उत्तर प्रदेश में कोई जातिगत राजनीति कर रहा है तो कोई मुद्दों की राजनीति, लेकिन विकास की राजनीति पीछे है। सरकार दावे पर दावे कर विकास की डंका बजा रही है वही विपक्ष पिछड़ेपन का रोना रो रहा है। उत्तर प्रदेश में सरकार के साढ़े चार साल पूरे होने पर सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने अपने कार्यकाल का हालही में रिपोर्ट कार्ड पेश किया था। इस रिपोर्ट कार्ड में योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकार की नीतियों, विकास, रोजगार के अवसरों और परियोजनाओं की एक लंबी फेहरिस्त गिनवाई। लेकिन ये भी सच्चाई है कि CSR के मामले में यूपी अभी बहुत पीछे है।
योगी सरकार के उपलब्धियों की ये है फेहरिस्त
उत्तर प्रदेश में कितना हुआ निवेश?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्रांड यूपी पर दुनियाभर के निवेशकों ने भरोसा जताया है। उत्तर प्रदेश में इन्फ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure in UP) परियोजनाओं के मामले में कई ऐसी पहल हुई है जिसमें आने वाले सालों में कॉरपोरेट, कारोबार निवेश, रोजगार में भारी इजाफा होगा। एक्सप्रेस वे, एयरपोर्ट या फिर फिल्म सिटी या फिर डिफेंस कॉरिडोर इनकी वजह से देश दुनिया में यूपी की ब्रांडिंग भी खूब हो रही है। यूपी में निवेश की बात करें तो तीन लाख करोड़ की निवेश परियोजना यूपी में शुरू हो चुकी हैं .56 हज़ार करोड का विदेशी निवेश कोरोना काल में आया और 4.68 लाख करोड़ के एमओयू इन्वेस्टर समिट में हुए।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने स्वास्थ्य के लिए क्या किया? (Health in UP)
यूपी सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दावा किया है कि 56 जिलों में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज चल रहा है। वहीं, 16 जिलों में पीपीपी मॉडल के जरिए मेडिकल कॉलेज बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। गोरखपुर और रायबरेली में एम्स का संचालन हो रहा है। पीएम जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) में 6.47 करोड़ लोगों को तो मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 42.19 लाख लोगों का बीमा कवर किया गया है। वहीं, लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्विद्यालय का निर्माण शुरू हो गया है। दावा ये भी किया गया कि पूरे प्रदेश में 4,470 एम्बुलेंस चल रहीं हैं। साथ ही नियमित और कॉन्ट्रैक्ट पर 9,512 डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती की गई है। डॉक्टरों की रिटायरमेंट की उम्र भी 60 से बढ़ाकर 62 कर दी गई है।
साढ़े चार सालों में यूपी में युवाओं को कितना मिला रोजगार? योगी का ये है दावा (Employment in UP)
बीजेपी अगर अपनी उपलब्धियों को गिनवाती है तो वही विपक्ष हमेशा से ही रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुट जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर। पीएम मोदी के जन्मदिन पर जहां बीजेपी सेवा और समर्पण दिवस मना रही थी वही विपक्ष बेरोजगारी दिवस। उत्तर प्रदेश में भी रोजगार और बेरोजगारी एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है इसलिए योगी ने आज रोजगार के आकड़ों को भी गिनवाया। योगी ने दावा किया है कि पिछले साढ़े चार सालों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। आकड़ों को देते हुए योगी ने कहा कि स्टार्टअप नीति के अंतर्गत 05 लाख युवाओं को रोजगार मिला है वहीं 1.50 करोड़ से अधिक श्रमिकों को MNREGA में रोजगार मिला है। 10 लाख स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 01 करोड़ महिलाओं को मिला रोजगार मिला है। युवाओं को रोजगार, हुनर को अवसर अपार का नारा देते हुए योगी ने बताया कि 4.50 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी, 3.50 लाख युवाओं की संविदा पर नियुक्ति, 82 लाख MSME को ₹2.16 हजार करोड़ का ऋण वितरित, लगभग 02 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है।
यूपी में महिलाओं को क्या मिला है?
योगी ने दावा है कि लड़कियों को ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई का खर्च सरकार उठा रही है। 1.67 करोड़ महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत फ्री गैस कनेक्शन दिए गए। सीएम कन्या सुमंगला योजना के तहत 9.36 लाख लड़कियों को लाभ मिला। वहीं, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में 1.52 लाख से ज्यादा लड़कियों की शादी कराई गई। प्रदेश में सभी महिलाएं सुरक्षित रहें इसके लिए सभी 1,535 थानों में पहली बार महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई। 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई गईं। 81 मजिस्ट्रेट और 81 अपर सेशन कोर्ट बनाई गईं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत 1.80 करोड़ बच्चियों को लाभ मिला। करीब 56 हजार महिलाएं बैंकिंग सखी के रूप में काम कर रहीं हैं।
योगी का दावा देश में इन मामलों में है यूपी नंबर-1
सीएम योगी ने दावा किया है कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 2.61 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है, 10 करोड़ लोग लाभान्वित हुए है। 58,758 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हुआ है। महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए 4,500 पिंक टॉयलेट निर्मित हुई है। ऐसे में शौचालय निर्माण में राज्य पहले नंबर पर है। सौभाग्य योजना में बिजली कनेक्शन देने में देश के अन्य प्रदेशों की तुलना में नंबर वन पर है। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने में अव्वल व सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की स्थापना में अग्रणी है उत्तर प्रदेश।
योगी ने यूपी में 42 लाख गरीबों के आवास बनाए
मुख्यमंत्री ने ये भी दावा किया कि DBT के माध्यम से पिछले साढ़े चार वर्षों में सरकार ने 5 लाख करोड़ से अधिक की धनराशि प्रदेश के नौजवानों, गरीबों, महिलाओं व किसानों को दी है। साथ ही सीएम ने बताया कि पिछले साढ़े चार वर्षों में हमने प्रदेश के 42 लाख गरीबों के आवास बनाए हैं। हर घर नल, पहुंच रहा शुद्ध पेयजल का नारा देते हुए सीएम ने ये भी दावा किया कि 30,000 ग्राम पंचायतों में शुद्ध पेयजल की योजना क्रियान्वित हुई है।
सीएसआर (CSR) के मामले में यूपी (Uttar Pradesh) फिसड्डी (CSR in UP)
सामाजिक बदलाव के लिए सीएसआर यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) बहुत मददगार साबित होता है लेकिन उत्तर प्रदेश में सीएसआर फिसड्डी साबित हो रहा है। इसका मुख्य कारण उद्योग जगत का यूपी में नहीं होना। भले ही यूपी की योगी सरकार निवेश के बड़े बड़े आकड़े दिखा रही हो लेकिन धरातल पर इन निवेशों को नौकरियों और औद्योगिक इकाईयों में बनने के लिए अभी वक़्त लगेगा। निवेश को लेकर ये कॉर्पोरेट्स भले हामी भरे हो लेकिन अभी तक मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत नहीं हुई है। यही कारण है कि ये कॉर्पोरेट्स अपने सीएसआर फंड का इस्तेमाल अपने यूनिट्स और जहां ये कॉर्पोरेट्स काम कर रही है वहां सीएसआर के निवेश नहीं कर रही है।
सीएसआर एक्सपेंडिचर में यूपी नहीं है टॉप टेन में (Top 10 CSR State)
उत्तर प्रदेश में निवेश के साथ साथ सीएसआर पर खर्च भी कम है, यूपी सीएसआर खर्च के मामले में टॉप टेन की लिस्ट में नहीं है। यानी देश की कॉर्पोरेट्स जिन जिन राज्यों में सबसे ज्यादा सीएसआर खर्च करती है, उस टॉप 10 की लिस्ट में यूपी (UP) का नाम नहीं है। सीएसआर खर्च पर जारी सरकारी आकड़ों की माने तो महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीएसआर खर्च किया जाता है, वही उत्तर प्रदेश में सीएसआर खर्च बहुत पीछे है। देश की तमाम कंपनीज अपने सीएसआर का खर्च करती है और साल 2019-20 (30 सितम्बर 2020 तक) का महाराष्ट्र में ये आकड़ा है 1313 करोड़ है वही उत्तर प्रदेश में ये अकड़ा महज 39 करोड़ ही है। ऐसे में CSR खर्च प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा हो इसके लिए योगी सरकार को सीएसआर नीतियों में बदलाव करके सकारात्मक पहल करनी चाहिए।