पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित अटारी रेलवे स्टेशन, भारत और पाकिस्तान की सीमा पर बसा एक ऐतिहासिक स्थल आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। वजह यह है कि यह भारत का एकमात्र ऐसा रेलवे स्टेशन है जहां भारतीय यात्रियों को प्रवेश के लिए पासपोर्ट और वीज़ा की आवश्यकता होती है।
भारत का रेलवे स्टेशन, जहां भारतीयों को लगता है वीजा-पासपोर्ट
इंडियन रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेलवे में शुमार है। भारत में कुल 7325 रेलवे स्टेशन हैं, जिनके नाम आप शायद जानते भी नहीं होंगे। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है, जहां जाने के लिए वीजा और पासपोर्ट दोनों लगते हैं। जी हां, ये वो स्टेशन है, जहां पहुंचने के लिए भारतीयों को पाकिस्तानी वीजा की जरूरत पड़ती है। इस वीजा के बिना आप यहां कदम भी नहीं रख सकते। इस स्टेशन को अटारी श्याम सिंह रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता है। स्टेशन पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित है, जो उत्तर रेलवे के फिरोजपुर रेलवे के अधिकार क्षेत्र में आता है। ये जगह भारत का हिस्सा है, लेकिन यहां जाने के लिए पकिस्तान से अनुमति लेनी पड़ती है। जो लोग मेंटेनेंस के काम से जाते हैं, या फिर जिनको इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाती है, उन्हें भी सरकारी इजाजत मिली होती है।
आर्टिकल 370 खत्म होते ही बंद हुआ अटारी स्टेशन
दरअसल, अटारी रेलवे स्टेशन भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली प्रसिद्ध समझौता एक्सप्रेस (Samjhauta Express) का अंतिम भारतीय स्टेशन है। यह ट्रेन पहले दिल्ली से लाहौर (पाकिस्तान) तक चलती थी, और उसका अंतिम भारतीय पड़ाव अटारी स्टेशन ही था। ये स्टेशन 8 अगस्त 2019 को बंद कर दिया गया था, उस समय से ही समझौता एक्सप्रेस को भीबंद कर दिया गया। ये कदम पाकिस्तान की ओर से उठाया गया था और इसके पीछे की वजह थी जम्मू कश्मीर के आर्टिकल 370 का खत्म होना। जिस दौरान ये ट्रेन अटारी स्टेशन से जाया करती थी, तब यात्रियों की अच्छे से चेकिंग की जाती थी और कुछ मिनट के बाद पकिस्तान के पहले स्टेशन वाघा पर भी दोबारा से चेकिंग होती थी।
Immigration & Customs Check Post के रूप में आज भी कार्यरत
हालांकि 2019 में भारत-पाक संबंधों में तनाव बढ़ने के बाद यह सेवा स्थगित कर दी गई, लेकिन स्टेशन आज भी सीमा पार यात्रा नियंत्रण बिंदु (Immigration & Customs Check Post) के रूप में कार्यरत है। अगर आप इसका टिकट खरीदना चाहते हैं, तो पहले आपको पासपोर्ट नंबर देना होगा। असल में, इस रेलवे स्टेशन को अब तक समझौता एक्सप्रेस के लिए ही खोला जाता रहा है। शायद आप जानते ना हो, लेकिन अगर ये ट्रेन लेट होती थी, तो पाकिस्तान और भारत, दोनों के ही रजिस्टर में ट्रेन एंटी लिखी जाती थी। हालांकि, आपको दिल्ली-अटारी एक्सप्रेस, अमृतसर-अटारी डीईएमयू, जबलपुर-अटारी स्पेशल ट्रेन, आदि भी यहां देखने को मिलेंगी, लेकिन इनमें से कोई अटारी-लाहौर लाइन से नहीं गुजरती।
क्यों लगता है पासपोर्ट और वीज़ा
अटारी स्टेशन पर सामान्य भारतीय नागरिक बिना अनुमति या वैध दस्तावेज़ों के प्रवेश नहीं कर सकते। यहां पहुंचने के लिए यात्रियों को पासपोर्ट और पाकिस्तान का वीज़ा अनिवार्य रूप से दिखाना पड़ता है, क्योंकि यह स्टेशन सीमा क्षेत्र के अत्यंत संवेदनशील हिस्से में आता है। रेलवे और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अनुसार, यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा नियंत्रण क्षेत्र में आता है, जहां विदेश यात्रा से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। बिना अनुमति के अटारी स्टेशन में प्रवेश करने पर भारतीय रेलवे के नियम और फॉरेन एक्ट के सेक्शन 14 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और गिरफ्तारी भी हो सकती है। यहां केवल वही लोग प्रवेश कर सकते हैं जिन्हें पाकिस्तान के लिए ट्रेन पकड़नी है। अन्य लोगों या बिना वैध वीज़ा वाले कुलियों तक को प्रवेश की अनुमति नहीं है।
अटारी स्टेशन का इतिहास
अटारी रेलवे स्टेशन का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था और इसका उद्देश्य भारत को लाहौर और आगे अफगानिस्तान तक जोड़ना था। आजादी के बाद यह सीमा स्टेशन बन गया। यहां से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान का वाघा रेलवे स्टेशन स्थित है, जहां रोजाना वाघा-अटारी बॉर्डर पर Beating The Retreat Parade देखने के लिए हजारों पर्यटक आते हैं। अटारी पंजाब की तरफ से हिंदुस्तान का आखिरी रेलवे स्टेशन है। इसके एक ओर अमृतसर तो दूसरी तरफ लाहौर है। ये स्टेशन ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन इसकी भूमिका बहुत बड़ी है। ट्रेन बंद होने के बाद भी इस स्टेशन पर काम चलता रहता है, लेकिन फिर भी लोगों को आसानी से जाने की अनुमति नहीं है।
स्थानीय लोगों की परेशानी
स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्टेशन के आस-पास का इलाका भले ही भारतीय सीमा में आता है, लेकिन सुरक्षा नियम इतने सख्त हैं कि बिना अनुमति किसी को प्रवेश नहीं मिलता। कभी माल से लदे ट्रकों से गुलज़ार रहने वाला, अटारी में भारत का पहला भूमि बंदरगाह, जो 2012 में भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थापित किया गया था, लगभग वीरान है। 120 एकड़ में फैले इस बंदरगाह का उद्देश्य माल और यात्रियों की आवाजाही के लिए सुरक्षित, निर्बाध और कुशल व्यवस्था प्रदान करना था। लेकिन फरवरी 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुई आतंकी घटना के बाद, जब भारत ने पाकिस्तान से सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र का दर्जा वापस ले लिया, जो सर्वोत्तम पहुंच की शर्तें प्रदान करने की एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था है, द्विपक्षीय व्यापार ठप हो गया। दोनों पड़ोसियों के बीच व्यापार रुकने के बाद से, अफ़ग़ानिस्तान से माल की आवाजाही बहुत कम हुई है, जो सीमावर्ती अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भर लोगों और व्यवसायों के लिए बहुत कम है।
भारत ने पाकिस्तानी सामानों पर आयात शुल्क में 200 प्रतिशत की वृद्धि भी की है। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के भारत के कदम के बाद, पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी प्रत्यक्ष व्यापारिक संबंध समाप्त कर दिए। दोनों पड़ोसियों के बीच बिगड़ते संबंधों ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है और स्थानीय लोगों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है।
विभाजन में बिछड़े परिवारों के पुनर्मिलन का साक्षी
अटारी रेलवे स्टेशन ने दोनों देशों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने न केवल माल के आवागमन को सुगम बनाया, बल्कि 1947 के भारत विभाजन के दौरान बिछड़े परिवारों के पुनर्मिलन में भी अहम योगदान दिया। 2019 में अटारी स्टेशन से समझौता एक्सप्रेस का परिचालन बंद होने के बावजूद, यह स्टेशन विभाजन और एकता, दोनों का मार्मिक प्रतीक बना हुआ है। इसका इतिहास क्षेत्र की सांस्कृतिक और भावनात्मक कड़ियों से गहराई से जुड़ा है, जो इसे मात्र एक पारगमन स्थल से कहीं अधिक बनाता है। यह आज भी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की जटिलताओं और उन्हें पार करने वाले स्थायी मानवीय संबंधों का साक्षी बना हुआ है।
अटारी स्टेशन केवल एक रेलवे पॉइंट नहीं, बल्कि यह भारत-पाक विभाजन के इतिहास, सीमा की संवेदनशीलता और दोनों देशों के बीच वर्षों से चली आ रही कूटनीतिक जटिलताओं का जीवंत प्रतीक बन चुका है।
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