Home Top Stories सीएसआर से मिली बच्चे को नयी जिंदगी, वाडिया में हुआ लिवर ट्रांसप्लांट

सीएसआर से मिली बच्चे को नयी जिंदगी, वाडिया में हुआ लिवर ट्रांसप्लांट

188
0
SHARE
सीएसआर से मिली 2 साल के बच्चे को नयी जिंदगी, वाडिया अस्पताल में हुआ लिवर ट्रांसप्लांट
 
लिवर की एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मुंबई के एक दो साल के बच्चे पर परेल स्थित जेरबाई वाडिया अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई है। यह बच्चा पिछले कुछ महीनों से प्रोग्रेसिव फैमिली इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस (पीएफआईसी-2) नामक लीवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित था। गौरतलब है कि लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी बहुत ही महंगी होती है और इस लिवर ट्रांसप्लांट का खर्च सीएसआर और सामाजिक संस्थाओं द्वारा जुटाए गए फंड्स से हुआ है। बच्चों के इलाज के लिए प्रसिद्ध वाडिया अस्पताल की पहली लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी थी जो सफल रही।

दुनिया में एक लाख नवजात शिशुओं में से एक को होती है यह बीमारी

विक्रोली में रहने वाले योगेश और सुप्रिया दोनों आईटी कंपनी में कार्यरत हैं। बच्चे के जन्म से वह काफी खुश थे। योगेश और सुप्रिया ने बच्चे का नाम निभीष रखा। लेकिन जन्म के तुरंत बाद निभीष को पीलिया हो गया था। बच्चे की सेहत को देखकर डॉक्टर ने माता-पिता को बताया था कि बच्चा 2 साल का होने पर उसे Liver Transplant की जरूरत पड़ सकती है। The CSR Journal ने जब वाडिया अस्पताल के डॉक्टरों से बात की तो पता चला कि पीएफआईसी-2 (Progressive Familial Intrahepatic Cholestasis (PFIC-2) यह लिवर की काफी दुर्लभ बिमारी हैं। दुनिया में एक लाख नवजात शिशुओं में से एक को यह बीमारी होती हैं।

सीएसआर की मदद से वाडिया अस्पताल में हुआ सफल लिवर ट्रांसप्लांट

Paediatric Liver Transplant की जरूरत दो फीसदी मिलियन आबादी (दुनिया भर में) है। पीएफआईसी में लिवर ठीक तरीके से काम नहीं करता और पीलिया हो जाता है। लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी (Liver Transplant Sugery in Mumbai) ही इसका एकमात्र इलाज है। यह बच्चे को पिछले एक साल में लगभग चार बार अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं। ऐसे बच्चों को आईसीयू देखभाल की आवश्यकता होती हैं। इस बच्चे की मां अपने लिवर का हिस्सा दान करना चाहती थी। लेकिन उन्हे Uncontrolled Diabetes था इसलिए हम लिवर डोनेशन नहीं कर पाए। बच्चे को लिवर डोनेट करने का उसके पिता ने निर्णय लिया। जांच के बाद पिता का वजन अधिक होने के कारण उन्हें पहले फिट किया गया इसलिए 2 महिने बाद यह सर्जरी कराई गई।

वाडिया अस्पताल में कॉरपोरेट करते है बड़े पैमाने पर सीएसआर

वाडिया अस्पताल (Bai Jerbai Wadia Hospital) की सीईओ डॉ. मिनी बोधनवाला से जब The CSR Journal ने बात की तो उन्होंने बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट करने से बच्चे को नई जिंदगी मिली हैं। जिन बच्चों के माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैं, ट्रांसप्लांट सर्जरी के लिए बीमा कवरेज नहीं हैं। ऐसे परिवार के लिए CSR बहुत मददगार साबित होता है। Corporate Social Responsibility की मदद और वाडिया अस्पताल के प्रयासों द्वारा क्राउडफंडिंग और सीएसआर के जरिए बहुत फाइनेंसियल मदद मिली है। गौरतलब है कि लीवर की गंभीर बीमारी वाले मरीजों को ट्रांसप्लांट एक अच्छा विकल्प हैं। सिर्फ वयस्क ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में बच्चे भी लिवर ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। इसलिए लिवर डोनेट करना काफी जरूरी हैं। मनुष्य के शरीर में लिवर एक ऐसा अंग हैं जो विकसित होता रहता हैं।