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नागपुर में सीएसआर फंड जुटाने की चर्चा सिर्फ कागजों पर

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आज़ाद भारत में व्यवस्था की एक प्रणाली तय की गयी है। स्वास्थ्य हो या शिक्षा, स्थानीय स्तर पर सुविधा प्रदान करना जिला परिषद की अहम जिम्मेदारी होती है। अगर हम महाराष्ट्र के नागपुर की बात करें तो नागपुर जिला परिषद का कार्यक्षेत्र बड़ा है। Nagpur के ग्रामीण क्षेत्र में Education और Health सुविधा प्रदान करना जिला परिषद की अहम Responsibilities है जिसे निभाने के लिए भी जिला परिषद के पास पर्याप्त निधि नहीं है। अब सरकारी फंड का जहां अभाव होता है वहां सरकारी अमला इस कमी को पूरा करने के लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड का सहारा लेता है। दो साल पहले Corporate Companies से सीएसआर फंड (How to get CSR Fund) जुटाने के लिए जिला परिषद प्रशासन ने Corporates के साथ बैठक कर चर्चा की थी। लेकिन बात वहीं तक सीमित रह गई। उसे अमलीजामा पहनाने की दिशा में कोई पहल नहीं हुई।

नागपुर में सीएसआर फंड जुटाने की चर्चा सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गई

प्रशासन को उद्योजकों से संपर्क करने की सूचना दी गई थी, लेकिन प्रशासन ने भी मौन रहने से जिला परिषद सीएसआर फंड जुटाने में फिसड्डी रही। जिले के ग्रामीण क्षेत्र में हजारों उद्योग हैं। उद्योग के आस-पास के क्षेत्र में सीएसआर फंड से विकास करना संबंधित उद्योग समूह का सामाजिक दायित्व Social Responsibility of Corporates बनता है। लेकिन कॉरपोरेट्स अपने CSR से अपनी सामाजिक दायित्व निभाने की मानसिकता में नहीं है। गौरतलब है कि नागपुर जिला परिषद (Nagpur Zilla Parishad) की आमसभा में दो साल पहले विपक्ष ने उद्योजकों से संपर्क कर सीएसआर फंड का जिले के विकास (How to do development of district) के लिए उपयोग करने की मांग की थी, लेकिन उस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। Corporates के साथ बैठक कर सीएसआर फंड जुटाने की चर्चा कागजों में सिमटकर रह गई।

नागपुर जिला परिषद को नहीं मिला CSR और ना ही रिस्पॉन्स

दो साल में कॉरपोरेट्स के साथ Corporate Social Responsibility विषय पर एक बैठक तक नहीं हुई। बैठक में मुद्दा उठने पर चर्चा की औपचारिकता निभाई गई। दो साल में किसी उद्योग समूह को एक लेटर तक नहीं भेजा गया। नागपुर जिला परिषद में सत्ता पक्ष और प्रशासन ने सीएसआर फंड जुटाने की दिशा में कदम आगे नहीं बढ़ाने पर विपक्ष ने अपने स्तर पर प्रयास किए। बात करें बुटीबोरी एमआईडीसी की तो यहां 150 से अधिक उद्योग चालू स्थिति में है। क्षेत्र के बड़े उद्योग समूह इंडोरामा, सीएट (Ceat Tyre CSR), केईसी आदि कंपनियों को नेता प्रतिपक्ष ने कई बार पत्र देकर इलाके के स्कूलों में सीएसआर फंड से बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। लेकिन कंपनियों ने उन्हें ना CSR Funds दिया और ना कोई रिस्पॉन्स।