देवेंद्र फडणवीस की सरकार गिर गई है, देवेंद्र फडणवीस ने बतौर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है, फडणवीस ने सोमवार को ही मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला था और मंगलवार आते आते इस्तीफा देना पड़ा, देवेंद्र फडणवीस ने अपने सीएमशीप की पहली पारी पूरे पांच साल निकाली लेकिन दूसरी पारी में मुख्यमंत्री का मजाक बन गया, देवेंद्र महज 80 घंटे के सीएम रहे, मैं फिर आऊंगा का कंपेन चलाते चलाते सीएम आखिरकार अब चले ही गए, देवेंद्र के दिल के अरमां बहुमत के लिए बह गए और किरकिरी होने से पहले ही हथियार डाल दिये।
सुप्रीम कोर्ट ने आज ही बुधवार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने उसका इंतजार किए बगैर ही इस्तीफा दे दिया है। ठीक पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस्तीफा दिया उसके बाद सीएम ने। जब फडणवीस से पूछा गया कि क्या अजित पवार से समर्थन लेने का फैसला गलत था तो उन्होंने कहा कि गलती हुई या नहीं, यह हम बाद में सोचेंगे। लेकिन इस प्रकरण में बीजेपी और खुद देवेंद्र फडणवीस की खूब फजीहत हुई है।
महाराष्ट्र की जनता बीजेपी और खुद फडणवीस से जरूर पूछेगी कि अब कहां गया समर्थन का दावा, आखिरकार देवेंद्र फडणवीस रातोरात सीएम क्यों बनें, बीजेपी की ऐसी क्या मजबूरी कि गुपचुप बिना किसी को बताए महाराष्ट्र के शिर्ष गद्दी पर बैठ गए, देवेंद्र महाविकास गठबंधन को कोस रहे है कि शिवसेना कांग्रेस एनसीपी सत्ता के लिए साथ आये, लेकिन देवेंद्र जी आप भी तो सत्ता के लिए ही सरकार बनाये जो अब गिर गई।
राजनीति के इस खेल में देवेंद्र फडणवीस हार गए, अजित पवार हार गए, यहां तक की पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह भी इस शह मात के खेल में हार गए। जीत तो जिद की हुई है, उद्धव की हुई है, एनसीपी-शिवसेना-कांग्रेस गठबंधन वाले महाविकास अघाड़ी के नेता शुरू से दावा कर रहे थे कि बीजेपी के पास राज्य में सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत का आंकड़ा नहीं है। इसके खिलाफ अपने दावे को मजबूद करने के लिए गठबंधन की तरफ से मंगलवार शाम को मुंबई के होटल हयात में मीडिया के सामने विधायकों की परेड कराई गई थी। बहरहाल महाराष्ट्र में एक महीने से ज्यादा लंबे समय से चला आ रहा राजनीतिक ड्रामा अब खत्म होने की कगार पर है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस बात के लिए हमेशा याद किया जाएगा कि बड़े बेआबरू होकर देवेंद्र सरकार से निकले।