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एनटीपीसी सीएसआर रिपोर्ट – समाज के लिए अग्रसर एनटीपीसी

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पीएसयू यानि पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग, वो सरकारी कंपनियां जिन पर कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) बजट को लेकर लालफीताशाही, लेट लतीफी और सीएसआर फंड को खर्च नहीं करने का आरोप लगता रहता है, शायद यही कारण है कि मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने ऐसी ही देश की नामी गिरामी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को हिदायत भी दी थी कि समाज की भलाई के लिए पीएसयू को अग्रसर होकर अपने सीएसआर बजट को ज़रूरतमंदों पर खर्च करना होगा।
लेकिन इन सब के बीच सीएसआर कामों को लेकर देश की कुछ ऐसी पीएसयू है जो प्राइवेट कॉर्पोरेट कंपनियों को भी सीएसआर खर्च के मामलों में पीछे छोड़ रहीं है, ये सरकारी कंपनियां समाज में बदलाव लाने के लिए प्रयत्नशील है, सामाजिक परिवर्तन के लिए सबसे आगे है, ऐसी ही एक पीएसयू है एनटीपीसी (NTPC), यानि नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (National Thermal Power Corporation)
एनटीपीसी के सीएसआर ख़र्चों की बात करें तो पिछले साल अकेले एनटीपीसी ने पूरे भारत के 500 गाँवों में 10 लाख लोगों की जिंदगियों में बदलाव लाया। और यही वजह है कि एनटीपीसी 10 सार्वजनिक उपक्रमों में से एक है जिसे भारत सरकार ने प्रतिष्ठित महारत्न का दर्जा दिया है। तो आईये The CSR Journal के इस विशेष रिपोर्ट में जानते है एनटीपीसी की सीएसआर रिपोर्ट –

क्या है एनटीपीसी?

एनटीपीसी लिमिटेड भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी है, जिसे हम वैश्विक स्तर पर “एकीकृत शक्ति प्रमुख” कहते हैं। कंपनी 1975 से है और पूरे भारतवर्ष में ये कार्यरत है। बिजली उत्पादन और बिक्री एनटीपीसी के मुख्य व्यवसाय है। दुनिया भर में पारंपरिक बिजली कंपनियों के साथ साथ एनटीपीसी ने भी पारंपरिक कोयला-आधारित ऊर्जा उत्पादन को खत्म कर हाइड्रोपावर और अन्य रिन्यूएबल बिजली उत्पादन पर काम कर विविध कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में लगी है।
एनटीपीसी ने कंसल्टेंसी, ट्रेनिंग, कोयला खनन और राख उद्योग में भी काम किया है। जलवायु प्रतिवर्तन के प्रति सजग इकाई होने के नाते, एनटीपीसी सौर, विंड, हाइड्रो और स्मॉल हाइड्रो पावर जैसे रिन्यूएबल ऊर्जा स्रोतों पर अधिक जोर दे रहा है। एनटीपीसी ने 2018-2019 में 1.5 बीयू (बिलियन यूनिट्स) अक्षय बिजली उत्पन्न की। आज फोर्ब्‍स सूची में ‘’‍वर्ष 2019 के लिए विश्‍व की 2000 सबसे बड़ी कंपनियों में’’ एनटीपीसी का 492 वां स्‍थान है।
एनटीपीसी एक उच्च दक्षता वाला पीएसयू है लेकिन चीजों को सरल रखता है; चाहे वह सस्टेनेबिलिटी हो, कॉर्पोरेट गवर्नेंस हो, सामुदायिक विकास या बिजली उत्पादन हो। मार्केट कैपिटलाइज़ेशन की बात करें तो यह पांच सबसे बड़ी भारतीय कंपनियों में से एक है। एनटीपीसी के फैलाव की बात करें तो यदि संयुक्त वेंचर्स और सहायक कंपनियों को शामिल करते हैं, तो एनटीपीसी के पास देश की लंबाई और चौड़ाई में फैले 52 पावर स्टेशन हैं, जिसमें उत्तर-पूर्व में रामम और दक्षिण भारत में कयाकमुलम शामिल हैं।

एनटीपीसी में कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी

1995 में, सस्टेनेबिलिटी सर्कल में ‘जलवायु परिवर्तन’ शब्द से पहले एनटीपीसी ने “पर्यावरण नीति और पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली’ बनाने के लिए देश की पहली सार्वजनिक उपक्रम बनी। एनटीपीसी एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट का अध्ययन भी कर रहा है और पर्यावरण ऑडिट के साथ उनका अनुसरण भी कर रहा है। सही मायने में देखा जाय तो यह एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट चलाने वाली भारत की पहली बिजली कंपनी है। एनटीपीसी का जलवायु के प्रति सकारात्मक रवैया कॉर्पोरेट सिटिजनशिप के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है।
CSR कंपनी की संस्कृति से चलता है। सामाजिक कल्याण काफी हद तक पावर स्टेशनों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए है, लेकिन उनके लिए प्रतिबंधित नहीं है। इसे एक तरह से संस्थागत रूप दिया जाता है ताकि समय-समय पर इसकी निगरानी की जा सके।
पानी, स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा ये कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जिसमें एनटीपीसी अपना सीएसआर गतिविधियां करती है। एनटीपीसी एक बड़े और विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र के रूप में लगभग 19 राज्यों में अपनी सेवाएं दे रही है। सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी एनटीपीसी सीएसआर (CSR) के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही है।

एनटीपीसी में सीएसआर पॉलिसी

एनटीपीसी के निदेशक (एचआर),  दिलीप कुमार पटेल ने The CSR Journal से खास बातचीत करते हुए बताया कि, “हमारी सीएसआर-सामुदायिक विकास नीति स्थानीय इकाई स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक काम करती है। हमारी सीएसआर एंड सस्टेनेबिलिटी कमिटी सीएसआर गतिविधियों की देखरेख करती है। एनटीपीसी फाउंडेशन ने शारीरिक रूप से दृष्टिहीन छात्रों को आईटी एजुकेशन देनें की पहल की हैं। समुदायों पर लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए, हम अपने सभी प्रमुख सीएसआर गतिविधियों के लिए हर दूसरे साल थर्ड पार्टी सोशल इम्पैक्ट अस्सेस्मेंट करते हैं।”
एनटीपीसी के विषयगत क्षेत्रों का चार्ट
एनटीपीसी सीएसआर अनिवार्य खर्च के अनुपालन से परे जाने की कोशिश करता है। NTPC की CSR नीति कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुरूप है। एक नामित सीएसआर एंड सस्टेनेबिलिटी कमिटी CSR गतिविधियों की देखरेख करती है। एनटीपीसी फाउंडेशन दिव्यांगजनों, नेत्रहीनों के लिए आईटी शिक्षा से लेकर पुनर्वास केंद्रों को संचालित करती है।

एनटीपीसी का सीएसआर खर्च

जैसा कि आप ग्राफ में देख सकते हैं, सीएसआर पहल पर खर्च की गई राशि में लगातार इजाफा होता जा रहा है। एनटीपीसी अपने सीएसआर बजट का जितना आवंटन करता है उससे कहीं ज्यादा बजट सीएसआर पर खर्च करता है, ग्राफ में हम सीधे तौर पर देख सकते है कि साल 2017-2018 में 220.75 करोड़ रुपये बजट आवंटन किया गया वहीं 241.54 करोड़ रुपये सामाजिक भलाई के लिए खर्च किया गया। अगर साल 2018-19 की बात करें तो एनटीपीसी ने 285.46 करोड़ ख़र्च किया जबकि 237.01 करोड़ की राशि निर्धारित की गयी थी।
एनटीपीसी का सीएसआर खर्च

COVID-19 के लिए हस्तक्षेप

कोरोना के खात्मे को लेकर जहां पूरा देश एकजुट है वहीं देश की कॉर्पोरेट कंपनियां भी आगे आकर आर्थिक मदद कर रहीं है। इसमें एनटीपीसी भी अग्रसर है। कोविड -19 से लड़ने के लिए राहत के उपाय सर्वोच्च प्राथमिकता हैं क्योंकि यह राष्ट्रीय महत्व का मामला है। दिलीप कुमार पटेल ने बताया कि, “हम कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत सरकार का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। NTPC ने PM CARES फंड में 257.50 करोड़ रुपए का योगदान दिया। इसके अतिरिक्त, राहत उपायों के लिए विभिन्न एनटीपीसी इकाइयों द्वारा INR 21.74 करोड़ का बजट खर्च किया जा रहा है।”
दिलीप कुमार पटेल आगे कहते है कि, “कोरोनोवायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार के साथ साथ हम राज्य सरकारों को भी मदद के हाथ बढ़ा रहें है। एनटीपीसी की पहल से हमनें अलग अलग राज्य सरकारों के तीन अस्पतालों को COVID से निपटने के लिए तैयार किया गया है, जिनमें दिल्ली के बदरपुर और ओडिशा का सुंदरगढ़ और भद्रक,मेडिकल कॉलेज शामिल है। इसके अलावा, ऑक्सीजन की आपूर्ति के साथ लगभग 192 आइसोलेशन बेड सभी अस्पतालों / स्वास्थ्य इकाइयों में बनाए गए हैं और अतिरिक्त बेड जरूरत के आधार पर उपलब्ध कराए जा सकते हैं।कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हमने सभी NTPC केंद्रों को 1,200 पीपीई किट, 1,20,000 सर्जिकल मास्क, 33,000 से अधिक हैंड ग्लव्स, 5,000 एप्रन, 8,000 शूज कवर और 535 लीटर हैंड सैनिटर्स दिए हैं।”

कोरोना महामारी में एनटीपीसी ने बढ़ाया लोकल सपोर्ट का विस्तार

महामारी के प्रसार को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन के प्रयासों को मजबूत करना भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसीलिए एनटीपीसी स्थानीय प्रशासन को अपेक्षित अपने सीएसआर द्वारा मदद कर रहा है। इसी कड़ी में एनटीपीसी ने अस्पताल के लिए 1,000 बेडशीट खरीदने के लिए एनटीईसीएल वल्लूर के जिला प्रशासन को फंड मुहैया कराई है। साथ ही एनटीपीसी कोल्डम ने 400 मास्क, 300 सैनिटाइज़र और 125 किलोग्राम ब्लीचिंग पाउडर मंडी जिला प्रशासन को दिए है। इसके अलावा, हाल ही में पीवीयूएनएल, पतरातू ने अपने रसोई के लिए चावल और दालों जैसी आवश्यक खाद्य सामग्री लातेहार जिला प्रशासन को सौंपी ताकि गरीबों और जरूरतमंदों को वितरित किया जा सके। ग्रामीण महिलाओं को सुरक्षात्मक कपड़े के मास्क सिलाई के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
एनटीपीसी रामागुंडम ने जिले में कोरोना वारियर्स डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ के लिए पीपीई, मास्क, सैनिटाइटर खरीदने के लिए जिला प्रशासन को 99.12 लाख का योगदान दिया है। इसके अलावा, एनटीपीसी रामागुंडम प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए भी आगे आया है, 16 लाख रुपये खर्च कर लगभग 4,500 प्रवासी श्रमिकों को खानेपीने का सामान वितरित किया। राहत उपायों को जारी, रखते हुए एनटीपीसी पकरी बरवाडीह ने COVID-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई में जिले के लिए 46 लाख रुपये मूल्य के पीपीई और अन्य वस्तुओं की खरीद के साथ-साथ 70 लाख रुपये के 8 वेंटिलेटर भी खरीदे हैं।
एनटीपीसी मास्क बनाने के लिए ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी प्रदान कर रहा है
इसके अलावा, एनटीपीसी पकरी बरवाडीह ने जिला प्रशासन के निर्देशों का पालन करते हुए, 250 व्यक्तियों को समायोजित करने, लगभग 12 लाख रुपये खर्च करके अकोमोडेशन के लिए ईमारत बनायीं है और श्रमिकों के परिवारों के लिए सभी साइटों में खाद्य सामग्री के वितरण की व्यवस्था भी की। विशाखापत्तनम के KGH अस्पताल में वेंटिलेटर और अन्य सहायक उपकरणों के लिए NTPC सिम्हाद्री ने 30 लाख का योगदान दिया है।

कॉन्ट्रैक्ट श्रमिकों की देखभाल

कोरोना महामारी ने ऐसा कहर ढाया कि पूरा देश थम सा गया। लॉक डाउन ने तो मानों कमर ही तोड़ दी। इसमें सबसे ज्यादा अगर कोई प्रभावित हुए तो वो श्रमिक हुए। इसलिए एनटीपीसी ने इन श्रमिकों की भलाई और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए। कई मामलों में इन्हें एडवांस भी दिया गया।
एनटीपीसी ने कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के रहने की व्यवस्था के लिए भी व्यवस्था किया, एनटीपीसी के टाउनशिप में कमरों को आइसोलेशन/क़्वारन्टाइन सेंटर में तब्दील भी किया गया ताकि मजदूरों को कोई दिक्कत ना हो। इसी तरह एनटीपीसी की कई इकाइयों ने रोकथाम और राहत कार्य किए हैं और अब तक इस उद्देश्य के लिए 3.95 करोड़ की राशि खर्च की गई है।
एनटीपीसी के लेडीज़ क्लब और अन्य स्वैच्छिक कर्मचारी समूहों के सदस्यों ने पीएम केयर्स फंड और सीएम राहत कोष में योगदान के साथ-साथ मास्क, राहत सामग्री का भी वितरण किया। महामारी के इस अवधि के दौरान भी, भारत के हर कोने में बिना बाधित बिजली मिलती रहे इसलिए मौके पर इंजीनियरों की टीम हमेशा लगी रही।

शिक्षा

कोई भी निवेश उतना महान नहीं है जितना सीखने में निवेश किया जाता है। कल के उज्ज्वल युवाओं को शिक्षित करना एक कर्तव्य है जिसे सीएसआर टीम गहराई से देखती है। एनटीपीसी ने पिछले साल शिक्षा और कौशल विकास परियोजनाओं पर 132.03 करोड़ खर्च किए।
एनटीपीसी उत्कर्ष स्कॉलरशिप माध्यमिक स्कूल से लेकर इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज स्तर तक हर साल 7,300 छात्रों को दी जाती है। मोबाइल साइंस लैब सरकारी स्कूल के छात्रों में विज्ञान के प्रति एक जुनून जगाती है। पिछले साल मुंबई में चुनिंदा स्कूलों में गरीब छात्रों को कंप्यूटर के साथ अन्य स्टडी मटेरियल दिया गया।

स्वास्थ्य

देश भर में फैले एनटीपीसी के अस्पताल समुदायों को प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करते हैं। एनटीपीसी पीएचसी, सीएचसी और जिला अस्पतालों में स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधाओं को भी फंड देता है। एनटीपीसी मेडिकल कैंप्स आई कैंप्स का भी आयोजन करती है और गांवों और अर्बन स्लम्स गरीबों के लिए कैंसर डिटेक्शन का भी काम करती है।
सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी एनटीपीसी ने उत्तर प्रदेश के दादरी में एक आंख के अस्पताल और भुवनेश्वर में भी आंख के अस्पताल में एक ऑपरेटिंग रूम कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया। आठ स्थानों पर मोबाइल स्वास्थ्य क्लीनिकों ने 1 लाख से अधिक मरीजों को भर्ती किया है। 275 गांवों में 2,40,000 व्यक्तियों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंची है।

बायोडायवर्सिटी कंज़र्वेशन

कंपनी प्रकृति के साथ समझौता नहीं करती है, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को उतना ही महत्त्व दिया जाता है जितना स्वास्थ्य और शिक्षा को दिया जाता है। एनटीपीसी जैव विविधता नीति को 2018 में उल्लिखित किया गया था और जैव विविधता के संरक्षण, पुनर्स्थापन और बढ़ाने के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण है। एनटीपीसी ने यह सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाए हैं कि किसी भी पावर स्टेशन के संचालन का वनों, वन्यजीव अभयारण्यों या संरक्षित क्षेत्रों पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
पर्यावरण सीएसआर पहल में जलीय और स्थलीय वन्यजीवों का संरक्षण भी शामिल है। इस तरह की एक परियोजना में सिम्हाद्री (आंध्र प्रदेश) में कृत्रिम चट्टानें तैनात करना शामिल है जहां कंपनी का एक स्टेशन है। जिसके लिए एनटीपीसी ने केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) के साथ साझेदारी की है। तट के किनारे तैनात कृत्रिम चट्टानें मूंगा बेड का अनुकरण करती हैं, जो मछली और समुद्री जानवरों के लिए एक आदर्श आवास के रूप में काम करते हैं। पहली तैनाती पिछले साल मुथालम्पालम तट से सफलतापूर्वक की गई थी।

फ्लैगशिप प्रोग्राम – ऑलिव रिडले कछुओं की सुरक्षा

आंध्र प्रदेश का तट जैव विविधता में अपने प्रमुख सीएसआर कार्यक्रम का आधार भी है जो ओलिव रिडले कछुओं की रक्षा के लिए है। कछुओं की यह प्रजाति वल्नरेबल कैटेगरी के अंतर्गत आती है। इस नाजुक प्रजाति को मनुष्यों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए राज्य वन विभाग कड़ी मेहनत कर रहा है। एनटीपीसी आंध्र प्रदेश वन विभाग के साथ 5 साल के समझौते के तहत साझेदारी कर रहा है जिसमें राज्य के 9 तटीय जिलों में संरक्षण उपाय शामिल हैं। एनटीपीसी ने इसपर कुल 4.6 करोड़ रुपये लगाए है।
ऑलिव रिडले कछुओं को बचाने के लिए एनटीपीसी और आंध्र प्रदेश वन विभाग मिलकर काम कर रहे हैं

रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर

एनटीपीसी कंपनी महात्मा गांधी के उस सपने को साकार करने में लगी रहती है जिसमें गांधीजी कहते थे कि एक गांव को आत्मनिर्भर होना चाहिए । जब तक ग्रामीण समुदाय समृद्ध नहीं होगा, तब तक भारत प्रगति नहीं कर सकता। यही कारण है कि एनटीपीसी ने पिछले साल अकेले ग्रामीण विकास पर 34.81 करोड़ रुपये खर्च किए।
रूरल डेवलोपमेन्ट और ग्रामीण संरचना में एनटीपीसी सीएसआर के तहत सामुदायिक हॉल और केंद्रों का निर्माण, सड़क की मरम्मत, सोलर लाइटों का वितरण, बांध की मरम्मत और गांव के बुनियादी ढाँचे को बनाती हैं, विकसित करती है। 2019 में 6 मिनी सोलर प्लांट और एक हजार से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं। एनटीपीसी ने विवेकानंद कॉलेज (धनबाद) और महाराष्ट्र में ब्राह्मणी गाँव में सामुदायिक हॉल का निर्माण शुरू किया है। पिछले वर्ष कुल 27 सामुदायिक केंद्रों का निर्माण किया गया और 40 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत की गई।

स्वच्छ भारत और सैनिटेशन

स्वच्छ भारत,स्वच्छ विद्यालय अभियान को पीएसयू एनटीपीसी शिक्षा, स्वच्छता और मासिक धर्म स्वच्छता की पहल को पूरा करती है। एनटीपीसी ने सैकड़ों सरकारी-संचालित स्कूलों में शौचालयों का निर्माण किया है, जिसके कारण स्कूल में उपस्थिति बढ़ गई, खुले में शौच (ओडीएफ) में उल्लेखनीय कमी आयी है और लड़कियों में कम स्कूल छोड़ने की दर में सराहनीय बदलाव भी देखने को मिला है।कंपनी ने गांवों में व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया है जो ओडीएफ को भी लक्षित करते हैं और स्वच्छ और सुरक्षित परिवेश को सक्षम बनाते हैं।

मासिक धर्म स्वच्छता

एनटीपीसी ने ग्रामीण क्षेत्रों में कई मेंस्ट्रुअल हाईजीन मैनेजमेंट (एमएचएम) पहल की है। महिलाओं और लड़कियों के लिए सैनिटरी नैपकिन वाली वेंडिंग मशीनें स्थापित करना और सैनिटरी पैड बनाने वाली इकाइयों को स्थापित करना ऐसी कुछ प्रमुख कामों के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी शामिल हैं।

कला और संस्कृति

ओडिशा में पुरवाशा लोक और जनजातीय कला संग्रहालय में योगदान देने के अलावा, एनटीपीसी ने हैदराबाद के चारमीनार को सुशोभित करके मोदी सरकार के स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थानों में अपना योगदान दिया।

निष्कर्ष के तौर पर

2001 से, एनटीपीसी प्रतिष्ठित यूनाइटेड नेशंस ग्लोबल कॉम्पैक्ट का सदस्य रहा है, जिसमें ऐसे व्यवसाय शामिल हैं जो सस्टेनेबल और सोशली रेस्पोंसिबल नीतियों को अपनाते हैं। सीएसआर कानून अनिवार्य होने से पहले एनटीपीसी दशकों से राष्ट्र निर्माण की दिशा में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी की जिम्मेदारी निभा रही है। एनटीपीसी ने अपने व्यापार को एक साथ विकसित करते हुए सामाजिक कल्याण की भलाई के लिए अपनी पहुंच और संसाधनों का सदुपयोग किया है।