देशभक्ति के लिए कॉरपोरेट कंपनियां खर्च करेंगी अपना पैसा, जब से CSR के तहत ये Corporate Companies को छूट मिली है तब से बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी फंड का पैसा इस्तेमाल कर राष्ट्रीय ध्वज़ बनाने और उन्हें खरीदने का काम जारी है। ‘हर-घर तिरंगा’ अभियान लाखों परिवारों की आय का जरिया भी बन गया है। कोविड काल में मास्क तैयार करने की मुहिम से जिस तरह सैकड़ों समूहों, संगठनों ने अलग पहचान बनाई थी, तिरंगा तैयार करने में लोग उसी तरह जुटे नजर आ रहे हैं।
देश के हजारों स्वयं सहायता समूहों और अन्य तमाम लोगों को बड़ी मात्रा में तिरंगा तैयार करने का ऑर्डर मिल रहा है। चाहे सरकार हो या कॉरपोरेट कंपनियां तिरंगा बांट कर ‘हर-घर तिरंगा’ अभियान को सफल बनाने में जुट गयी है। कंपनियों को Corporate Social Responsibility (सीएसआर) फंड से अभियान पर खर्च करने की इजाजत और राजनीतिक दलों के अभियान से जुड़ने की प्रतिस्पर्धा ने झंडे की डिमांड का माहौल तैयार कर दिया है। देश में तिरंगा तैयार करने से ही 750 करोड़ से अधिक का कारोबार होने का अनुमान है।
मुंबई में बीएमसी द्वारा 35 लाख तिरंगे का किया जाना है वितरण
हर घर तिरंगा अभियान के तहत मुंबई में भी हर घर हर जगह पर तिरंगा फहराकर कर आजादी का भव्य जश्न मनाया जाएगा. मुंबई में 13 से लेकर 15 अगस्त तक मरीन ड्राइव पर तिरंगे को लेकर अलग अलग कार्यक्रम भी बीएमसी द्वारा किए जाएंगे. पहल के तहत मुंबई के 24 प्रभागों में मुंबईकरों और संस्थानों को 35 लाख राष्ट्रीय ध्वज वितरित करने का फैसला लिया गया है।
देश के इन राज्यों में हैं राष्ट्रीय ध्वज फहराने का ये लक्ष्य
योगी सरकार ने प्रदेश भर में साढ़े चार करोड़ से अधिक भवनों पर तिरंगा फहराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए तय हुआ है कि 40 करोड़ रुपये से झंडे खरीदे जाएंगे। इसमें 30 करोड़ रुपये पंचायती राज विभाग, जबकि दस करोड़ रुपये नगर विकास विभाग खर्च करेगा। सरकार ने प्रति झंडा 20 रुपये कीमत तय की है। इस तरह साढ़े चार करोड़ झंडे की खरीद-बिक्री पर करीब 90 करोड़ रुपये खर्च होने वाले हैं। यह पूरी रकम छोटे मझोले उद्योगों और स्वयं सहायता समूहों आदि के जेब में जाने वाली है।
उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के सभी 20 लाख घरों में तिरंगा फहराने की तैयारी का निर्देश दिया है। अभियान को लेकर पार्टियां भी अपने तरीके से जुटी है। इस तरह 5 करोड़ से अधिक का कारोबार होने वाला है। छत्तीसगढ़ सरकार का 60 लाख घरों तक तिरंगा पहुंचाने का लक्ष्य है। एमपी व हरियाणा सरकार भी मुहिम में जुटी है। दक्षिण गुजरात की मिलों को 10 करोड़ तिरंगा बनाना है, जिसे समय पर पूरा करने के लिए मिलों में लाखों श्रमिक रात दिन काम कर रहे हैं।
सरकार और सरकारी एजेंसियों के साथ PSU और कॉरपोरेट भी सीएसआर से तिरंगा बांटने में जुटी
पीएम नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव पर्व के उपलक्ष्य में 13 से 15 अगस्त तक हर-घर तिरंगा फहराने का आह्वान किया है। जब देश के प्रधानमंत्री ने ही आव्हान किया है तो इसे सफल बनाने में क्या सरकार, क्या एजेंसियां और क्या PSU और कॉरपोरेट हर कोई ‘हर-घर तिरंगा’ अभियान से जुड़ चुका है। PSU Coal India और अन्य कोयला कंपनियां तिरंगा उत्पादन और वितरण में जुटी हैं। एनसीएल सरकार द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के तहत शुरू किए गए हर घर तिरंगा अभियान को घर-घर तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। एनसीएल अपने कर्मी, संविदा कर्मियों, स्कूली बच्चों व आसपास के लोगों को 36 हजार से अधिक तिरंगा झंडा उपलब्ध करा रही है, जिससे अधिक से अधिक लोग इस मुहिम से जुड़ सकें।
‘हर-घर तिरंगा’ सीएसआर अभियान से लाखों परिवारों को रोजगार भी मिल रहा है
एक आकड़ों की मानें तो ‘हर-घर तिरंगा’ अभियान में 750 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। अभियान के दौरान केवल झंडे की खरीद पर 750 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने वाले हैं। इसमें सरकारी, गैर सरकारी व Corporate स्तर से खर्च होने वाली धनराशि शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने देश के सभी 25 करोड़ घरों में तिरंगा फहराने का लक्ष्य तय किया है। जानकार बताते हैं कि तैयारी के लिहाज से तिरंगे की आवश्यकता इससे अधिक पड़ने वाली है।‘हर-घर तिरंगा’ अभियान से लाखों परिवारों को रोजगार भी मिल रहा है।