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सीएसआर फंड पर सख्त हुई सरकार

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Misuse of CSR Fund
 
कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी को लेकर नरेंद्र मोदी की सरकार अब सख्त रवैया अपना रही है। समाज में नीतिगत बदलाव लाने के लिए जो कंपनियां और कॉर्पोरेट हाउसेस अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझ रहे है और खुद के मुनाफे के लिए सीएसआर फंड के करोड़ों रुपये की हेराफेरी कर रहे है, उन कंपनियों पर सरकार ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। सरकार ने कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी यानि सीएसआर पूरी नहीं करने पर 272 कंपनियों को नोटिस दिया है। गौरतलब है कि ये वो कंपनियां है जिन्होंने अपने सीएसआर फंड का या तो इस्तेमाल ही नहीं किया या इन कंपनियों ने सीएसआर फंड में कुछ गड़बड़ियां की है। कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने 1,000 कंपनियों के रिकॉर्ड की पड़ताल की शुरुआती जांच के आधार पर 272 कंपनियों को नोटिस भेजा गया है।
सीएसआर के महत्व को समझते हुए हाल ही में सेंट्रल स्क्रूटिन एंड प्रॉसिक्यूसन मेकेनिज्म यानि सीएसपीएम का कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री द्वारा गठन किया गया था, सीएसपीएम इन कंपनियों के सीएसआर खर्च पर नज़र रखने का काम करती है। कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने राज्य सभा में बताया कि लगभग 1,000 कंपनियों के रिकॉर्ड को खंगाला गया है और शुरुआती जांच के आधार पर 272 कंपनियों को नोटिस भी भेजा गया है। सीएसआर को लेकिन सरकार ने कानून बना तो दिया था लेकिन इसके इंप्लीमेंटेशन पर हमेशा से ही सवाल उठते रहे है, बड़ी कंपनियां और कॉर्पोरेट्स इस कानून को हलके में लेती थी, नियमों की अनदेखी और उलंघन भी बड़ी कंपनियां और कॉर्पोरेट्स करते रहे है, लेकिन सरकार के इस सख्त रवैये से सीएसआर फंड का बेजा इस्तेमाल में जरूर कुछ बदलाव आएगा।
हम आपको बता दें कि साल 2014-15 में 254 कंपनियों पर एक्शन लिया गया। 6,286 कंपनियों में से 2,203 ने अप्रैल-नवंबर 2016 में निर्धारित से ज्यादा राशि सीएसआर पर खर्च की। 3,718 फर्मों ने तय रकम से कम खर्च किया। 346 कंपनियों ने सीएसआर के तहत कोई राशि खर्च नहीं की। कंपनी लॉ के मुताबिक मुनाफे वाली कंपनियों को तीन साल के नेट प्रॉफिट का 2% सामाजिक कार्यों पर खर्च करना पड़ता है। ऐसा नहीं करने पर वजह बतानी पड़ती है। सीएसआर पूरा नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज कार्रवाई करता है।
बहरहाल ये कोई पहला मामला नही है जब कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने इन कंपनियों को सीएसआर फंड को लेकर नोटिस भेजा हो, इसके पहले भी बड़े कॉर्पोरेट कंपनियां जांच के घेरे में आई है लेकिन कार्यवाई के नाम पर ढाक के तीन पात ही साबित हुए है। सरकार का ये कदम काबिले तारीफ़ तो है लेकिन नोटिस भेजने में जितनी तत्परता सरकार दिखा रही है, वैसे ही इन बेपरवाह और सामाजिक गैरजिम्मेदार कंपनियों पर नकेल भी कसी जानी चाहिए।