लॉक डाउन के दरमियान दूसरे राज्यों से आ रहे मजदूरों के लिए अगर कोई सबसे मुफीद साधन बना है तो वह है उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बसें। निशुल्क और सुरक्षित यात्रा के लिए प्रतिबद्ध UPSRTC की बसें मजदूर यात्रियों को सुरक्षित अपने अपने घरों तक पहुंचा रही है। कोटा में फंसे विद्यार्थियों को घर पहुंचाना हो या या दिल्ली से आते मजदूरों को उनके गंतव्य तक भेजने की बात हो या फिर महाराष्ट्र से मजदूरों का पलायन, उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बसों से पहुंचने वाले मजदूर अपनों से सैकड़ों मील दूर, परदेस में भूख, प्यास और उपे़क्षा से जूझते हुए जब अपनी माटी में पहुंचते है और मदद पाकर उनके चेहरे खिल जाते है। UPSRTC कैसे मजदूरों की सारथी बन रही है, The CSR Journal के साथ बात की उत्तर प्रदेश सरकार में सीनियर आईएएस और UPSRTC के MD राज शेखर जी।
राज जी बहुत स्वागत है The CSR Journal में। कोरोना वायरस के इस संकट काल ने हर एक की जिंदगी को प्रभावित किया है, ये हर किसी ना किसी के लिए एक सीख है, कोरोना ने नई चीजों को सिखाया, जीवन शैली में बदलाव किया है, उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बात करें तो, चूंकि आप मैनेजिंग डायरेक्टर है, आपके लिए यह पूरा एक्सपीरियंस कैसा है ?
कोरोना काल हर व्यक्ति के लिए एक नया तजुर्बा लेकर आया। चाहे वह आम आदमी हो या फिर जनप्रतिनिधि हो, या फिर मीडिया हो, चाहे वह अधिकारी ही क्यों ना हो। हर व्यक्ति के लिए यह एक नई चीज है। क्योंकि इस तरह का माहौल ना किसी ने देखा था और ना ही किसी ने एक्सपीरियंस किया था। हम लोगों के लिए भी यानी कि यूपीएसआरटीसी के लिए भी नया था। जब से लॉक डाउन की शुरुआत हुई, हमारी बसें बंद हो गयी। सर्विसेस ठप्प हो गयी। राज्य सरकार के सामने एक समस्या थी प्रवासी मजदूरों की। माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा यह निर्णय लिया गया कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को सकुशल उनके गृह जिलों तक, उनके घरों तक पहुंचाया जाएगा। यह जनहित में निर्णय लिया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती थी कि प्रवासी मजदूरों को वापस उत्तर प्रदेश लाया जाए। वह वक्त मुझे याद है, वह दिन मुझे याद है, जब 26-27 तारीख को यूपी और दिल्ली बॉर्डर पर बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर आ गए थे। करीबन 20-25 हजार मजदूर प्रदर्शन कर रहे थे। उन्हें घर जाना था, कोई साधन उन्हें नहीं मिल रहा था तो वह पैदल ही चलना शुरू कर दिए जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने फैसला किया कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों से प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश लाया जाएगा। यह जिम्मेदारी हमें मिली और रातोरात हजारों बसों को लगाकर माइग्रेंट लेबरर्स को निकालने का काम 27 तारीख की रात से शुरू हुआ और फिर हम लोग पीछे मुड़कर नहीं देखे।
सिर्फ दिल्ली से प्रवासी मजदूर नहीं बल्कि पलायन कर रहें लाखों मजदूरों के लिए क्या प्लान आप लोगों ने बनाया कि हर एक मजदूर सही सलामत अपने घर जा सके ?
लगातार प्रवासी मजदूरों को हम सकुशल उनके घरों तक पहुंचाने का काम कर रहे थे, उस वक्त लॉक डाउन चल रहा था और हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती इसलिए थी क्योंकि लॉक डाउन में हमारे जितने भी कर्मचारी थे उन्हें घर पर बिठा दिया गया था, हमारा ऑपरेशन पूरी तरह से बंद था। सभी स्टॉफ को छुट्टी दे दी गई थी। अब उस माहौल में हमने रातों-रात सब लोगों को बुलाया ताकि बसों का संचालन फिर से सुचारु रूप से किया जा सके।हमारे लिए यह अभियान बड़ा इमरजेंसी वाला सिचुएशन रहा। उसके बाद फिर कोटा का ऑपरेशन हुआ। कोटा में बड़े पैमाने पर छात्र फंसे थे, उनको हम अपनी बसों से वापस लेकर आए। उसके बाद राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड समेत अन्य पड़ोसी राज्य के साथ म्यूच्यूअल अंडरस्टैंडिंग हुई, बातचीत हुई और इसी तरह लगातार हम काम करते रहे।
अब तो प्रवासी मजदूर ट्रेनों से भी आ रहे हैं, हर दिन उत्तर प्रदेश में सैकड़ो ट्रेने आ रही हैं उन्हें कैसे आप लोग मदद कर रहें है ?
श्रमिक ट्रेनों से लाखों मजदूर पूरे उत्तर प्रदेश में आ रहें, इन मजदूरों को रेलवे स्टेशन से उनके गृह जिलों तक पहुंचाने का काम उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम कर रही है। पूरे प्रदेश की बात करें तो 20 से 25 ऐसे रेलवे स्टेशन है जहां पर यूपीएसआरटीसी की बसें हजारों की संख्या में खड़ी है और लाखों की संख्या में आ रहे प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचा रही है। इस संकट की घड़ी में हम हमारे ड्राइवर्स और कंडक्टर और दूसरे स्टाफ को बहुत धन्यवाद देते हैं कि वह यूपीएसआरटीसी के साथ खड़े हुए है, प्रवासी मजदूरों के साथ खड़े हुए है और लगातार दिन-रात काम करके उन्हें घरों तक पहुंचा रहे हैं।
मार्च महीने में लॉक डाउन की शुरुआत हुई, तब से लेकर अब तक कितने प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने का काम उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम ने किया है ?
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम हमेशा से ही अपने सेवाओं के लिए जानी जाती रही है। फिलहाल इन परिस्थितियों में हमारी प्राथमिकता रही है कि बड़े पैमाने पर हम लोगों को उनकी मंजिलों तक पहुंचाए। इसी कड़ी ने जब से लॉक डाउन शुरू हुआ है तब से हम कार्यरत है। डारेक्टली और इनडारेक्टली ये हो सकता है कि किसी ने 50 किलोमीटर की यात्रा की हो। तो कोई हो सकता है कि 1000 किलोमीटर की यात्रा की हो। ये भी संभव है कि किसी ने एक बार यात्रा की हो या फिर कोई यात्री अनेकों बार यात्रा किया हो। कुल मिलाकर देखें तो साढ़े 16 लाख से ज्यादा लोगों को उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बसों से उनके घरों तक, उनकी मंजिलों तक पहुंचाया गया है। इस यात्रा में मजदूर शामिल है, विद्यार्थी शामिल है, फंसे हुए लोग शामिल हैं, इसमें टूरिस्ट भी शामिल है।
पूरे राज्य में कितनी बसें लॉक डाउन के दरमियान लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए लगाया गया है?
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की लगभग 12 हज़ार बसें पूरे उत्तर प्रदेश की सड़कों पर दौड़ रही है। साढ़े 11 हजार बसें रास्तों पर चल रही है और लगभग 500 बसों को हमने रिजर्व करके रखा है। यह 500 बसें इसलिए रिजर्व रखी जाती है ताकि अगर कहीं कोई बस खराब हो जाती है, ब्रेक डाउन या फिर रास्तों पर रुक जाती है तो यह बसें उन्हें रिप्लेस करती हैं।
आप ने कंडक्टर और ड्राइवर का जिक्र किया, ये वो लोग है जो कोरोना वारियर है, फ्रंट लाइन पर काम कर रहें है। ये लोग लगातार प्रवासी भाइयों के सेवा में लगे हुए हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है, बड़े पैमाने पर इस तरह से सेवा में जुटे लोग कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं। यूपीएसआरटीसी किस तरह से इनका ख्याल रख रही है ?
यूपीएसआरटीसी में कोरोनावायरस पॉजिटिव के बहुत कम मामले है बल्कि यूं कहें कि ना के बराबर है। हम पहले दिन से हमारे ड्राइवर कंडक्टर की सुरक्षा, यात्रियों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रख रहे हैं। पहले दिन से ही हम बसों को सैनिटाइज करने का काम कर रहे हैं। हमारे जितने भी ड्राइवर कंडक्टर और यूपीएसआरटीसी का स्टाफ जो फिल्ड पर काम कर रहा है उनकी सुरक्षा के लिए हम पहले दिन से उन्हें मास्क, हैंड सैनिटाइजर दिए हुए हैं। इस संकट की घड़ी में किस तरह से स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल फॉलो करना है उसकी भी ट्रेनिंग हम उन्हें दे रहे हैं। यात्रियों की सुरक्षा के लिए हम यात्रियों को भी हैंड सैनिटाइजर और मास्क दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम में कुल 60 हज़ार एंप्लाइज है जिनमें से सिर्फ इक्का-दुक्का ही केस है।
यात्रियों की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम द्वारा सुरक्षा के क्या इंतजाम किए गए हैं ताकि इन बसों में यात्रा करने वाले यात्री पूरी तरह से कोरोनावायरस से सुरक्षित रहें?
जब भी हमारी बसें डिपो से निकलती है तो यह नहीं पता होता है कि वह बस उसी दिन वापस डिपो में आ जाएगी या फिर अगले दिन वापस आएगी। डिपो से बस निकलने से पहले बस को पूरी तरह से अंदर बाहर से सैनिटाइज किया जाता है। सीटों को सैनिटाइज किया जाता है। जो सरकार द्वारा अप्रूव्ड केमिकल है उसका बसों में छिड़काव किया जाता है। हाई प्रेशर स्प्रे के साथ केमिकल के छिड़काव के अलावा जो बसों में ग्रिप होता है जिसको यात्री पकड़ते हैं उन्हें बकायदा पोछा जाता है। सुरक्षा की लिहाज से हम हर वो स्टैण्डर्ड प्रोटोकॉल को फॉलो करते है जो सरकार द्वारा निर्धारित किया गया हो।
कोरोना काल में हर कोई आर्थिक स्थिति और आर्थिक नीतियों की बात कर रहा है, लेकिन जब बात आती है पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तो हमेशा से यही देखा गया है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट घाटे में रही हो, आर्थिक मामलों को देखते हुए यूपीएसआरटीसी की क्या हालात है?
पूरे भारतवर्ष में से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तुलना उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम से करें तो लगातार 6 सालों से यूपीएसआरटीसी प्रॉफिट में है। हो सकता है कि नेट प्रॉफिट किसी साल में 100 करोड़ों, किसी साल में 200 करोड़ हो या किसी साल में 300 करोड़ हो। लेकिन कंटीन्यूअसली यूपीएसआरटीसी प्रॉफिट मेकिंग ऑर्गेनाइजेशन है। हमारे पास किसी भी बैंक का कोई लोन भी नहीं है। उस एंगल से देखा जाए तो हमारा ऑर्गनाइजेशन बहुत ही अच्छा कर रहा है। लॉक डाउन होने के बाद पिछले 2 महीनों में हमारा नॉर्मल ऑपरेशन, नॉर्मल सर्विसेज नहीं चलें, अब तक संचालन हुआ वह आपातकालीन सेवा के लिए ही रहा और हाल फिलहाल में जो भी आपातकालीन सेवा शुरू हुआ उसका जो भी खर्चा हुआ वह राज्य सरकार द्वारा उसकी पूर्ति की गई है। राज्य सरकार हमारे साथ खड़ी है ऐसे में आर्थिक परिस्थितियां हमारी खराब नहीं हुई है। आर्थिक तौर पर राज्य सरकार हमें हर संभव मदद कर रही है।
पोस्ट लॉक डाउन का क्या प्लान है? लॉक डाउन खत्म होने के बाद किस तरह से बसों का संचालन करेंगे?
पोस्ट लॉक डाउन सभी के लिए एक बहुत बड़ा चैलेंज है, सिर्फ हमारे लिए ही नहीं बल्कि हर एक संस्थाओं के लिए जो इससे प्रभावित हुई है। लॉक डाउन खुलने के बाद भी बहुत ऐसे चीजें हैं जिसमें हमें प्रीवेंटिव मेजर लेने पड़ेंगे। चाहे वह पैसेंजर्स के थर्मल स्क्रीनिंग करनी हो, हैंड सैनिटाइजेशन का काम करना हो या फिर बसों का सैनिटाइजेशन का काम करना हो, हर चीज में हमें एहतियात बरतना है। जो कि हम पिछले कई महीनों से कर भी रहे हैं। हम जनता में यह सुनिश्चितता लेकर आएंगे, एक कॉन्फिडेंस बिल्डअप करेंगे कि आप अगर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों में यात्रा कर रहे हैं तो आप सुरक्षित यात्रा कर रहे हैं।
प्रवासी मजदूरों को लेकर पूरे देश भर में जमकर राजनीति हो रही है, खासकर कर के हम बात करें प्रियंका गांधी की तो उन्होंने हजारों की संख्या में बसों की लिस्ट यूपी सरकार को दी थी, क्योंकि आप ट्रांसपोर्ट सर्विस से जुड़े हुए हैं तो ये सवाल आपसे कि प्रियंका गांधी और सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच जिस तरह से राजनीति हुई इसे आप किस तरह से देखते हैं?
देखिए यह सब राजनीति है और राजनीतिक मसलों पर हम कुछ कमेंट नहीं देना चाह रहे हैं और देना भी नहीं चाहिए लेकिन प्रवासी मजदूरों को लेकर जो हमें जिम्मेदारी माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा दी जाती है वह हम बखूबी निभाते हैं।
यूपीएसआरटीसी में एमडी से पहले आप बहुत जगहों पर सेवा दी। तमाम जिलों की कमान आपने संभाली। जिलाधिकारी रहे आप। यूपीएसआरटीसी और जिलों की कमान इन दोनों का एक्सपीरियंस है आपको। कैसा है ये एक्सपीरियंस ?
अलग अलग पोस्टिंग का अलग-अलग अपना नेचर होता है। मैं प्रदेश भर में दस अलग-अलग जिलों का जिलाधिकारी रहा, मुझे इन जिलों में सेवा करने का मौका मिला। प्रयागराज में महाकुंभ रहा तो उस दरमियान मुझे वहां काम करने का मौका मिला। महाकुंभ कराने का लाइफ टाइम एक्सपीरियंस रहा। राजधानी लखनऊ में ढाई साल का वक्त बीता। लोगों का प्यार मिला, स्नेह मिला, सम्मान मिला। प्रयागराज हो या फिर लखनऊ दोनों जगहों पर मुझे वन ऑफ द यंगेस्ट डीएम रहने का मौका मिला। जो भी सरकार की तरफ से हमें जिम्मेदारी दी गई हम लोगों ने अपना बेस्ट निभाया। यूपीएसआरटीसी की बात करें तो यहां पर बहुत ही अच्छे कर्मचारी और अधिकारी हैं। अच्छा ऑर्गनाइजेशन है, बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अधिकारियों और कर्मचारियों का यूपीएसआरटीसी के प्रति जो लॉयल्टी है वह वाकई में बेहद ही सराहनीय है।
आप साउथ से बिलॉन्ग करते हैं और आप आईएएस बनने के बाद उत्तर प्रदेश कैडर में काम कर रहे हैं, साउथ और नॉर्थ यह दोनों का कॉन्बिनेशन आप कैसे निभा पाते हैं?
साउथ और नॉर्थ का बहुत बढियां कॉम्बो बना है, दोनों के कल्चर, दोनों के रहन सहन, खानपान में डिफरेंसेस है जरूर। लेकिन जब बात प्रशासनिक होती है तो उतना ज्यादा डिफरेंस नही होता है, लेकिन कुछ हद तक यहां चैलेंजिंग ज्यादा है क्योंकि यहां पर कई फैक्टर है, जैसे पॉपुलेशन फैक्टर, लोगों की अपेक्षाएं, तमाम चीजें मायने रखती है। मैं यूपी में 17 सालों से कार्यरत हूं, लोगों का प्यार, भरोसा मुझे ज्यादा मिला है, कभी लोगों ने अंतर नही किया कि मैं नॉर्थ में हूँ लेकिन साउथ से बिलॉन्ग करता हूं। बस मैंने उत्तर प्रदेश के जनता की सेवा में हूं और लगातार करता रहूंगा। जाते जाते मैं ये भी सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि पूरे उत्तर प्रदेश में कोई भी मजदूर भाई अब पैदल नहीं चलेगा क्योंकि अब उत्तर प्रदेश परिवहन की बसों के पहिये दौड़ने लगी है।