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September 16, 2025

यूपी: बॉर्डर जिलों के स्कूलों में शिक्षा का कायाकल्प, स्मार्ट क्लास और टैबलेट से नौनिहालों को नई उड़ान

The CSR Journal Magazine

शिक्षा के क्षेत्र में यूपी सरकार का ऐतिहासिक कदम

एक समय था जब सीमावर्ती जिलों के बच्चों की पढ़ाई टाट-पट्टी और पुराने ब्लैकबोर्ड तक ही सीमित थी। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। योगी सरकार ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-2 और ऑपरेशन कायाकल्प के तहत शिक्षा की तस्वीर बदलने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। प्रदेश के सात सीमावर्ती जिलों बहराइच, बलरामपुर, खीरी, महाराजगंज, पीलीभीत, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर में 229 स्कूलों का कायाकल्प किया जा चुका है।

टाट-पट्टी से स्मार्ट क्लास तक, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-2 से बदल रही है सीमावर्ती इलाकों की तस्वीर

इन जिलों में बच्चे अब सिर्फ किताबों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि स्मार्ट क्लास और टैबलेट की मदद से आधुनिक शिक्षा पा रहे हैं। गांव के बच्चों ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके स्कूल में भी टैबलेट जैसी तकनीक पहुंचेगी। अब वे उसी से कहानियां पढ़ रहे हैं और खेल-खेल में गणित-भाषा सीख रहे हैं।

परख परीक्षा में बच्चों का कमाल

विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वाइब्रेंट विलेजेस के तहत चिन्हित गांवों के बच्चों ने ग्रेड-3 और ग्रेड-6 की परख परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि वीडियो और डिजिटल कंटेंट से बच्चे तेजी से सीख रहे हैं और पढ़ाई में उनका मन भी ज्यादा लग रहा है। यही वजह है कि सीमावर्ती इलाकों की शिक्षा अब बच्चों के भविष्य को नई दिशा दे रही है।

यूपी में शिक्षा के लिए सुविधाओं से सजे विद्यालय

सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक अब 152 स्कूल पूरी तरह सैचुरेटेड हैं यानी सभी 19 पैरामीटर्स पूरे हो चुके हैं। बाकी स्कूल भी 16 से 18 पैरामीटर्स पर खरे उतर चुके हैं। यानी अब गांव के स्कूलों में पीने का पानी, शौचालय, बिजली और फर्नीचर जैसी सुविधाएं मौजूद हैं। इतना ही नहीं, 21 ब्लॉक्स के सभी स्कूलों में 2-2 टैबलेट बांटे गए हैं।

नामांकन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी

सिर्फ सुविधाएं ही नहीं, बल्कि इसका असर नामांकन पर भी साफ दिख रहा है। वर्ष 2024-25 में सीमावर्ती जिलों के स्कूलों में नामांकन बढ़कर 38.45 लाख पहुंच गया है। अकेले खीरी जिले में लगभग 8.9 लाख छात्र नामांकित हैं। वहीं बहराइच, बलरामपुर और सिद्धार्थनगर में भी पिछले वर्षों की तुलना में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। यह सब दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं और कायाकल्प कार्यक्रमों ने गांवों में शिक्षा के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ाया है।

भविष्य की दिशा

सरकार का मानना है कि आने वाले वर्षों में नामांकन और बढ़ेगा और ड्रॉपआउट दर घटेगी। नए इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल साधनों की वजह से अब सीमावर्ती गांवों के बच्चे भी बड़े शहरों के छात्रों की तरह आधुनिक शिक्षा से लैस हो रहे हैं। यह रिपोर्ट सीमावर्ती जिलों में बदलती शिक्षा की तस्वीर को दिखाती है। अब सवाल ये है कि आने वाले वर्षों में इन बच्चों की ये नई उड़ान प्रदेश के विकास की कितनी ऊंचाइयों को छुएगी।
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