What is Kalma: कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई है। आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस दौरान आतंकियों ने पर्यटकों से कलमा पढ़ने के लिए भी कहा। जिन लोगों ने कलमा पढ़ा उन्हें मुसलमान समझकर आतंकियों ने छोड़ दिया और जो हिंदू कलमा नहीं पढ़ पाएं उनको आतंकियों ने गोली मार दी। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल भी है कि ये कलमा क्या है और इसका अर्थ क्या होता है।
What is Kalma: कलमा का क्या अर्थ है?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कलमा एक अरबी शब्द है और इस्लाम धर्म के अंदर काफी महत्व रखता है। ये एक तरह की धार्मिक घोषणा है, जिसका अर्थ होता है वचन या शपथ। यह वह पवित्र वाक्य है जो इस्लाम में एक व्यक्ति के विश्वास को व्यक्त करता है। इसे पढ़ने और मानने से व्यक्ति इस्लाम धर्म को स्वीकार करता है। ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से पहला और सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस्लाम के पांच स्तंभ कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज हैं। कलमा इस्लाम का आधार है, जो एक ईश्वरवाद और पैगंबर मुहम्मद (सल्ल) की पैगंबरी को स्वीकार करता है। यह हर मुसलमान के लिए विश्वास का प्रतीक है।
What is Kalma: कुल कलमा 6 हैं, जिनका अर्थ इस तरह से है –
1- कलमा तय्यब- ला इलाहा इल्लल्लाह, मुहम्मदुर रसूलुल्लाह
(“कोई पूज्य (ईश्वर) नहीं सिवाय अल्लाह के, और मुहम्मद अल्लाह के रसूल (दूत) हैं।”)
2- कलमा शहादत- अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीका लहु, व अश्हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु
(“मैं गवाही देता हूं कि कोई पूज्य (ईश्वर) नहीं सिवाय अल्लाह के, वह अकेला है, उसका कोई साझीदार नहीं, और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद (सल्ल.) उसके बन्दे और रसूल हैं।”)
3- कलमा तमजीद- सुभानल्लाहि वलहम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर
(“अल्लाह पवित्र है, सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, कोई पूज्य (ईश्वर) नहीं सिवाय अल्लाह के, और अल्लाह सबसे महान है।”)
4- कलमा तौहीद- ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीका लहु, लहुल मुल्कु व लहुल हम्दु, युह्यी व युमीतु व हु व हय्युन ला यमूतु, बियदिहिल खैरु, व हु व अला कुल्लि शयइन कदीर
(“कोई पूज्य (ईश्वर) नहीं सिवाय अल्लाह के, वह अकेला है, उसका कोई साझीदार नहीं, उसी का राज्य है, उसी की प्रशंसा है, वह जीवन देता है और मृत्यु देता है, और वह स्वयं जीवित है, जो कभी नहीं मरता, उसके हाथ में सारी भलाई है, और वह हर चीज पर कुदरत रखता है।”)
5- कलमा इस्तिगफार- अस्तगफिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्लि ज़ंबिन व अतुबु इलैहि
(“मैं अपने रब (अल्लाह) से हर गुनाह की माफी मांगता हूं और उसकी ओर पश्चाताप करता हूं।”)
6- कलमा रद्द-ए-कुफ्र- अल्लाहुम्मा इन्नी अऊज़ु बिका मिन अन उशरिका बिका शयअन व अना आलमु, व अस्तगफिरुका लिमा ला आलमु
(“ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह मांगता हूं कि मैं जानबूझकर तेरे साथ किसी को साझीदार ठहराऊं, और मैं तेरे से उस (गुनाह) की माफी मांगता हूं जो मुझे नहीं मालूम।”)