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खास संवाद: यूपी औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना के साथ

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उत्तर प्रदेश में तमाम औद्योगिक नीतियां बनी। इज ऑफ डूइंग बिज़नेस को सुधारा गया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर इन्वेस्टमेंट समिट किया गया। अड़ाणी, अंबानी हर कोई उत्तर प्रदेश में आया। लेकिन औद्योगिक विकास कितना हुआ इस मुद्दे पर बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद हैं उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना जी। नमस्कार जी, The CSR Journal में आपका बहुत बहुत स्वागत है। मेरा पहला सवाल –

उत्तर प्रदेश में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट को लेकर कितनी सफल नीतियां है, क्या वाकई में यूपी में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट हो रहा है, ख़ासकर इस कोरोना की महामारी में उत्तर प्रदेश के विकास के लिए इंडस्ट्रीज़ को आप आमंत्रित कर रहे हैं?

बहुत बहुत शुक्रिया, सबसे पहले मैं बताना चाहूंगा कि इंडस्ट्रीज के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि उसको एक अच्छा वातावरण मिले, एक अच्छा माहौल मिले। इज ऑफ डूइंग बिजनेस मिले, उनकी सुरक्षा हो, उनको संसाधन मिले, उनको क्वालिटी पावर सप्लाई मिले। उनके साथ मिलकर सरकार उनके हित के लिए काम करें और इंडस्ट्रीज जनता के लिए काम करें। यह सारी चीजें किसी भी इंडस्ट्रीज़ के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण होती हैं। 2017 में जब जब हमारी सरकार बनी उसके पहले जो उत्तर प्रदेश की छवि थी वह बहुत खराब थी। यह छवि पूरे देश और दुनिया के सामने थी। लोग कहते थे कि उत्तर प्रदेश अपहरण का प्रदेश है। लूट का प्रदेश है, भ्रष्टाचार का प्रदेश है इत्यादि इत्यादि। बहुत सारी बातें होती थी, लेकिन सौभाग्य से साल 2017 में जब हमारी सरकार आई और माननीय मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ जी ने अपना पदभार संभाला, उनका पहला यह वाक्य था कि उत्तर प्रदेश अब सुरक्षित प्रदेश है। उत्तर प्रदेश में क्राइम, क्रिमिनल और क्रिमिनल्स को संरक्षण देने के प्रति हमारी जीरो टॉलरेंस है। उत्तर प्रदेश में इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस करेंगे, उनके द्वारा कहा गया हर वाक्य और इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट द्वारा बनाई गई नीतियां नीतियों ने पूरे देश को उत्तर प्रदेश में आकर्षित किया। उत्तर प्रदेश का नाम एक पॉजिटिव डायरेक्शन में लेना शुरू किया गया। उसका प्रमाण 2018 फरवरी महीने में देखने को मिला जब देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश के सबसे बड़े इन्वेस्टमेंट समिट यानि उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन किया और उन्होंने जो कहा उसको हम धेय वाक्य माना और प्रधानमंत्री जी द्वारा दिखाए गए दिशा को हमने एक संकल्प के रूप में लिया और आगे बढ़े।

बड़े गर्व के साथ कह सकते हैं कि 5 महीने के अंदर ही बिजनेस की एक ग्राउंड़ब्रेकिंग की और 1 साल के भीतर एक दूसरी ग्राउंड़ब्रेकिंग की और जब हमने दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग की तब हमने पहले ग्राउंड बेकिंग में 81 इंडस्ट्रीज पार्टिसिपेट किये। हमने सबकी अद्यतन स्थिति प्रदर्शित किए, हर इंडस्ट्रीज के बारे में बताया कि इनकी प्रोडक्शन शुरू की जा चुकी है, इनकी प्रोडक्शन बाकी है। हर स्थिति को हमने देखा। पहले ऐसे कभी भी नहीं हुआ था। लगभग 25 फ़ीसदी से ज्यादा इएमयूज का परिवर्तन इंडस्ट्री के रूप में हुआ। उनमें से अधिकांश जगहों पर कमर्शियल प्रोडक्शन स्टार्ट हुआ। आज कोरोनावायरस के क्राइसिस में भी उत्तर प्रदेश में लोग विश्वास के साथ देख रहे हैं। कोरोना काल में हम तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर काम कर रहे हैं। सबसे पहली बात यह है कि जो वर्तमान में इंडस्ट्री है वह कठिनाई में थी, इंडस्ट्री भी कठिनाई में थी, मजदूर भी कठिनाई में था, हर व्यक्ति कठिनाई में है। पूरी दुनिया में यह वैश्विक बीमारी है, लेकिन उस कठिनाई को मजबूती के साथ कैसे आगे बढ़ाना है यह हमारी जिम्मेदारी थी। उस नाते से हमने जो इंडस्ट्रीज की हैंडहोल्डिंग किया। पहले इंडस्ट्रीज के सर्वाइवल की बात हुई, फिर उनके रिवाइवल की बात हुई, ताकि वह प्रगति की ओर आगे बढ़े। दूसरी बात जो हमारी पाइपलाइन में इंडस्ट्री है उनको हमने चेज किया कि भैया आइए और तीसरी बात कि हम नई इंडस्ट्री ला सकें, जो दुनिया से शिफ्ट हो रहे हैं, जैसे चाइना से, अब हम उनके लिए प्रयत्न कर रहे हैं।

औद्योगिक घरानों को लेकर योगी आदित्यनाथ जी ने मुंबई में बैठक की थी, मैं खुद उसको कवर कर रहा था, रतन टाटा हुए, अंबानी हुए, हर कोई वहां पर आया था और वहां पर योगी जी मंच से संबोधित कर रहे थे तो उनका कहना था कि आप आएं उत्तर प्रदेश में निवेश करें, आपको बेखौफ माहौल मिलेगा। योगी जी द्वारा बार-बार यह शब्द इस्तेमाल किया जाता था कि आप आइए उत्तर प्रदेश में आपको अराजकता नहीं मिलेगी, यह क्यों होता है। इतना अराजक है यूपी?

यह क्यों होता था, होता नहीं है। मुंबई में आप कवर करने गए थे, यह आप 2018 जनवरी की बात कर रहे हैं। 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। मैंने आपको स्वयं बोला कि योगी सरकार के पहले उत्तर प्रदेश की छवि बहुत धूमिल थी। बहुत खराब थी। पूरे देश भर में उत्तर प्रदेश को लेकर सोच नकारात्मक थी। पूरे इंडस्ट्रीज पर यही छवि थी। इन सारे छवियों को हमारी सरकार ने दूर करके दिखाया। हमारे मुख्यमंत्री जी ने सिर्फ कहा नहीं कि हम आप को सुरक्षित माहौल देंगे, सेफ एनवायरमेंट देंगे, उन्होंने यह कर दिखाया है। मैं बड़े प्रमाणिकता के साथ कह सकता हूं, उत्तर प्रदेश में किसी भी इंडस्ट्रियलिस्ट से कोई भी व्यक्ति, किसी भी प्रकार की, कोई भी बदतमीजी नहीं कर सकता। उनके साथ वसूली नहीं कर सकता।

जब यूपी समिट हुआ था तो कितने एमओयू साइन किए गए थे और इस वक्त उनकी मौजूदा हालत क्या है। कितना इन्वेस्टमेंट हो चुका है?

इन्वेस्टमेंट की बात करें तो लगभग 1050 एमओयू साइन हुए थे। उनमें से लगभग 400  एमओयूज ने अपना काम शुरू कर दिया है।

मैं कहीं देख रहा था जिसमें यह कहा गया है 1000 एमओयू साइन हुए हैं और 100 लोग अभी तक इन्वेस्टमेंट कर चुके हैं और आप चार सौ का आंकड़ा बता रहे हैं ?

नहीं-नहीं, चार सौ का आंकड़ा नहीं, आपने कहां पढ़ा यह मुझे जानकारी नहीं है। पहले 81 थे, उसके बाद 290 दूसरी बार में आए, साल 2019 जुलाई के बाद यह सब काम शुरू हुआ और लगभग 400 से ज्यादा इस्टैब्लिशमेंट काम कर रहे है कोरोना काल में बड़ी बात ये है कि आज पूरी दुनिया परेशान है। आज की तारीख में इन चुनौतियों को अगर हम अवसर के रूप में बदलेंगे तो बहुत अच्छा होगा। हम कोरोना क्राइसिस में भी बहुत मजबूती के साथ खड़े हैं। हम आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन हमारी पहली प्राथमिकता है व्यक्ति का स्वास्थ्य। जैसे-जैसे अनलॉक हुआ, कोरोना का प्रकोप बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसको भी हमें संभालना है। देखिए हर व्यक्ति के दिल में और दिमाग में कोरोना के लेकर आशंका है, चाहे कोई भी व्यक्ति हो, आप बैठे हैं तो आपके मन में होगा, मैं बैठा हूं तो मेरे मन में है। जब तक यह पूरी तरह से कोरोना की दिक्क्त रिजॉल्व नहीं हो जाता तब तक मार्केट पूरी तरह से नहीं खुलेगा, जो कंजूमर है उसको बाजार में आना पड़ेगा और जैसे-जैसे वह बाजार में आएगा इंडस्ट्रीज भी अपना काम करेंगे। इन सबके बीच मार्केट में चहल-पहल भी है। बाजार भी खुल रहे हैं, आप मीडिया कर्मी भी दिखा रहे हैं लेकिन हमें हर चीज देखनी है। हमें लोगों की सुरक्षा भी देखनी है, इंडस्ट्री की ग्रोथ भी देखनी है। कोरोना काल कब नार्मल होगा ऐसे ही सवाल हमारे एक पत्रकार मित्र ने पूछा तो मैंने जवाब दिया कि मैं उस व्यक्ति को ढूंढ रहा हूं जो मुझे बता सके कि कोरोना से जंग कब खत्म होगा और कब चीजें नॉर्मल हो जाएंगे। देखिये मैं यह साफ तौर पर कहूंगा और ये सच्चाई है और अगर जो हम इसी फैक्ट और सच्चाई के साथ आगे बढ़ेंगे तो हम अपने लक्ष्य तक पहुंचेंगे। आज की हमारी पहली प्राथमिकता बिजनेस को खड़ा करना है और उसके बाद बाहर से इंडस्ट्रीज लाना है।

आप बाहर से इंडस्ट्रीज लाने की बात कर रहे हैं, चाइना से इंडस्ट्रीज, साउथ कोरिया से इंडस्ट्रीज, उत्तर प्रदेश में जो संभावनाएं है उसको आप कैसे देखते हैं और विदेशी इंडस्ट्रीज को उत्तर प्रदेश सरकार किस तरह से एक अनुकूल प्लेटफार्म देगी?

देखिए इनवेस्ट और एडवांटेज यूपी के नाते से हम इंडस्ट्रीज को एक बेहतर माहौल देंगे। एडवांटेज यूपी को हम प्रोजेक्ट कर रहे हैं। यूपी में आने के बाद आपको क्या एडवांटेज है, इसको हम फोकस कर रहे हैं। हम इंडस्ट्रीज को बताएंगे कि यूपी में क्या एडवांटेज है। हमारे पास फर्टाइल लैंड है। हमारे पास ग्राउंड वॉटर रिसोर्सेस है। हम एनसीआर के सबसे महत्वपूर्ण पार्ट है। हमारे पास एक्सप्रेसवे का सबसे अच्छा और सबसे बड़ा नेटवर्क है। गंगा एक्सप्रेसवे आ जाएगा तो वी विल बी द लार्जेस्ट एक्सप्रेसवे इन द कंट्री। हमारे पास बड़े पैमाने पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट हैं। जेवर का एयरपोर्ट शुरू करने जा रहे हैं, कुशीनगर एयरपोर्ट का काम चालू है। हमारे पास अमृतसर कोलकाता कॉरिडोर, दिल्ली मुंबई कॉरिडोर है जो इंटरसेप्ट यूपी में होती है। यह सारी सुविधाएं हैं जो उत्तर प्रदेश के लिए बहुत बड़ा एडवांटेज है। ऐसे ही रियल इस्टेट प्रोजेक्ट है। बहुत सारे लोगों ने कहा कि हम इंडस्ट्री लगाना चाहते हैं, उनको जमीन चाहिए होती है, उनको उनकी आवश्यकता अनुसार हम उनको जमीन प्रोवाइड करते हैं। हमारे पास उत्तर प्रदेश में बहुत जमीन है। इंडस्ट्री में कई कारण होते हैं, इंडस्ट्री में कोई एक कारण नहीं होता। सरकार से संबंधित जो कारण है, इज ऑफ डूइंग बिजनेस से संबंधित जो कारण है, उसको हम जल्द से जल्द एड्रेस कर रहे हैं और हम अपने इंडस्ट्रीज को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

आप बड़े बड़े दावे कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में इंडस्ट्राइलाइजेशन बड़े पैमाने पर हो रहा है, लेकिन अगर हम रोजगार की बात करें तो बड़े पैमाने पर बेरोजगारी उत्तर प्रदेश में हैं। क्यों आखिरकार जब इतने बड़े पैमाने पर इंडस्ट्राइलाइजेशन होता है, तो रोजगार की कमी क्यों है? क्यों लोग मजबूर हो रहे हैं बड़े शहरों में चाहे वह दिल्ली हो या मुंबई हो मजदूर जाने के लिए मजबूर क्यों हो रहे हैं? इस कोरोना काल में अकेले मुंबई से 40 लाख मजदूर वापस आए?

ऐसा नहीं है, उत्तर प्रदेश में भी लोग रोजगार की तलाश में आते हैं। आप 40 लाख मजदूरों की बात कर रहें है तो मैं ये भी बता दूँ कि उत्तर प्रदेश में भी बहुत सारे स्टेट से लोग काम करने आते हैं। रियल इस्टेट इंडस्ट्री की बात करें रियल इस्टेट इंडस्ट्री में बिहार से, झारखंड से लोग आते हैं उत्तर प्रदेश में काम करने के लिए। देखिये बड़े शहरों का अपना ही एडवांटेज होता है। मुंबई बहुत पुराना डिवेलप शहर है। इंडस्ट्रियल हब टाउन है, पूरे देश का कमर्शियल कैपिटल माना जाता है। दिल्ली को उसका कैपिटल होने का सौभाग्य है। गुजरात भी प्रकृति से भरा है, यह सारे स्टेट चाहे वह कर्नाटका हो, महाराष्ट्र या अन्य कोई राज्य, ये राज्य तरक्की किये। उत्तर प्रदेश पिछड़ा हुआ था, उत्तर प्रदेश में लोग आने के लिए तैयार नहीं थे लेकिन अब वास्तविकता बदली है। आज लोग उत्तर प्रदेश में आने के लिए तैयार हुए हैं। उत्तर प्रदेश में जो 40 लाख मजदूर आए हैं उनको रोजगार देने का काम उत्तर प्रदेश सरकार कर रही है। उनके क्षमता के अनुसार, उनके काम के अनुसार, उनको रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं। हम इंडस्ट्रीज के साथ मजदूरों का मैच मैचिंग का काम कर रहे हैं। मैं यहां पर फिर से कहूंगा कि फिलहाल क्राइसिस है, आज की तारीख में अगर कोई यह बात कहे कि हम पूरा क्राइसिस को खत्म कर चुके हैं तो मैं यह बात नहीं मानूंगा। यह पूरा वैश्विक महामारी है जिससे पूरी दुनिया से जूझ रही है।

चाइनीस एप्स बंद हो चुके हैं। चाइनीस प्रोडक्ट को बैन करने के लिए देश में लगातार मुहिम चल रहा है। चाइना के खिलाफ लगातार बातें हो रही हैं और आप लोग चाइनीज कंपनियों को आमंत्रित कर रहे हैं?

किसको हमने आमंत्रित किया, किसको आगमन दिया है। अभी तक हमने किसी को नहीं आमंत्रित किया है। देखिए यहां पर एक बार में फिर से कहना चाहूंगा कि जो कंपनियां विदेशों से आएंगी, तो हम मौका देंगे लेकिन जो चीजें चाइना से इंपोर्ट हो रही थी वो अब नहीं हो रहीं है। यहां पर मैं छोटा सा उदाहरण देना चाहूंगा, पहले लोग कहते थे कि हम चाइना से मंगा लेंगे। वहां पर सस्ता पड़ेगा। जब से यह कोरोना का क्राइसिस शुरू हुआ, एक हमने शुरू शुरू में शब्द सुना पीपीई किट। आप तो खूब कॉमन हो गया, मेडिकल साइंस से जुड़े हुए लोगों को ही पता था कि पीपीई किट क्या होता है। आम आदमी को पीपीई के बारें में नहीं मालूम था कि पीपीई किट होती क्या चीज है। आज की तारीख में पीपीई किट हमारे देश में, हमारे प्रदेश में, हमारे शहर में, बन रही है वो भी उससे अच्छी क्वालिटी, उससे सस्ती। जो मास्क हम लोगों ने लगाया हुआ है, एन 95 मास्क, बड़ी तेजी से प्रचलन में चला। अगर एन 95 मास्क वहां से नहीं आएगा, तो काम नहीं चलेगा। छोटी-छोटी चीजें हम इंपोर्ट करते थे। सैनिटाइजर तक इंपोर्ट करते थे। आज हमारे देश में सैनिटाइजर की बेहतर से बेहतर क्वॉलिटी और भारी मात्रा में मौजूदगी है। हमने अखबार में पढ़ा कि अमेरिका भारत को 50 या 100 वेंटिलेटर देगा, हमारे लिए बहुत बड़ी बात थी कि अमेरिका हमें वेंटिलेटर दे रहा है। आज उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में क्वालिटी के वेंटिलेटर बन रहे हैं और सस्ते दामों पर बन रहें हैं। वह भी अपडेटेड नई टेक्नोलॉजी के साथ। जो चीजें हम चाइना से इंपोर्ट करते थे, आज वह हम अपने प्रदेश में बना रहे हैं। अपने इंडस्ट्री में बना रहे हैं। तो यह जो मिथ्या था उसको हमने तोड़ा है। इस कोरोना ने कठिनाई भी दी है, परेशानी भी दी है, लेकिन बहुत बड़ा अवसर भी दिया है।

उत्तर प्रदेश में रोजगार भी भारी कमी है, इससे निपटने के लिए योगी जी ने पूरे प्रदेश के युवाओं को एक करोड़ रोजगार देने का लक्ष्य रखा है, कैसे ये संभव हो पायेगा, कोई रोडमैप आप लोगों ने बनाया है ?

मैं यहां पर बताना चाहूंगा कि अगर सिर्फ हम इंडस्ट्री की बात करें तो, वहां पर सारे के सारे लोग काम नहीं करते। इंडस्ट्री में 15 से 20 फ़ीसदी लेबर काम करते हैं। बड़े पैमाने पर एग्रीकल्चर सेक्टर में, ग्रामीण क्षेत्र में लोग काम करतें हैं। लोग बड़े पैमाने पर अनऑर्गनाइज़ सेक्टर में काम करतें हैं। एक उदाहरण के तौर पर मैं आपको बताना चाहूंगा, जैसे आप कानपुर में रहते हैं, किसी होटल का नाम आप ले लीजिए, होटल में काम करने वालों की संख्या 200-300 होगी। अच्छे होटल की। बात एक सामान्य होटल की करें जो खाना वगैरह खिलाते हैं, उसमें 25-30 लोग काम करते हैं। यहां पर हर दुकानों में जितनी दुकानें होंगे वहां पर एक-दो, तीन-चार लोग काम करते हैं। कोई नाई का काम करता है, फार्च्यून की दुकानों पर काम होता है सारे लोग जो बाहर से आए हैं वे सभी इंडस्ट्री में काम करने वाले लोग नहीं आए हैं। कोई वहां पर ठेला लगाता था। कोई अपनी स्किल के हिसाब से काम करता था। कोई दुकान में काम करता है तो कोई मॉल में काम करता था। यह सारे के सारे लोग एक इंडस्ट्री में समायोजित हो जाए ऐसा नहीं है। ऐसे में रोजगार कहां मिला, मनरेगा में मिला,  रोजगार कहां मिला जो इंडस्ट्री पूरी तरह से बंद हो चुकी थी वह फिर से शुरू हो गई वहां रोजगार मिला। रोजगार कहां मिला, जो कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज बंद हो चुकी थी, वह फिर से शुरू हुई, वहां मिला। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जो बंद था अब शुरू हो गया, वहां रोजगार मिला। इस सारे एक्टिविटीज को मिलाकर प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।

आप इतनी खूबियां गिनवा रहें है और विपक्ष अभी भी आरोप लगाता है कि इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट नहीं हुआ है। इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर राज्य अभी भी पीछे है। लोगों के पास पैसे नहीं है, कोरोना वायरस ने लोगों को कंगाल कर दिया है, आप लोगों के पास जवाब क्यों नहीं रहता?

अभी आपने कुछ देर पहले पूछा था कि सफाई देने की जरूरत क्यों पड़ी, इसका जवाब मैंने दिया था। पहले कहा जाता था कि सब कुछ सही है, सब कुछ सही होगा, विपक्ष द्वारा बार बार लोगों के मन में एक भय, एक खौफ पैदा करने की कोशिश लगातार होती रहती है। पहले प्रदेश में व्यापार नहीं आता था।इंडस्ट्रीज नहीं आती थी। किसकी सरकार थी, अपहरण, लूट, किसकी सरकार में होता था। इनकी सरकार में होता था। इंडस्ट्री से दुश्मनी इन्हीं की सरकार में होती थी। यह लोग अभी भी उसी माइंडसेट में हैं। मैंने एक का सिनेमा देखा था, फिल्म का नाम था सदमा। श्रीदेवी ने बहुत अच्छा काम किए, वह 8 साल की थी, उनके सिर पर चोट लग जाती है, तो वह उसी काल में रहती हैं। यह इन राजनीतिक दलों को इतना बड़ा सदमा लगा हुआ है, बड़ा सदमा प्रदेश की जनता ने दिया है कि उस सदमे में पिछला सब कुछ याद है, वही बात ये लोग बार-बार बोलते हैं।

जनता को सदमा तब लगा, जब विकास दुबे और उसके गुर्गो द्वारा हमारे पुलिसकर्मियों पर अटैक किया गया। इतने बड़े पैमाने पर इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया गया। उज्जैन पुलिस द्वारा विकास दुबे गिरफ्तार हुआ, उत्तर प्रदेश पुलिस विकास की गिरफ़्तारी में नाकाम रही। उसके बाद उसका उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा, एसटीएफ द्वारा एनकाउंटर कर दिया गया। मामला कानपुर का है। आप कानपुर से बिलॉन्ग करते हैं, क्या अब उत्तर प्रदेश में न्याय प्रणाली इसी तरह से होगी?

जैसा आपने कहा कि सभी को सदमा लगा, वैसा मुझे भी सदमा लगा, इतनी बड़ी घटना वह भी वेल प्लांट तरीके से किया गया, ये घटना बहुत ही वीभत्स थी। लेकिन उसको उसी तेजी के साथ हमारे मुख्यमंत्री जी ने हैंडल किया। जिन्होंने जैसा किया, वैसा भुगतेंगे। बहुत कम समय के अंदर सारे लोगों को सजा मिली। जो उनके साथ होनी चाहिए थी। आज अगर कोई कानून को हाथ में लेने का साहस कर सकता है, तो कानून के हाथ इतने मजबूत है कि जिस प्रकार की उनकी सजा होनी चाहिए उस हिसाब से उनको सजा दी गई ताकि आगे आने वाले समय में उनकी पीढ़ी भी पछतावा करें और कोई भी अपराध करने जा रहा है तो वो करने से पहले सोचें।

विकास दुबे के एनकाउंटर पर लगातार सवाल खड़े किए गए ?

एनकाउंटर के ऊपर सवाल हमेशा किए जाते हैं। आज देश और प्रदेश की जनता खुश है। लोकतंत्र में जनता से बड़ा ओपिनियन देने वाला कोई नहीं हो सकता। आप किसी भी जनता से पूछिए, आप कैमरा लेकर जाइए, मैं आपसे निवेदन करता हूं कि किसी भी राजनीतिक और विपक्षी दलों को छोड़करआप आम जनता के बीच जाइए और पूछिए उनसे क्या विकास दुबे के एनकाउंटर पर वह प्रसन्न है, वह कहेंगे, हां। अगर कोई अपराधी भागने की कोशिश करेगा, बंदूक छीनने की कोशिश करेगा, कभी-कभी इंसान की ताकत नहीं होती, लेकिन मन स्थिति ऐसी होती है कि वह कुछ भी कर गुजरता है।

क्या उत्तर प्रदेश में अब इसी तरीके से न्याय होगा, जिस तरह से विकास दुबे के साथ हुआ?

प्रदेश में न्याय के तरीके से न्याय होगा। सिद्धांत के तरीके से न्याय होगा।

एक आखिरी मुद्दे पर हम आपसे बात करना चाहते हैं, सीएसआर यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी, उत्तर प्रदेश में सीएसआर का जो दायरा है वह कम होता जा रहा है। दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में सीएसआर के ज्यादा खर्च होते हैं। साउथ में चले जाएंगे तो तमिलनाडु और तमाम राज्यों में ज्यादातर सीएसआर का पैसा खर्च होता है, उत्तर प्रदेश में कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी को बढ़ाने के लिए आप लोग क्या पहल कर रहे हैं?

कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी का जो कानून है वह बहुत अच्छा है। भारत सरकार कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी, सीएसआर पर जोर दे रही है।  भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी लगातार इस पर जोर दे रहे हैं। कॉर्पोरेट्स को अपने प्रॉफिट में से 2 परसेंट खर्च करना होता है। बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश में इंडस्ट्रीज सीएसआर के तहत काम कर रही हैं। पिछले दिनों सैमसंग इंडस्ट्रीज ने स्वास्थ्य विभाग के लिए एंबुलेंस दिए हैं, जो पूरी तरह से सुसज्जित थी। मेरे निवेदन के बाद बहुत सारी कंपनियों ने स्कूलों में सीएसआर फंड का इस्तेमाल किया है। माननीय मुख्यमंत्री जी के सुझाव के बाद सीएसआर का पैसा टॉयलेट पर भी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर खर्च हुए हैं। दूसरे राज्य सीएसआर में आगे इसलिए है क्योंकि वहां बहुत पहले से ही इंडस्ट्रीज है। उत्तर प्रदेश में इस तरह की इंडस्ट्रीज जो पहले नहीं हुआ करती थी, अब आ रही हैं। जैसे जैसे वह आ रही है, उत्तर प्रदेश में सीएसआर का दायरा बढ़ता जा रहा है। इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर हम सीएसआर पर लगातार काम कर रहे हैं ताकि जरूरतमंद इलाकों में बड़े पैमाने पर विकास के काम हो सकें और सीएसआर को लेकर सरकार प्रगतिशील है।