इंदौर का गोबर्धन बनेगा विश्व का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट
Indore Bio CNG Plant: देश का सबसे स्वच्छ शहर अब एक और उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। MP के इंदौर में विश्व का सबसे बड़ा Bio CNG Plant बन रहा है। यहां के देवगुराड़िया में अभी एशिया का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट है, जिसका अब इसका विस्तार किया जा रहा है। निगम की MIC बैठक में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद मास्टर प्लान की 450 करोड़ की लागत से बनने वाली 23 सड़कों के निर्माण, मृत पशुओं के शव का नई तकनीक से निपटान और सफाई के लिए नई तकनीक की स्वीपिंग मशीन आदि पर काम चल रहा है। निगम मुख्यालय में दिसंबर 2024 में हुई MIC बैठक में देवगुराड़िया में एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट का विस्तार करने को मंजूरी दी गई। अब यह विश्व का सबसे बड़ा Bio CNG Plant बन जाएगा। देवगुराड़िया प्लांट की क्षमता अभी 500 MLD की है, विस्तार के बाद करीब 300 MLD क्षमता बढ़ जाएगी। यानि प्लांट में 800 एमएलडी गैस का उत्पादन होगा। नगर निगम प्लांट को इसके लिए अतिरिक्त जमीन भी आवंटित करेगा।
Indore को कचरामुक्त करने की क़वायद
Indore Bio CNG Plant: इंदौर में गोबरधन बायो-सीएनजी प्लांट परियोजना की आवश्यकता के पीछे मुख्य मुद्दा जैविक कचरे का अनुचित निपटान था, जो पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को जन्म दे रहा था। इंदौर में हर दिन घरों, रेस्तरां और अन्य प्रतिष्ठानों से बड़ी मात्रा में जैविक कचरा निकलता है। इस कचरे को खुले डंप या लैंडफिल में फेंका जा रहा था, जिससे दुर्गंध, वायु प्रदूषण और दूषित भूजल पैदा हो रहा था। इसके अलावा, कचरे का ऊर्जा उत्पादन के लिए संसाधन के रूप में पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जा रहा था। जैविक कचरे को बायोगैस और अन्य मूल्यवान उप-उत्पादों में परिवर्तित करके इन मुद्दों को हल करने के लिए गोबरधन बायो-सीएनजी प्लांट परियोजना शुरू की गई थी। इस परियोजना का उद्देश्य पूरे शहर में छोटे पैमाने के बायो-गैस संयंत्र स्थापित करके अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक विकेन्द्रीकृत दृष्टिकोण का उपयोग करना है। इंदौर का Gobardhan Bio-CNG Plant एशिया का सबसे बड़ा प्लांट है और यह गीले कचरे से सीएनजी गैस का उत्पादन करता है। यह प्लांट कचरे को संसाधन में बदलने, उत्सर्जन कम करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह प्लांट शहर के गीले कचरे को प्रक्रिया करके उससे बायो-सीएनजी गैस बनाता है। प्लांट में प्रतिदिन 550 टन गीले कचरे से 18,000 किलोग्राम सीएनजी गैस बनाने की क्षमता है। यह प्लांट कचरे को जलाने से बचाता है और मीथेन उत्सर्जन को कम करता है, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है। Gobardhan Bio CNG Plant से हर साल शहर को 16.5 करोड़ रुपये की कमाई होती है। प्लांट में पूरी तरह से स्वचालित प्रणालियां हैं जो अपशिष्ट प्रबंधन को पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया में बदल देती हैं। मीथेन गैस निर्माण के दौरान अलग की जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कोल्ड ड्रिंक्स, रेफ्रिजरेशन और ड्राई आइस के निर्माण में किया जाता है। भविष्य में इस प्लांट से प्राप्त सीएनजी गैस का उपयोग लगभग 400 बसों को चलाने में किए जाने की योजना है।
Bio CNG उत्पादन प्रक्रिया
नगर निगम करीब 600 कचरागाड़ियां शहर में चला रहा है। इनसे घर-घर जाकर गीला, सूखा कचरा, बॉयो मेडिकल वेस्ट आदि अलग-अलग लिया जाता है। यहां से नगर निगम के 10 सब स्टेशनों पर अलग-अलग डंप कर दिया जाता है। यहां से बड़ी गाड़ियों में गीला कचरा लेकर बॉयो CNG प्लांट पर पहुंचाया जाता है। यह गीला कचरा एक डीप बंकर में डाला जाता है, फिर उसे ग्रेप क्रेन के माध्यम से प्री-ट्रीटमेंट के लिए भेजा जाता है, जहां इसे क्वालिटी फीड में बदल दिया जाता है। फिर बायोगैस बनाई जाती है और शुद्धिकरण यूनिट में अशुद्धियों को हटाया जाता है। इस प्लांट में लगभग 17 से 18 टन हर दिन प्रोड्यूस होता है, यानी रोजाना 17 से 18 टन सीएनजी गैस का उत्पादन होता है । वहीं 100 टन जैविक खाद का उत्पादन होता है , जिसका उपयोग जैविक खेती के लिए किया जाता है। गैस बनने का प्रोसेस तीन चरणों में पूरा होता है। सबसे पहले डाइजेस्टर, उसके बाद बैलून, फिर कंप्रेस्ड, इसके बाद शुद्ध मिथेन गैस रिफिल सेंटर में पाइप लाइन द्वारा पहुंचता है।
Indore ने यहां भी बाज़ी मारी
Indore Bio CNG Plant: देश की राजधानी नई दिल्ली में क चरा आज भी चुनावी मुद्दा है, ले किन इंदौर ने इसे एक साल पहले ही मीलों पीछे छोड़ दिया है। इंदौर के घरों से हर रोज 500 टन गीला कचरा यानी सब्जी, फल, जूठन को कभी यूं ही फेंक दिया जाता था। नगर निगम के अलावा सरकार से जुड़े एक्सपर्ट्स ने राय दी कि गीले कचरे से न सिर्फ BIO CNG बन सकती है, बल्कि खाद भी तैयार हो जाएगी। फिर क्या था, मिशन की तरह टीमें लगा दी गईं। अंतत: 19 फरवरी 2022 को देवगुराड़िया के पास इस भारी-भरकम प्लांट का उद्घाटन हो गया। आज यहां से 100 टन जैविक खाद और 17 हजार किलोग्राम CNG गैस रोजाना बनाकर पंपिंग स्टेशंस आदि को सप्लाई होती है। इससे हर महीने 4 करोड़ रुपए की कमाई हो रही है। दावा है कि 5 से 6 साल में इस प्लांट को बनाने में खर्च किए गए 150 करोड़ रुपए की लागत निकल जाएगी।
पर्यावरण को भी प्लांट से फायदा
Bio CNG Plant के माध्यम से एक साल में 1 लाख 30 हजार टन कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा। इससे फिलहाल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आई है। ग्रीन एनर्जी भी मिल रही है, साथ ही ऑर्गेनिक कंपोस्ट का उत्पादन भी हो रहा है। प्लांट हेड के मुताबिक, जो डायजेस्टेड होता है, आफ्टर डायजेशन उसे सॉलिड-लिक्विड सेपरेटर में डालकर सॉलिड अलग करके उसका जैविक खाद बनाते हैं। जैविक खाद की कुछ मात्रा किसानों को सीधे बेच दी जाती है और बाकी फर्टिलाइजर कंपनियों को बेचा जाता है। 70 प्रतिशत खाद नेशनल फर्टिलाइजर और राष्ट्रीय कैमिकल फर्टिलाइजर को 4 रुपए किलो में सेल करते हैं। वहीं बची हुई 30 प्रतिशत खाद किसानों को 2 रुपए किलो में देते हैं। ये किसान प्लांट से 30 किलो मीटर के दायरे में रहते हैं।
रोजाना 19 हजार यूनिट बिजली की खपत
प्लांट पर बिजली की खपत लगभग 19 हजार यूनिट प्रतिदिन है। उसमें से 20 प्रतिशत बिजली Solar Power से जनरेट करते हैं। प्लांट जब शुरू हुआ था तब सोलर से बिजली जनरेट नहीं होती थी। Plant के पास जो क्षमता है, जो जमीन है जो रूफ टॉप है, उस हिसाब प्लानिंग की जाती है कि अगले पांच साल में 40-50 परसेंट बिजली खुद बनाई जाए। इस तरह से प्लांट को सौर ऊर्जा से संचालित करने की तैयारी है। Plant से प्रतिदिन 12 लाख रुपए की Bio CNG की बिक्री होती है और डेढ़ लाख रुपए का खाद बेचा जाता है। 3.5 से 4 करोड़ रुपए महीने की सेल प्लांट से बायो सीएनजी और खाद की होती है।प्लांट की लागत 150 करोड़ के आसपास है और उम्मीद है कि आने वाले 5-6 साल में इसे रिकवर कर लिया जाएगा। नगर निगम के साथ Gobardhan Bio CNG Plant का 20 साल का एग्रीमेंट है। इसके बाद प्लांट नगर निगम को सौंप दिया जाएगा।Bio CNG Plant पर तीन शिफ्ट में काम होता है। सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक की पहली शिफ्ट रहती है। इसके बाद 2 से रात 10 बजे तक और फिर रात 10 से सुबह 6 बजे तक की शिफ्ट। अलग-अलग शिफ्ट में कुल करीब 120 कर्मचारी प्लांट पर काम करते हैं। अवंतिका गैस लिमिटेड ने प्लांट में पाइप लाइन बिछाने का काम कर लिया है। अब नेचुरल गैस की पाइप लाइन में Bio CNG इंजेक्ट करने से परिवहन का खर्च भी बच रहा है। कुल मिलाकर Indore का Gobardhan Bio CNG Plant पर्यावरण, प्रदूषण और स्वास्थ्य, तीनो क्षेत्रों में सबसे बड़ा योगदान दे रहा है।
झारखंड में सुरक्षाबलों ने ध्वस्त किए नक्सलियों के 11 बंकर, 7 IED बम बरामद
Naxalites In Jharkhand: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के पड़ोसी राज्य झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ बड़ा एक्शन हुआ है। सुरक्षाबलों ने सुरथाना अरनपुर क्षेत्र में अरनपुर मुख्य मार्ग से लगभग 5 किलोमीटर दूर ग्राम समेल से बर्रेम जाने वाले मार्ग में 2 किलोग्राम IED प्रेशर विस्फोटक बरामद किया है, जो नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए लगाया था, लेकिन सतर्कता से खतरा टल गया है। पश्चिम सिंहभूम जिले के कोल्हान और सारंडा में सुरक्षाबलों ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नक्सलियों के 11 बंकरों को ध्वस्त कर दिया है। साथ ही 5 IED बम बरामद किया है। इसके अलावा सुरक्षाबलों में खराबेरा से भी दो IED बम बरामद किए हैं। जिले के एसपी आशुतोष शेखर ने बताया है कि सुरक्षाबलों का ये नक्सल विरोधी अभियान अब भी जारी है।
बख़्शे नहीं जाएंगे Naxalites-अमित शाह
Naxalites In Jharkhand: लगता है केंद्र सरकार अब नक्सलियों को बिलकुल भी बख्शने के मूड में नहीं है। खुद गृह मंत्री अमित शाह नक्सलिय़ों को अंतिम चेतावनी दे चुके हैं। गौरतलब है छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार संयुक्त रूप से एंटी नक्सल ऑपरेशन चला रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने की तारीख भी तय कर दी है। शाह ने मार्च, 2026 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नक्सलियों को चारों तरफ से घेरकर लगातार कार्रवाई कर रही है। सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही पिछले 6 महीने में 150 से ज्यादा नक्सलियों का एनकाउंटर किया गया है। अब छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में भी नक्सलियों के खिलाफ एक्शन शुरू कर दिया गया है ।
सुरक्षाबल के अधिकारी ने बताया कि 13 और 14 अप्रैल को जराइकेला थाना क्षेत्र स्थित बाबुडेरा वनग्राम के आसपास सर्च ऑपरेशन चलाया, जिसमें सुरक्षाबलों ने नक्सलियों द्वारा बिछाए गए 5 IED बम बरामद किए। इन IED को बम निरोधक दस्ते की मदद से नष्ट कर दिया गया है। इन बमों को सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए नक्सलियों द्वारा जमीन के अन्दर प्लांट किया गया था। गिरफ्तार माओवादी सड़क और अन्य विकास कार्यों में बाधा पहुंचाने, राशन एकत्रित करने का काम करते थे. गिरफ्तार माओवादी के पास से 2 नग IED डेटोनेटर और 4 नक्सली पर्चे बरामद हुए हैं। यह गिरफ्तारी धनोरा थाना क्षेत्र से की गई है। बरामद आईईडी को BDS टीम ने डिफ्यूज कर दिया है। बता दें कि बीते एक साल में सुरक्षाबलों ने सैकड़ों नक्सलियों को मौत की नींद सुला दी है, जिसमें नक्सलियों के कई बड़े कमांडर भी शामिल हैं।
11 बंकर और 6 मोर्चों को किया
Naxalites In Jharkhand: अधिकारी ने बताया कि सुरक्षाबलों ने इलाके से 11 नक्सली बंकर और 6 मोर्चों को भी ध्वस्त किया। बरामद बंकरों का आकार 25 गुना 35 फीट, 20 गुना 25 फीट और 15 गुना 20 फीट का था, जिनमें नक्सली नेताओं के ठहरने की व्यवस्था थी। बंकरों से भारी मात्रा में विस्फोटक और अन्य सामग्री बरामद की गई है। इसके बाद 15 अप्रैल को टोंटो थाना क्षेत्र के लुईया और बकराबेरा के जंगलों में भी सघन सर्च ऑपरेशन किया। इस दौरान बकराबेरा के निकट पहाड़ी इलाके में दो और आईईडी बम बरामद किए गए। इस अभियान में चाईबासा पुलिस, झारखंड जगुआर, कोबरा बटालियन की 203 और 209 बटालियन के साथ साथ सीआरपीएफ की 28, 60, 134, 174, 193 और 197 बटालियन शामिल थीं। जिले के एसपी आशुतोष शेखर ने बताया है कि सुरक्षाबलों का ये नक्सल विरोधी अभियान अब भी जारी है। अधिकारियों का कहना है कि लगातार चल रहे इस अभियान से आगे और भी अहम खुलासे और बरामदगी हो सकती है। क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए सुरक्षाबल पूरी तरह से मुस्तैद हैं और किसी भी नक्सली गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बौखलाए हुए हैं नक्सली
Naxalites In Jharkhand: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर लगातार एक्शन हो रहा है। पिछले कुछ दिनों में मुठभेड़ की खूब खबरें आई हैं। नक्सलियों के खिलाफ अभियान चल रहा है। इससे नक्सली बौखलाए हुए हैं। विस्फोटकों का इस्तेमाल नक्सली आईईडी बम बनाने में करते हैं। नक्सली सुरक्षा बलों को लगातार नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। वे IED ब्लास्ट का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह सस्ता और आसानी से बन जाता है। IED ब्लास्ट एक तरह का बम ही होता है लेकिन यह सेना के बमों से अलग होता है। इसे सस्ता और टिकाऊ बम कहा जाता है। वजह ये है कि यह कम पैसों में और आसानी से तैयार हो जाता है। छत्तीसगढ़ में माओवादी IED का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के लिए करते हैं। IED में घातक और आग लगने वाले केमिकल का इस्तेमाल होता है। इसलिए IED ब्लास्ट होते ही मौके पर आग लग जाती है। माओवादी इसे सड़क के किनारे रखते हैं। जैसे ही इस पर पैर पड़ता है या गाड़ी का पहिया पड़ता है, यह ब्लास्ट हो जाता है। इसके अलावा IED को ट्रिगर करने के लिए रिमोट कंट्रोल, इंफ्रारेड ट्रिप वायर जैसे तरीकों का भी इस्तेमाल होता है।
CSR News: Rural Development Initiatives Empower 298 border villages in India
HDFC Bank, India’s largest private sector bank, under its CSR arm Parivartan, has covered 298 border villages across the country under its rural development initiatives. These clusters of villages are located in border areas of Assam, Arunachal Pradesh, Bihar, Gujarat, Himachal Pradesh, J&K, Ladakh, Rajasthan, Sikkim, Uttar Pradesh, and Uttarakhand. The Bank plans to extend its reach to 150 additional border villages in the years to come. These initiatives are aligned with national development goals outlined in the Centre’s Border Area Development Programme and Vibrant Villages Programme.
Border area villages along the northern and northeastern Himalayan regions and the western desert stretches often grapple with unique challenges including difficult terrain, restricted access to essential services and economic vulnerabilities due to their remote locations. Parivartan has impacted the lives of approximately five lakh individuals in these areas through targeted need-based interventions.
The Bank implements two key types of projects in these areas:
1) Holistic Rural Development Programme (HRDP): This approach focuses on clusters of 15-20 contiguous villages over a span of 36-48 months. It integrates multiple aspects, including rural development, education, skill development, financial inclusion, health & hygiene, and natural resource management.
2) Focused Development Programme (FDP): This initiative targets specific areas of intervention, achieving concentrated impact in one sector.
HDFC Bank’s Parivartan initiative is committed to strengthening rural communities across border areas such as Lower Dibang Valley and Shi Yomi in Arunachal Pradesh; Baksa and Udalguri in Assam; Kishanganj, West Champaran and Madhubani in Bihar; Banaskantha, Kutch, and Patan in Gujarat; Ladakh; Chandel in Manipur; East Jaintia Hills in Meghalaya; Fazilka and Pathankot in Punjab; Barmer in Rajasthan; Gyalshing West and Pakyong in Sikkim; Pilibhit in Uttar Pradesh; and Chamoli in Uttarakhand.
Speaking about the initiative, Mr. Kaizad Bharucha, DMD, HDFC Bank said, “We are committed to creating meaningful impact in India’s border villages by providing access to technology-enabled education, improved agricultural productivity, renewable energy, and livelihood opportunities. By aligning with national development goals, we collaborate with local communities, NGOs, and government bodies to build stronger, self-reliant, and vibrant communities that contribute to India’s economic and social fabric.”
“A holistic approach to rural development is not merely desirable, but an absolute necessity, especially in border areas.” said Nusrat Pathan, Head – Corporate Social Responsibility at HDFC Bank. “We ensure that progress in one sector reinforces and amplifies positive outcomes in others, thereby maximising the impact of our interventions.”
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CSR News: SBI Youth for India Fellowship Invites Applications
New Delhi, India: SBI Foundation, the CSR arm of State Bank Group, is inviting applications for the 13th edition of the Youth for India Fellowship program. The Fellowship provides a framework for educated urban youth from all backgrounds to join hands and foster change with rural communities and NGOs at the grassroots level.
Over the past 12 years, the SBI YFI, through its various youth-led interventions, has impacted over 150,000 lives in 250+ villages across 20 states. The applicants for this 13-month Fellowship must be Indian Citizens, Overseas Citizens of India, or Citizens of Bhutan and Nepal. Notably, this inclusive Fellowship programme is also open to members from all backgrounds, committed to driving grassroots change. This is an opportunity to experience rural life firsthand and work with local communities and non-profits to achieve sustainable rural development goals.
Eligibility: The candidate must have completed a bachelor’s degree before 1 October 2025. The candidate must be Indian citizen, Overseas Citizen of India, and Citizens of Nepal and Bhutan and NRIs.
Age criteria: 21 to 32 years.
Application process: Stage 1 (Registration & Online Assessment), Stage 2 (Personal Interview)
Application deadline: Wednesday, 30th April 2025