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December 23, 2025

बिहार-झारखंड की ट्रेनों से हजारों कछुए बरामद, बांग्लादेश और चीन तक तस्करी, क्या है इसका असली मकसद?

The CSR Journal Magazine
बिहार, झारखंड और बंगाल से गुजरने वाली ट्रेनों से भारी संख्या में जिंदा कछुए पकड़े गए हैं, जो तस्करी के लिए ले जाए जा रहे थे। ये कछुए पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश, म्यांमार और चीन तक पहुंचाए जा रहे थे। हाल ही में गया और बरहरवा जैसे प्रमुख रेलवे स्टेशनों से लाखों रुपये की कीमत के कछुए जब्त किए गए हैं।

तस्करी का नेटवर्क और इसकी लंबी चेन

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यूपी और बिहार की नदियों से कछुए पकड़े जाते हैं, जिन्हें फिर झारखंड और बंगाल से होते हुए बांग्लादेश तक भेजा जाता है। यह तस्करी का एक पुराना और प्रभावी नेटवर्क है, जो अब तक हजारों कछुओं की तस्करी में शामिल है। पश्चिम बंगाल की ओर जाने वाली प्रमुख ट्रेनों से इन कछुओं को भेजने का काम किया जा रहा है, जिससे यह चीन तक पहुंचते हैं।

क्या है कछुए की तस्करी का मकसद?

कछुए का मांस और उनके अंगों का इस्तेमाल विभिन्न देशों में किया जाता है। विशेष रूप से चीन, म्यांमार और बांग्लादेश जैसे देशों में इनका व्यापार होता है। तस्करों ने बताया कि वे मुसहर समुदाय से कछुए खरीदते हैं और फिर उन्हें महंगे दामों पर बेच देते हैं। कछुए के मांस को खाद्य पदार्थ और दवाओं में उपयोग किया जाता है, जो इसे एक बहुत महंगा व्यापार बना देता है।

तस्करी की गतिविधियों का खुलासा और गिरफ्तारी

हाल ही में गया स्टेशन पर दून एक्सप्रेस से 48 कछुए जब्त किए गए थे, जिनकी कीमत लगभग 24 लाख रुपये थी। बरहरवा स्टेशन पर फरक्का एक्सप्रेस से भी 1000 से ज्यादा कछुए पकड़े गए थे। पुलिस ने तस्करों को गिरफ्तार किया और कछुओं को जब्त किया। ये कछुए पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजे जा रहे थे।

कछुओं को संरक्षित करना

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कछुओं की भारी मांग को देखते हुए, तस्करी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन, इन सभी पकड़े गए कछुओं को वन्यजीव अधिकारियों द्वारा गंगा नदी और अन्य जलाशयों में छोड़ दिया जाएगा, ताकि वे प्राकृतिक पर्यावरण में वापस लौट सकें।
कछुआ तस्करी का यह नेटवर्क न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक गंभीर समस्या बन गया है। पुलिस और वन्यजीव सुरक्षा बल लगातार इस पर नज़र बनाए हुए हैं, लेकिन यह व्यापार अब भी बड़े पैमाने पर जारी है।
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