Home CATEGORIES Environment धुंध, धुंआ और धुआंधार ज़हर

धुंध, धुंआ और धुआंधार ज़हर

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आंखों में जलन, सीने में चुभन, सांस लेने में तकलीफ कुछ ऐसी ही परेशानियों से समूची दिल्ली जूझ रही है, आलम ये है कि दिल्ली मानो गैस चेंबर बन गयी है, कारण है दिल्ली का प्रदूषण। पिछले एक हफ़्ते से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ा हुआ है कि सरकारों द्वारा उठाये गए कदम नाकाफी हो रहे हैं। बैठकों का दौर जारी है, दिल्ली से सटे जितने भी राज्य है हर राज्य उपाय तलाश रहा है लेकिन ऊंट के मुंह मे जीरा साबित हो रहा है। सभी राज्य पराली जलाने पर रोक लगाए, दिल्ली ने आज से ऑड ईवेन लागू किया लेकिन कुछ खास फर्क नही नज़र आया।

किन इलाकों में कितना है प्रदूषण

एयर क्वालिटी इंडेक्स में 50 तक का आंकड़ा ही सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मानी जाती है, लेकिन इस वक्त दिल्ली में हवा में प्रदूषण की मात्रा 924 तक पहुंच गई है। दिल्ली में आज भी प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना है. सुबह 7 बजे दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 708 रिकॉर्ड किया गया है, अगर दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग जगहों की बात करें तो हालात और भी खतरनाक दिखते हैं, वजीरपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 919, आनंद विहार में 924, नोएडा सेक्टर -62 में 751, वसुंधरा में 696 रिकॉर्ड किया गया है।

300 टीमें प्रदूषण दूर करने में जुटीं

रविवार शाम को लोगों को प्रदूषण से थोड़ी राहत मिली थी, लेकिन सोमवार सुबह-सुबह होते प्रदूषण फिर से 1000 के आस-पास पहुंच गया। केंद्र की मोदी सरकार एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर करीब से नजर रखे हुई है, लगभग 300 टीमें प्रदूषण को कम करने में लगी हुई हैं, इस काम के लिए जरूरी मशीनरी राज्यों में बांटी गई हैं। केंद्र सरकार की नजर मुख्य रूप से सात औद्योगिक क्षेत्रों और बड़े यातायात गलियारों पर है, प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों, कचरों को जलाए जाने और निर्माण गतिविधियों पर खासतौर से नजर रखी जा रही है।

दिल्ली के गैस चेंबर बनने के कारण और उपाय

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की स्थिति बनी हुई है। साफ हवा में सांस लेने के लिए लोग तरस गए हैं। यहां प्रदूषण की एक बड़ी वजह पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली को बताया जा रहा है। पराली यानी धान को निकालकर जो ठूंठी बचती है उसे किसान जला देते है और दूसरी बड़ी वजह है दीवाली के पटाखे जिसकी वजह से लगातार हेल्थ एमरजेंसी दिल्ली और एनसीआर में बनी हुई है। पंजाब और हरियाणा की ओर से लगातार आश्वासन दिया जा रहा कि सभी व्यवस्थाएं दुरूस्त है लेकिन दिवाली के तीन दिनों बाद भी पराली जलाने के घटना पिछले साल के 30 गुना अधिक है।

इन बातों का रखें ध्यान तो प्रदूषण से बच सकते है आप

  • घर से बाहर निकलने से बचें। खासकर सुबह के समय जब सबसे अधिक प्रदूषण अधिक होता है।
  • आंखों का चश्मा जरूर पहनें, इससे आंखों का प्रदूषण से काफी हद तक बचाया जा सकता है।
  • सफर के बाद और सोने से पहले साफ पानी से आंखों को धोयें।
  • स्वस्थ आहार खाएं जिसमें ओमेगा 3 और एंटीऑक्सीडेंट, जैसे कि हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, पालक, बादाम, अखरोट और जामुन समृद्ध खाद्य पदार्थ शामिल हों। ये आंखों के लिए बेहद अच्छे हैं।

बहरहाल पिछले एक साल में दिल्ली के लोगों की जान जहरीली हवा में ऐसी फंसी कि लोगों की सांसें अटक गई। खराब हवा का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। गंभीर हालत को देखते हुए स्कूल बंद कर दिए गए है। दिल्ली के साथ नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद में सभी निजी और सरकारी स्कूलों को 5 नवंबर तक बंद करने का फैसला किया गया है। दिल्ली वालों के ऊपर कुदरत का ऐसा सितम है कि वो सांस भी नही ले पा रहे है। और इस सितम का समाधान सिर्फ एक ही है, पेड़ और पर्यावरण। जब तक हम पेड़ों की कटाई और जब तक हम पर्यावरण संरक्षण नही करेंगे इसी तरह से हम गैस चेंबर में मरते रहेंगे।