BHU में हुआ बवाल! छात्रा की मौत पर स्टूडेंट्स ने जमकर किया हंगामा! मेडिकल सहायता में देरी के आरोप, छात्रों और सुरक्षा-कर्मियों के बीच पत्थरबाजी में कई घायल, परिसर में भारी फोर्स तैनात! आपातकालीन चिकित्सा से लेकर सुरक्षा प्रबंधन तक- एक विश्वविद्यालय की पुरानी कमजोरियां नए विवाद की जड़ में !
BHU साउथ कैंपस में छात्रा की मौत के बाद भारी बवाल
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के साउथ कैंपस क्षेत्र में मंगलवार सुबह एक छात्रा की अचानक मौत से पूरे परिसर में तनाव फैल गया। दिन भर शांत रहा माहौल देर रात तब उग्र हो गया जब छात्रों ने अस्पताल और विश्वविद्यालय प्रशासन पर मेडिकल सहायता देने में देरी का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। कुछ ही देर में प्रदर्शन हिंसक रूप ले गया और छात्रों तथा सुरक्षा-कर्मियों के बीच झड़प हो गई।
घटना की शुरुआत मंगलवार सुबह तब हुई जब महिला महाविद्यालय की एक छात्रा को क्लास जाने की तैयारी के दौरान अचानक चक्कर आया और वह बेहोश होकर गिर पड़ी। साथी छात्राएं उसे तुरंत अस्पताल ले गईं, लेकिन वहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। मेडिकल टीम का कहना है कि छात्रा को पहुंचते ही इलाज शुरू कर दिया गया था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। दूसरी ओर, छात्रों का आरोप है कि एम्बुलेंस पहुंचने में देरी हुई और समय पर प्राथमिक उपचार नहीं मिल पाया। मौत की खबर फैलते ही सैकड़ों छात्राएं और छात्र BHU महाविद्यालय परिसर में इकट्ठा हो गए और आरोप लगाते हुए नारेबाजी शुरू कर दी। छात्रों की मांग थी कि प्रशासन त्वरित चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित करे, परिसर में सुलभ एम्बुलेंस तैनात की जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
देर रात छात्रों और सुरक्षा-कर्मियों में हिंसक झड़प
रात होते-होते BHU के साउथ कैंपस में प्रदर्शन और तीखा हो गया। विश्वविद्यालय सुरक्षा-कर्मियों के हस्तक्षेप करने पर दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जो कुछ ही मिनटों में पत्थरबाजी में बदल गई। कई वाहनों, गमलों और कैंपस की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा। झड़प में छात्रों और सुरक्षा-कर्मियों सहित दर्जनों लोग घायल हुए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और पीएसी की टुकड़ियां मौके पर बुलानी पड़ीं और परिसर के कई हिस्सों को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया।
BHU Clash: Student hit by vehicle near Birla Hostel → protest → stone-pelting by students → lathi charge by guards/proctors. Multiple injuries, campus tense with heavy police deployment. Probe on.
pic.twitter.com/pJBMUXe49Z— Ghar Ke Kalesh (@gharkekalesh) December 3, 2025
विश्वविद्यालय प्रशासन ने देर रात बयान जारी कर मामले की जांच के आदेश दिए हैं। प्रशासन ने कहा कि प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था और एम्बुलेंस सेवा की पूरी समीक्षा की जाएगी तथा यदि किसी तरह की लापरवाही सामने आती है तो कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने छात्रों से संयम और शांति बनाए रखने की अपील की है।
BHU में मौत और बवाल की पृष्ठभूमि- लंबे समय से सुलग रहा था कैंपस!
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में छात्रा की मौत और उसके बाद भड़की हिंसक झड़प कोई अचानक हुई घटना नहीं थी। यह उस असंतोष का विस्फोट है जो पिछले कई वर्षों से धीरे-धीरे विश्वविद्यालय के भीतर जमा हो रहा था। खासकर मेडिकल इमरजेंसी, सुरक्षा व्यवस्था, हॉस्टल सुविधाएं और प्रशासन की जवाबदेही को लेकर। पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो यह स्पष्ट होता है कि हालिया घटना एक बड़ी और पुरानी समस्या की कड़ी है।
1. मेडिकल सुविधाओं की सीमाएं- पहले से उठते रहे सवाल
BHU विशाल कैंपस है, लेकिन छात्रों का कहना है कि आपातकालीन मेडिकल सेवाएं उनकी संख्या और जरूरत के अनुपात में पर्याप्त नहीं हैं। कई बार एम्बुलेंस उपलब्धता, कैंपस हॉस्पिटल की दूरी, देर से प्रतिक्रिया और स्टाफ की कमी को लेकर छात्र नाराज़गी जताते रहे हैं। कुछ हॉस्टलों से स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचने में लगने वाला समय भी गंभीर चिंता का विषय रहा है। छात्र नेताओं का आरोप है कि प्राथमिक चिकित्सा केंद्र 24 घंटे सुचारु नहीं चलता और किसी भी आकस्मिक स्वास्थ्य संकट में छात्रों को खुद ही इंतज़ाम करना पड़ता है। इसी पुराने असंतोष ने हालिया छात्रा की मौत के मामले में “मेडिकल देरी” के आरोपों को और तीखा रूप दिया।
2. सुरक्षा-कर्मियों और छात्रों के बीच पहले भी टकराव
BHU में सुरक्षा-कर्मियों और छात्रों के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। कई मौकों पर छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रॉक्टोरियल स्टाफ का रवैया कठोर और उग्र होता है। वहीं सुरक्षा-कर्मियों के अनुसार, भीड़भाड़ वाले मौकों पर कुछ छात्र अनुशासन तोड़ते हैं और स्थिति बिगड़ती है। इन दोनों पक्षों के बीच संवाद की कमी झगड़े और टकराव को जन्म देती रही है। हादसे वाली रात भी जब सुरक्षा-कर्मियों ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, तो पहले से मौजूद अविश्वास तेजी से संघर्ष में बदल गया।
3. BHU में बढ़ते छात्र आंदोलन और प्रशासन का औपचारिक रवैया
BHU में पिछले कुछ वर्षों से छात्र आंदोलन तेज हुए हैं, चाहे वह हॉस्टल सुविधाओं का मुद्दा हो, सुरक्षा का प्रश्न हो, या फिर महिला छात्रों की शिकायतें! छात्रों का आरोप रहा है कि प्रशासन कई बार “लिखित शिकायत” या “आधिकारिक प्रक्रिया” का हवाला देकर त्वरित कार्रवाई से बचता है। इससे छात्रों में यह भावना बनी कि उनकी बात समय पर नहीं सुनी जा रही। अक्सर छोटे मुद्दों पर भी भीड़ जमा हो जाती है क्योंकि भरोसे की कमी पहले से मौजूद है।
4. बड़ा कैंपस, कम संवाद- गहराता अंतर
BHU भारत के सबसे विशाल आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक है। हजारों छात्र अलग-अलग हॉस्टलों में रहते हैं। कई प्रशासनिक इकाइयां अलग-अलग अपनी जिम्मेदारी संभालती हैं। परिसर का बड़ा हिस्सा काफी फैला हुआ है जहां समय रहते नियंत्रण मुश्किल होता है। इस संरचना में जब कोई संकट उत्पन्न होता है, चाहे वह दुर्घटना हो, सुरक्षा विवाद हो, या स्वास्थ्य आपातकाल, तो समन्वय में देरी होना स्वाभाविक है। यही देरी छात्रों को प्रशासनिक लापरवाही लगती है और नाराज़गी में बदल जाती है।
5. सोशल मीडिया का तेज असर– मिनटों में भड़कता माहौल
हाल के वर्षों में BHU में किसी भी घटना की जानकारी कुछ ही मिनटों में सोशल मीडिया पर फैल जाती है। एक वीडियो, एक ऑडियो या एक पोस्ट छात्रों में तेजी से आक्रोश पैदा कर देती है। घटना के दिन भी छात्रा की तबीयत बिगड़ने और फिर मौत की खबर कुछ ही घंटों में कैंपस के हर हिस्से तक पहुंच गई, जिससे माहौल और गर्म हो गया।
6. बढ़ती भीड़ और ‘कलेक्टिव एंगर’- क्यों संकट तेजी से बढ़ता है ?
जब किसी छात्र की मौत होती है, तो इसका भावनात्मक असर गहरा होता है। ऐसे में अफवाहें, अविश्वास, भीड़ की मनोवृत्ति, और तत्काल जवाबदेही की मांग, सब मिलकर माहौल को अचानक विस्फोटक बना देते हैं। BHU के साउथ कैंपस क्षेत्र में भीड़ नियंत्रित करने की कोशिश में जो झड़प हुई, वह इसी ‘समूहिक गुस्से’ का नतीजा थी।
क्या BHU की इस समस्या का समाधान है?
विशेषज्ञों और पूर्व छात्रों का मानना है कि समाधान तीन स्तरों पर होना चाहिए-
1. कैंपस में आपातकालीन मेडिकल व्यवस्था को मजबूत करना।
2. प्रशासन और छात्रों के बीच रियल-टाइम संवाद बढ़ाना।
3. प्रॉक्टोरियल सिस्टम का पुनर्गठन और अधिक पारदर्शिता।
इसके साथ ही कैंपस में सामाजिक-मनोवैज्ञानिक सहायता को भी बढ़ाने की जरूरत है ताकि तनावपूर्ण माहौल को नियंत्रित किया जा सके।
BHU के ढांचे में बदलाव की जरूरत
छात्रा की मौत और इसके बाद हुआ बवाल एक घटना नहीं, एक चेतावनी है। यह दिखाता है कि कैंपस में मेडिकल-इमरजेंसी, सुरक्षा-व्यवस्था और प्रशासनिक संवेदनशीलता में सुधार कितना अनिवार्य हो चुका है। यदि इन पहलुओं पर गंभीर कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसी घटनाएं फिर सामने आ सकती हैं। BHU अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां उसे अपने ढांचे, प्रबंधन और संवाद-व्यवस्था को नए सिरे से देखना ही होगा।
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