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June 20, 2025

SBTi की मान्यता से सजी अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी की नेट-ज़ीरो यात्रा, भारत की अग्रणी सीमेंट कंपनियों ने रचा इतिहास

भारत की प्रमुख सीमेंट कंपनियों अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी ने एक बड़ी पर्यावरणीय उपलब्धि हासिल की है। इन दोनों कंपनियों के निकट-अवधि (Near-Term) और नेट-ज़ीरो (Net-Zero) उत्सर्जन लक्ष्यों को Science Based Targets initiative (SBTi) से आधिकारिक मान्यता प्राप्त हो गई है। यह मान्यता उन्हें भारत के डीकार्बनाइजेशन मिशन में अग्रणी भूमिका निभाने में समर्थ बनाएगी। SBTi का Corporate Net-Zero Standard पूरी दुनिया में कॉर्पोरेट जलवायु लक्ष्यों की वैज्ञानिक रूप से मान्य रूपरेखा मानी जाती है। यह मान्यता सिर्फ कागज़ी नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी का प्रतीक है — कि कंपनियां अब वैश्विक तापमान को 1.5°C के भीतर बनाए रखने के पेरिस समझौते के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ठोस प्रयास करेंगी।

जलवायु संकट के दौर में एक मजबूत प्रतिबद्धता

अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी इस मान्यता को हासिल करने वाली भारत की पहली सीमेंट कंपनियां बन गई हैं। यह उपलब्धि उन्हें भारत सरकार की कार्बन क्रेडिट और ट्रेडिंग योजना के तहत अनुपालन में और कार्बन बाजारों में भागीदारी में भी सहायक होगी।

“विकास और पर्यावरण साथ चल सकते हैं” — अदाणी समूह

अदाणी समूह के सीमेंट व्यवसाय के सीईओ विनोद बाहेती ने इस मौके पर कहा कि “SBTi से मान्यता मिलना यह साबित करता है कि विकास और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व साथ-साथ चल सकते हैं। हम दुनिया के नौवें सबसे बड़े सीमेंट निर्माता हैं और अब Cemex, Heidelberg और Holcim जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की सूची में शामिल हैं। यह यात्रा अभी रुकी नहीं है, यह एक और कदम है एक सतत और डेकार्बोनाइज विश्व की ओर।”

Net Zero का रोडमैप, 2030 से 2050 तक का सफर

निकट-अवधि लक्ष्य (Near-Term Targets): 2030 तक उत्सर्जन में भारी कटौती। नेट-ज़ीरो लक्ष्य (Net-Zero Targets): 2050 तक पूरी तरह से कार्बन न्यूट्रल बनना। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कंपनियां कई क्षेत्रों में काम कर रही हैं, जैसे: ग्रीन एनर्जी (Green Energy), वैकल्पिक ईंधन और कच्चा माल (AFR), ऊर्जा की बचत और नवाचार, वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम (WHRS), ग्रीन इनिशिएटिव में अग्रणी भूमिका। हम आपको बता दें कि अंबुजा सीमेंट्स IRENA द्वारा संचालित Alliance for Industry Decarbonization की पहली भारतीय सदस्य सीमेंट कंपनी। World Economic Forum की Transitioning Industrial Clusters Initiative की सदस्य है। और रही बात ACC की तो ये लगातार अपने परिचालन में सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी को अपना रही है। जलवायु संकट को लेकर व्यापक रणनीतियों पर काम कर रही है।

अदाणी समूह की सहयोगी भूमिका

अदाणी समूह भारत के हरित ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने के लिए पहले ही 100 अरब अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता व्यक्त कर चुका है। 2030 तक समूह 50 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करेगा। ग्रीन हाइड्रोजन पर केंद्रित एक मजबूत प्लेटफॉर्म तैयार करेगा। इस सहयोग के तहत अंबुजा सीमेंट्स का लक्ष्य है कि 2028 तक अपनी कुल बिजली जरूरत का 60% ग्रीन और नवीकरणीय स्रोतों से पूरा किया जाए:
1 गीगावाट सौर और पवन ऊर्जा, 376 मेगावाट वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम, जिसमें से 299 मेगावाट और 186 मेगावाट पहले ही स्थापित हो चुके हैं।

नेट-जीरो की दिशा में भारत की उम्मीद

भारत ने 2070 तक नेट-ज़ीरो बनने की प्रतिबद्धता जताई है। ऐसे में अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी जैसी कंपनियों की भागीदारी निर्णायक साबित हो सकती है। इनकी पहल न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगी, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक जलवायु-उत्तरदायी राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करने में भी सहायक होगी। यह मान्यता केवल एक मील का पत्थर नहीं, बल्कि एक दिशा है एक ऐसे भविष्य की ओर, जो सस्टेनेबल, हरित और जीवाश्म ईंधन मुक्त हो। अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी ने साबित कर दिया है कि पर्यावरण के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता रखने वाली कंपनियां ही आने वाले दशक की लीडरशिप तय करेंगी। भारत में Net Zero के सफर की यह शुरुआत है, और यह यहीं नहीं रुकती।

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