Home Header News लोकसभा चुनाव 2019: महाराष्ट्र का चुनावी समीकरण

लोकसभा चुनाव 2019: महाराष्ट्र का चुनावी समीकरण

1857
0
SHARE
Maharashtra Elections 2019
 
लंबे इंतजार के बाद रविवार शाम को इलेक्शन कमीशन ने देश में लोकसभा चुनाव का ऐलान कर दिया। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में इस बार चुनावी जंग बेहद दिलचस्‍प होने जा रही है। चुनावी मैदान में एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह की जोड़ी मैदान में है वहीं विपक्ष में सबसे बड़ा चेहरा राहुल गांधी है, उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटें है लिहाजा चुनावी दृष्टि से सबकी निगाहें महाराष्ट्र पर टिकी है।
ऐसा माना जाता है कि दिल्ली की सत्ता पर अगर काबिज होना है तो उसका रास्ता उत्तर प्रदेश से जाता है लेकिन इस बार सत्ता का दम भरती एनडीए और यूपीए के लिए यूपी की राह आसान नहीं, बुआ और बबुआ दोनों ही रोड़े है लिहाजा महाराष्ट्र की ओर बीजेपी और कांग्रेस ने आस लगाए बैठी है, उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें है इसलिए महाराष्ट्र का समर और भी ज्यादा दिलचस्ब हो गया है। महाराष्ट्र में लगातार राजनितिक समीकरण बदल रहे है, भले ही चुनावी बिगुल बज गया हो लेकिन अभी भी नफे नुकसान गुणा गणित लगाया जा रहा है। विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर, जातीय समीकरण महाराष्ट्र की राजनीती पर हावी रहने वाला है। तैयारियां जोरों पर है। पिछले लोकसभा में बीजेपी जिस राह पर चली थी उसी राह पर इसबार कांग्रेस चल रही है मसलन महागठबंधन की, इस बार कांग्रेसी महागठबंधन में कांग्रेस, एनसीपी, शेतकरी कामगार पक्ष, सीपीआई, सी.पी.एम. स्वाभिमानी शेतकरी पक्ष, आरपीई जोगेंद्र कवाड़े ग्रुप, आरपीई खोब्रागडे ग्रुप इन सब पार्टियों को मिलकर महाराष्ट्र में यूपीए का महागठबंधन बनाया गया है ताकि जातीय समीकरण कांग्रेस के पक्ष में रहे इसके साथ ही एनसीपी ने एमएनएस के लिए भी दरवाजे खोल के रखी है कि एमएनएस भी इस महागठबंधन में शामिल हो जाय लेकिन कांग्रेस का इसको लेकर विरोध है, अगर एमएनएस इस महागठबंधन में शामिल होती है तो यूपी बिहार के साथ साथ महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
वहीं अगर शिवसेना बीजेपी की बात करें तो पिछले साढ़े चार साल सत्ता का सुख भोगती शिवसेना ने बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी लेकिन सत्ता क्या क्या ना करवाएं, नफा नुकसान की गणित को देखते हुए शिवसेना बीजेपी एकसाथ आ ही गए, जो एक दूसरे को पानी पी पी कर गलियां देते थे अब वही दोनों एक साथ चुनाव लड़ेंगे जनभावना का आदर करते हुए सीएम देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे ने तय किया कि शिवसेना 48 सीटों में से बीजेपी 25 सीटों पर तो शिवसेना 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। साल 2014 में बीजेपी ने 48 में से 24 सीटों पर लड़ी थी, शिवसेना ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 4 अन्य सीटें सहयोगी दलों को दोनों पार्टियों ने दिया था लेकिन इस बार एनडीए के छोटे दलों को शिवसेना बीजेपी ने एक भी सीट नहीं दिया है, जिसकी वजह से केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले नाराज़ भी चल रहे है, आरपीआई को सीट ना देकर शिवसेना और बीजेपी जातीय समीकरण में पीछे हो सकती है।
वंचित बहुजन आघाडी महाराष्ट्र में तीसरा पर्याय हो सकता है, राज्य के चार बड़ी पार्टियों को छोड़ दे तो वंचित बहुजन गठबंधन एक पर्याय के तौर पर खड़ा हो रहा है जो इन चार प्रमुख पार्टियों को नुकसान पहुंचा सकता है। भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर को दो लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा लेकिन इन बार भारिप बहुजन महासंघ और असदुद्दीन ओवेसी की एमआईएम एक साथ आकर वंचित बहुजन आघाडी की स्थापना की, इनके रैलियों में अच्छा खासा प्रतिसाद मिल रहा है, ऐसे में महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन, काँग्रेस-एनसीपी गठबंधन और वंचित बहुजन आघाडी त्रिकोणिय लड़ाई देखने को मिल सकती है। वंचित बहुजन आघाडी के उम्मीदवार सीटें जीत पाएंगे या नहीं ये अभी कहना मुश्किल है लेकिन बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों को नुकसान जरूर करेंगे। वही हम महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को भी कम नहीं आंक सकते नारायण राणे ने महाराष्ट्र स्वाभिमान संघ जो स्वतंत्र चुनाव लड़ने और शिवसेना के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की घोषणा किये है।
जातिगत समीकरणों के आकड़ों पर नज़र डालें तो महाराष्ट्र में 11.5% मुस्लिम और 7% दलित आबादी चुनाव का रुख पलटने का दमखम रखते हैं। हम आपको बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा एनसीपी को 5 व कांग्रेस को दो मिली थीं। इस बार के चुनावी आकड़ों पर नज़र डालें तो 2014 के मुकाबले मतदाताओं की संख्या में 65 लाख 3 हजार 661 बढ़ोतरी दर्ज की गई है राज्य के 18 से 22 वर्ष आयु वर्ग के 2513657 युवक और 1732146 युवतियां पहली बार मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 17वीं लोकसभा के लिए महाराष्ट्र के 8 करोड़ 73 लाख 30 हजार 484 मतदाता चार चरणों में अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे।