकट्ठा हो गए हैं। मैं बताना चाहूंगा कि कोविड-19 के पहले जब हमारा दफ्तर खुला रहता था तो लोग यहां पर आते थे, धन्यवाद कहने के लिए। उनको समय पर पैसे मिले उनकी जान बची इसलिए वह लोग आते थे, यहां पर शुक्रिया अदा करने के लिए, सेलिब्रेट करने के लिए, उनके बच्चे की केक कटिंग करने के लिए।उनको इतनी खुशी मिलती थी कि हमारे जरिए उनके बच्चों की ट्रीटमेंट हो गई। उनका लिवर ट्रांसप्लांट, ट्रीटमेंट हो गया, कैंसर ट्रीटमेंट हो गया, उनको जिंदगी का एक और मौका मिला। उनकी खुशी में ही हमारी ख़ुशी होती है। बड़ा एक्साइटमेंट होता है हम लोगों को भी उनसे मिलने का।

मैं चाहूंगा यह खुशियां आप हमसे भी बाटें, आप हमें बताएं कि कोई कैसा केस जो कि आप के दफ्तर में आए हैं आप लोगों से मुलाकात किया, आप को थैंक यू कहा।

एक पेशेंट था, कार्तिक नाम का, उसकी उम्र 4 साल थी। जब से वह पैदा हुआ, उसको लीवर की बीमारी थी। कार्तिक बहुत ज्यादा बीमार रहता था। उसका कुछ ना कुछ इलाज करना पड़ता था। एक दिन में डॉक्टर ने बोला कि उसका लीवर खराब हो चुका है और उसे लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है।  तीन-चार साल पुरानी बात है ये। उनके पेरेंट्स को हमारे बारे में जानकारी हुई, फिर उन्होंने क्राउड फंडिंग के लिए हमारे वेबसाइट पर जानकारी साझा किया। हैरानी की बात यह है कि लोगों ने मदद के हाथ इस कदर बढ़ाएं कि तीन-चार दिन में ₹ 22 लाख इकट्ठे हो गए। कार्तिक एकदम से गरीब फैमिली का था। उसका एक साल तक इलाज चला और जब वह ठीक हो गया, अस्पताल से छुट्टी हो गई तो उसने अपनी मम्मी से बोला कि मुझे मेरा बर्थडे केटो के साथ मनाना है। फिर वह और उनकी मम्मी यहां पर आई थी। फिर हम लोगों ने उनका केक कटिंग किया, फिर उनकी मां ने बताया कि वह खेल नहीं पाता था, वह चल नहीं पाता था। जब लिवर ट्रांसप्लांट के बारे में डॉक्टर ने बोला तो उनको कुछ सूझ नहीं रहा था। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर पैसे की जरूरत थी तो पैसे थे भी नहीं और अब उनका बेटा दूसरे बच्चों के साथ खेलता है, बाहर जाता है। नई जिंदगी उसे मिली। अच्छा लगता है हमें कि हम किसी के काम आये।

कोविड काल में आप लोगों ने किस तरह से काम किया? क्योंकि कोविड-19 हर एक जिंदगी को प्रभावित किया, लोगों की नौकरियां चली गई, खाने की दिक्कतें हो गई, क्या इस दौरान भी फंड रेसिंग की जरूरत हुई?

कोरोना के दौरान मार्च महीने में फंड रेसिंग की सबसे ज्यादा डिमांड थी। क्योंकि बहुत सारे लोगों की नौकरियां चली गई, ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरत लोगों के खाने की हो गई थी। तीन चार महीनों तक लगातार फंडरेजिंग सिर्फ फीडिंग के लिए हुई। कोरोना काल में हम सब ने देखा कि किस तरह से प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा हुई। प्रवासी मजदूरों के लिए भी फंडरेजिंग किया गया। उनको अपने वतन वापसी के लिए, उनको अपने गांव जाने के लिए फंडरेजिंग हुई। इस दौरान कई ऐसे फंड रेसिंग किए गए जो कि कोविड-19 में क्रिटिकल केसेस हो गए थे। आईसीयू में पेशेंट को जाना पड़ा, आईसीयू के लिए लोगों ने फंडरेजिंग की। कोविड-19 में हम लोगों ने कम से कम 115 करोड रुपए फंड रेज किये।

The CSR Journal से बात करने के लिए वरुण जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। वाकई में केटो ऑर्गेनाइजेशन के जरिए आप लोग बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और लगातार इसी तरह से आप काम करते रहिए और लोगों के चेहरे पर मुस्कान और उनकी जिंदगी में बदलाव लाते रहिए। बहुत-बहुत शुक्रिया।