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महाराष्ट्र सरकार के कार्यशैली पर सवाल! कोविड रिलीफ के 75 फीसदी रकम को नहीं किया खर्च

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महाराष्ट्र सरकार पर विपक्ष हमेशा से निष्क्रियता का आरोप लगाता रहता है। ये खबर महाराष्ट्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है। सरकारों की यही दिक्क्त होती है कि विकास के कामों की जब डिमांड जनता करती है तो सरकार फंड और पैसों के कमी का रोना रोती है। लेकिन जब पैसे आते है तो खर्च ही नहीं किया जाता है। महाराष्ट्र सरकार ने भी कुछ ऐसे ही रवैया दिखाया है। कोरोना काल में न सिर्फ आम जनमानस की आर्थिक दुश्वारियां थी बल्कि सरकारों ने भी आर्थिक तंगी दिखाते हुए सीएम रिलीफ फंड में दान करने की अपील की थी। ताकि कोविड के खिलाफ जंग में कोई आर्थिक रुकावटें न आये।

महाराष्ट्र सरकार की कार्यशैली पर सवाल

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की एक अपील के बाद जमकर राज्य की आम जनता, ट्रस्ट, कॉरपोरेट्स ने उदार दिल दिखाते हुए खूब दान दिया। लेकिन हैरानी की बात ये है कि महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने Covid Relief के लिए ये रकम खर्च ही नहीं किया। दरअसल मुख्यमंत्री सचिवालय ने Chief Minister’s Relief Fund (COVID 19) की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी है। सचिवालय की माने तो Chief Minister’s Relief Fund (COVID 19) में अब तक कुल 799 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं। जिसमें से अब 606 करोड़ रुपये राशि बचे हैं और कोविड रिलीफ के लिए महज 192 करोड़ रुपये ही खर्च किये गए है।

75 फीसदी रकम को खर्च ही नहीं किया गया

कोविड राहत के लिए महाराष्ट्र सरकार के CM’s Relief Fund के आकड़ों का आकलन करें तो कोरोना से लड़ने के लिए महज 25 फीसदी रकम ही खर्च किये गए है। 75 फीसदी रकम को खर्च ही नहीं किया गया है। The CSR Journal ने आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली से बात की, अनिल गलगली ने बताया कि “चूंकि फंड सिर्फ कोविड मकसद के लिए है, इसलिए अब तक 100 फीसदी खर्च करना जरूरी था, लेकिन सरकार ने 25 फीसदी फंड ही सिर्फ खर्च किया है तो आखिर 606 करोड़ रुपये जमा रखने का मकसद क्या है? इसे सार्वजनिक करने की जरूरत है, उद्धव सरकार को ये फंड CSR के तहत विकास के लिए खर्च करना चाहिए”।

25 फीसदी ही हुआ CM’s Relief Fund ख़र्च

जमा की गई राशि में से खर्च की ब्‍यौरों को समझें तो 192 करोड़ 75 लाख 90 हजार 12 रुपये में से 20 करोड़ रुपये चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा सेंट जॉर्ज अस्पताल में कोविड के लिए एक विशेष आईयूआई सेटअप के लिए खर्च किए गए हैं। कोविड की 25 हजार जांच के लिए आरटीपीसीआर मशीन की उपभोग्य सामग्रियों को खरीदने के लिए 3 करोड़ 82 लाख 50 हजार खर्च किए गए। औरंगाबाद जिले में रेल दुर्घटना में मारे गए श्रमिकों के वारिसों को 80 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई। प्रवासी मजदूरों के रेल शुल्क के लिए 82 करोड़ 46 लाख 94 हजार 231 खर्च किए गए। 18 सरकारी मेडिकल कॉलेजों, 4 मनपा मेडिकल कॉलेजों और 1 टीएमसी मेडिकल कॉलेज को प्लाज्मा थेरेपी टेस्ट कराने के लिए 16.85 करोड़ रुपये दिए गए। इसके अलावा भी कुछ खर्च किये गए।

ये है कुछ Top Corporates जिन्होंने CM’s Relief Fund दिया है दान

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की मानें तो CM’s Relief Fund में सीएसआर यानी Corporate Social Responsibility Fund के तहत भी महाराष्ट्र के कॉरपोरेट्स ने सहायता की है। CM’s Relief Fund के आधिकारिक वेबसाइट पर टॉप डोनर्स पर नज़र डालें तो देखेंगे कि तमाम फॉउण्डेशंस, ट्रस्ट, कॉरपोरेट्स ने दान दिए है। इनमें से कोटक महिंद्रा, मैनकाइंड फार्मा, एशियन पेंट्स, GVK, P&G जैसे Top Corporates शामिल है। बहरहाल जिस तरह से मुख्यमंत्री राहत कोष में रकम जमा हुई है, उसी तरह सरकार को भी जनता की भलाई के लिए खर्च करना चाहिए। भले कोरोना की रफ़्तार कम हुई हो लेकिन ये रकम हेल्थ इंफ्रास्ट्रचर को मजबूत करने में खर्च होनी चाहिए।