भारतीय शादियों में एक नया और विवादित ट्रेंड उभर कर सामने आया है-“IV-ड्रिप बार”। इससे ये लगने लगा है कि शादी अब सिर्फ प्यार और उत्सव का ही नहीं, बल्कि पार्टी के बाद की “हताशा” (Hangover) को भी हैंडल करने की जगह बन गई है। पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें रिसॉर्ट-वेडिंग में कुछ मेहमान पूलसाइड लाउंज पर बैठकर IV-ड्रिप ले रहे हैं। स्लोगन था-“निम्बू पानी नहीं, असली IV बार”।
IV-ड्रिप बार: शादियों के हैंगओवर से निपटने का नया ट्रेंड
People are now setting up IV drip bar for hangovers at their wedding!
Only Indian weddings can be this stupid 😭😂 pic.twitter.com/jOxPMreTaC— Poan Sapdi (@Poan__Sapdi) November 20, 2025
ये आइडिया पहली बार कुछ लक्ज़री वेडिंग क्लीनिक्स द्वारा पेश किया गया है, जहां मेहमानों को हैंगओवर और “शादी थकान” से निपटने के लिए इलेक्ट्रोलाइट, विटामिन C और अन्य न्यूट्रिएंट्स के साथ IV फ्लूइड दिया जाता है। फैक्ट्री “Skulpted by Kan” जैसी क्लीनिक्स ने कहा है कि उनकी IV इन्फ्यूज़न सुरक्षित हैं और उनकी टीम पूरी तरह से प्रशिक्षित डॉक्टरों और नर्सों की है। मगर डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है। बिना पुरानी मेडिकल हिस्ट्री जांचे किसी को भी IV देना खतरनाक हो सकता है। इसके दुष्प्रभावों में संक्रमण, इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बिगड़ना, ब्लड प्रेशर में गिरावट आदि शामिल हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इसे “पार्टी गिमिक” के रूप में Normalize किया जाना गलत है, क्योंकि IV ड्रिप मूल रूप से एक चिकित्सा प्रक्रिया है, किसी फैशन एक्सपीरियंस की तरह नहीं।
इंडियन वेडिंग्स- ट्रेंड्स, मस्ती या स्वास्थ्य जोखिम?
भारतीय शादी सदियों से संस्कार, भावना, परिवार और सामूहिकता का प्रतीक मानी जाती है। सात फेरों के साथ जो रिश्ता जुड़ता है, उसे समाज हमेशा पवित्रता और स्थायित्व की नज़र से देखता आया है। लेकिन 2025 आते-आते भारतीय शादी इतनी तेज़ी से बदल गई है कि कई बार यह समझना मुश्किल होता है कि हम एक पवित्र रस्म में शामिल हैं या किसी हाई-फैशन इवेंट के भव्य लॉन्च का हिस्सा।आज शादी सिर्फ दो लोगों या दो परिवारों का मिलन नहीं रही! यह एक लाइफस्टाइल शोकेस, एक सोशल मीडिया इवेंट, एक प्रीमियम एक्सपीरियंस पैकेज और कभी-कभी एक मेडिकल वेलनेस कैंप बन चुकी है।
IV-ड्रिप बार से लेकर नकली शादियां, QR-कोड शगुन से लेकर AI vows, ये सब वे ट्रेंड हैं जिन्होंने परंपरा, आधुनिकता और दिखावे के बीच बहुत बड़ा सौंदर्य और सामाजिक टकराव पैदा किया है।
1. IV-Drip बार: आनंद या अति?
2025 की सबसे विवादित शुरुआत हुई “IV Drip Bar” से! एक ऐसा कॉन्सेप्ट जहां हैंगओवर से जूझ रहे मेहमानों को विटामिन, इलेक्ट्रोलाइट और हाइड्रेशन के नाम पर सड़क किनारे नहीं, बल्कि शादी स्थल पर ही IV-ड्रिप चढ़ाई जा रही है। पहले शादी में निम्बू-पानी, नारियल पानी और हल्की खिचड़ी से “हैंगओवर मैनेजमेंट” हो जाता था। अब IV ड्रिप को ग्लैमरस बनाकर फूलों, स्टीमर और सफेद पर्दों के बीच सजाया जा रहा है। यहां सवाल यह नहीं कि लोग अपनी सुविधा चाहते हैं, बल्कि यह कि क्या शादी जैसी पारिवारिक रस्म में मेडिकल उपचार को फैशन आइटम बनाना वाजिब है?
डॉक्टर साफ कहते हैं, “हर व्यक्ति को IV देना सुरक्षित नहीं ! संक्रमण, एलर्जी और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन का खतरा रहता है। मेडिकल प्रक्रियाओं को कैज़ुअली लेना खतरनाक साबित हो सकता है। लेकिन वेडिंग इंडस्ट्री के लिए यह एक “सेवा” है, और मेहमानों के लिए “फील-गुड” लग्ज़री। यह ट्रेंड बताता है कि भारतीय शादी धीरे-धीरे शरीर, स्वास्थ्य और पार्टी लाइफ को एक साथ जोड़ने की कोशिश में है और इसमें कहीं न कहीं अति और जोखिम दोनों छिपे हैं।
2. Fake Weddings: बिना दूल्हा-दुल्हन की शादी, सिर्फ माहौल
Now you can pay ₹1499 and attend a fake wedding. No dulha, no rishtedaar, you come, take the vibe and go home. This covers food, dhol, dancing, and Instagram worthy pictures. Wild concept! 🤣 pic.twitter.com/CE3b197lBV
— Aaraynsh (@aaraynsh) July 9, 2025
सबसे हैरान कर देने वाला ट्रेंड है- Fake Wedding Parties। इसमें कोई दूल्हा-दुल्हन नहीं होता, बस शादी जैसा माहौल यानि घोड़ी, संगीत, डांस, मंडप, फ़ोटोग्राफ़ी, हाई-एंड डेकोर, होता सब कुछ है, बस शादी नहीं होती। Gen-Z कहता है:
“हमें Commitment नहीं , सिर्फ Celebration चाहिए।” लोग ₹10,000 तक Ticket खरीदकर ऐसी पार्टियों में हिस्सा लेते हैं। उद्देश्य, महज़ खूबसूरत फोटो, शादी वाली पार्टी की मस्ती और सामाजिक दबाव से दूर एक “एस्केप”! लेकिन यह ट्रेंड एक गंभीर सामाजिक सवाल खड़ा करता है- क्या शादी का भाव समाप्त हो रहा है और सिर्फ उसका चित्रण बचा है? क्या हम एक ऐसे समय में प्रवेश कर चुके हैं जहां रस्में असली नहीं, बल्कि “Instagram-Ready Aesthetics” ज़्यादा मायने रखते हैं?
3. QR कोड शगुन: परंपरा की डिजिटल क्रांति
शादी में लिफ़ाफ़ा देना भारत में सिर्फ पैसों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि शुभकामना का प्रतीक रहा है। लेकिन 2025 में केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई जगहों पर लोग अपनी जेब पर QR कोड चिपकाकरमेहमानों से डिजिटल शगुन लेने लगे हैं। फायदे गिनाते हैं कि कैश की जरूरत नहीं, पारदर्शिता, चोरी या गुम होने का डर नहीं, और साथ ही सुविधाजनक भी है। लेकिन नुकसान या चिंताएं भी कम नहीं! भौतिक लिफ़ाफ़े का भाव खत्म, बुज़ुर्ग पीढ़ी का Disconnect और परंपराओं का भावनात्मक हिस्सा कमजोर होता जा रहा है। यह ट्रेंड भारतीय शादी को Digital Economy की बनावट में फिट करता है, लेकिन भावनात्मक घनत्व को हल्का भी कर देता है।
4. शादियां या कंटेंट फैक्ट्री? कैमरा पहले, भावना बाद में
आज शादी में मेहमानों के हाथ में प्लेट से ज़्यादा मोबाइल होता है। मंच पर दंपति से पहले कैमरा चलता है। 2025 में बड़े शहरों में “Wedding Content Creation Team” एक सामान्य सेवा बन चुकी है। इनकी जिम्मेदारियां हैं रील्स बनाना, ट्रांज़िशन वीडियो बनाना, वायरल साउंड, ड्रोन शॉट, बिहाइंड द सीन कंटेंट जैसी चीज़ें क्रिएट करना! ये चीजें शादी को सोशल मीडिया शो में बदल रही हैं। परिणाम- मेहमान भावना के बजाय कैमरे के लिए अभिनय कर रहे हैं। परिवार कैमरा क्रू के दबाव में रहता है और शादी की निजता टूटती जा रही है।सवाल फिर वही- क्या हम अपनी ही शादी सोशल मीडिया के लिए जी रहे हैं?
5. दुल्हन की “Bollywood Entry”: शोबाज़ी या भावनात्मक क्षण?
दुल्हन की एंट्री अब इतना भव्य कार्यक्रम बन चुकी है कि लगता है फिल्म का एक दृश्य है। धुआं, कोल्ड पायरोटेक्निक्स, प्रोजेक्शन, भारी-भरकम संगीत, समन्वित नृत्य, ट्रॉली, पालकी, बोट या एयरलिफ्ट स्टाइल एंट्री ! कई परिवारों के लिए यह आर्थिक बोझ बन रहा है, वहीं कुछ लोग इसे पूरी तरह दिखावा बताते हैं। दुल्हन की एंट्री जो कभी भावनाओं से भरा क्षण था, आज एक “Performance” बन चुकी है।
6. पेट-बरात: पालतू जानवरों की एंट्री का विवाद
कुत्तों या अन्य पालतुओं को शादी में सजाकर एंट्री कराने का ट्रेंड बढ़ रहा है। लेकिन तेज़ DJ, लाइट और बेतहाशा भीड़, इन सब से जानवरों को तनाव होने की आशंका रहती है। एनिमल वेलफेयर Groups इस पर नाराज हैं, और समाज का एक हिस्सा इसे “प्यारा” लेकिन खतरनाक बताता है।
7. AI Vows और Digital Invitations: तकनीक का भावनाओं पर कब्ज़ा
AI अब शादी में भी उतर आया है। AI-Generated Wedding Vows, AI द्वारा डिज़ाइन किए निमंत्रण, Avatar-Based Couple Cards, Voiceover Love Stories, यह ट्रेंड सुविधा देता है, लेकिन भावनाओं को मशीन के हवाले कर देता है। क्या प्रेम की प्रतिज्ञाएं अब एल्गोरिद्म पर आधारित होंगी?
8. आर्थिक दबाव और सामाजिक तुलना
वेडिंग इंडस्ट्री 6.5 लाख करोड़ से अधिक की अर्थव्यवस्था बन चुकी है। इसमें लक्ज़री ट्रेंड्स के कारण मध्यमवर्गीय परिवारों पर शादी के खर्च का दबाव बढ़ रहा है। भव्यता का यह दौर कर्ज, दिखावा, सामाजिक तनाव जैसी समस्याएं पैदा कर रहा है।
9. बदलते समय की ज़रूरत या असंतुलन?
विवादित ट्रेंड्स के पीछे कई बातें छिपी हैं। युवा पीढ़ी की स्वतंत्रता, सोशल मीडिया का प्रभाव, सुविधा और स्टाइल की चाह, अधिकतम आनंद का सिद्धांत, परंपराओं से दूरी! लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि वेडिंग एक्स्ट्रावैगैंस का यह बवंडर सभी के लिए नहीं है। कुछ ट्रेंड प्रगतिशील हैं- जैसे डिजिटल पेमेंट, लोकल कारीगरों का पुनरुत्थान। कुछ मनोरंजक हैं- जैसे थीम आधारित रस्में। लेकिन कुछ वाकई जोखिमपूर्ण या सामाजिक विभाजन बढ़ाने वाले हैं- जैसे IV बार, नकली शादी, अत्यधिक खर्च।
परंपराओं को बचाने की चुनौती
ये नए ट्रेंड्स दिखाते हैं कि वेडिंग इंडस्ट्री सिर्फ रस्म-रिवाज का नहीं रहा! अब शादी एक लाइफस्टाइल इवेंट है, जिसमें हेल्थ, टेक्नोलॉजी और पार्टी एक्सपीरियंस भी शामिल हो गया है। कुछ ट्रेंड (जैसे IV-ड्रिप) स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक हो सकते हैं, खासकर यदि उन्हें सिर्फ “पार्टी गिमिक” के रूप में पेश किया जाए। “फेक वेडिंग” ट्रेंड यह सवाल उठाता है कि पारंपरिक शादी का असली भाव बचा है या सिर्फ दिखावे और सोशल मीडिया के लिए जश्न मनाया जा रहा है। डिजिटल शगुन ट्रेंड इस बात को दर्शाता है कि भारतीय शादी-पारंपरिकता में टेक्नोलॉजी कितनी जल्दी घुल-मिल रही है, लेकिन यह परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन कैसे बनाता है, यह देखना होगा। बढ़ती वेडिंग इकॉनॉमी + लोकल कारीगरों की भागीदारी, यह एक सकारात्मक साइड है, क्योंकि अधिक लोग स्थानीय हस्तशिल्प, लोकल डिजाइनर और पारंपरिक कारीगरी की तरफ लौट रहे हैं।
भारतीय शादियों में दिखावे और बदलाव के बीच संस्कृति बचाने की लड़ाई
भारतीय शादियों में इन दिनों ऐसे ट्रेंड दिख रहे हैं जो परंपरा और आधुनिकता के टकराव का नया चेहरा बन गए हैं। IV ड्रिप बार जहां मेहमान हैंगओवर से राहत पाने के लिए विटामिन और हाइड्रेशन ड्रिप लगवा रहे हैं। सवाल उठ रहा है- क्या शादी अब अस्पताल-जैसी सुविधाओं का प्रदर्शन बनती जा रही है? इसी तरह फेक वेडिंग पार्टियों, QR-कोड शगुन, AI-जनरेटेड वचन, 360° कंटेंट क्रू, और साइलेंट-डिस्को समारोह जैसे ट्रेंड यह दिखाते हैं कि आज की शादी परंपरा से ज्यादा एक “इवेंट प्रोडक्शन” बन चुकी है। हर प्रक्रिया, हर भावना कैमरे के लिए डिजाइन की जा रही है। यहां तक कि दुल्हन की एंट्री भी फिल्मी सेट की तरह ड्राई आइस, स्पॉटलाइट और प्रोजेक्शन मैपिंग के साथ पेश होती है। लक्ज़री विदाई, पेट-बरात, और पोस्ट-पार्टी डिटॉक्स बार जैसे प्रयोग समाज में बहस की वजह बने हुए हैं। बुज़ुर्ग इसे ‘परंपरा का क्षरण’ कहते हैं, जबकि युवा इसे ‘आधुनिक उत्सव की आत्मा’ मानते हैं। असल चिंता यह है कि अरबों की शादी संस्कृति धीरे-धीरे भावनाओं की जगह दिखावा, सोशल मीडिया प्रदर्शन औ र दबाव भरे ट्रेंड ले रहे हैं।
इन ट्रेंडों का विस्तार भारतीय सामाजिक संरचना को यह याद दिलाता है कि शादी केवल संस्कार नहीं, बल्कि बदलते समय, आर्थिक स्थिति और सांस्कृतिक मानसिकता का दर्पण है। चुनौती यही है- क्या हम परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बना पाएंगे, या फिर शादी पूरी तरह “शो” बन जाएगी?
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