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July 14, 2025

Shivsena Symbol Dispute SC Hearing: शिवसेना के नाम और चिन्ह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अगस्त में

The CSR Journal Magazine

धनुष-बाण चिन्ह शिंदे गुट को देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उद्धव ठाकरे

सुप्रीम कोर्ट अब अगस्त महीने में शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह को लेकर चल रहे विवाद की सुनवाई करेगा। यह मामला उद्धव ठाकरे की उस याचिका से जुड़ा है जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें “शिवसेना” का आधिकारिक नाम और “धनुष-बाण” वाला चुनाव चिन्ह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट को सौंप दिया गया था। सोमवार को यह याचिका सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच के सामने सूचीबद्ध हुई थी। इस सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से अंतरिम राहत देने की अपील की, ताकि महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों से पहले कोई नुकसान न हो। लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि फिलहाल अंतरिम राहत देने के बजाय मुख्य याचिका पर ही फैसला लिया जाएगा। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “इकलौता रास्ता यही है कि हम मुख्य मामला ही तय करें। अगस्त में हम इसे समायोजित करेंगे और शाम तक तारीख की जानकारी दे देंगे।”

एनसीपी मामले की तरह अंतरिम राहत की मांग

ठाकरे गुट की ओर से की गई अपील में वैसी ही अंतरिम व्यवस्था की मांग की गई थी जैसी हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने दी थी। उस मामले में कोर्ट ने अजित पवार गुट को आदेश दिया था कि वे अपने प्रचार में यह स्पष्ट करें कि वे जिस “घड़ी” चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह अभी न्यायालय के फैसले के अधीन है। Shivsena Symbol Dispute SC Hearing

Shivsena Symbol Dispute SC Hearing: क्या है पूरा मामला?

फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया था कि एकनाथ शिंदे का गुट ही असली शिवसेना है। आयोग ने उन्हें शिवसेना का नाम और पारंपरिक “धनुष-बाण” चुनाव चिन्ह देने का आदेश दिया था। दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे गुट को “शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)” नाम और “जलती मशाल” वाला चिन्ह अस्थायी रूप से दिया गया। उद्धव ठाकरे ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को निभाने में निष्पक्षता नहीं दिखाई और शिंदे गुट के पक्ष में पक्षपातपूर्ण निर्णय दिया।

स्पीकर को लेकर अलग याचिका भी दायर

उद्धव गुट की ओर से सांसद सुनील प्रभु ने एक और याचिका दायर की है, जिसमें महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे शिंदे गुट के बागी विधायकों की अयोग्यता से जुड़ी याचिकाओं पर जल्द फैसला करें।

फिलहाल क्या स्थिति है? Shivsena Symbol Dispute SC Hearing

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने ठाकरे गुट को आदेश दिया है कि वे चुनाव आयोग के 133(IV) के तहत “शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)” नाम और “जलती मशाल” चिन्ह का इस्तेमाल तब तक कर सकते हैं जब तक मुख्य याचिका पर फैसला नहीं आ जाता। वहीं शिंदे गुट की ओर से मौखिक आश्वासन दिया गया है कि वे तब तक ठाकरे गुट के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई शुरू नहीं करेंगे, हालांकि यह आश्वासन कोर्ट के आदेश का हिस्सा नहीं है।

संविधान पीठ के फैसले का हवाला

अगस्त 2023 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की बेंच के सामने भी यह मामला उठा था। तब उद्धव ठाकरे की ओर से दलील दी गई थी कि शिवसेना से जुड़ा यह मामला पहले ही संविधान पीठ द्वारा तय किए गए उस फैसले के दायरे में आता है, जिसमें कहा गया था कि केवल विधायी बहुमत के आधार पर असली पार्टी का फैसला नहीं किया जा सकता। हालांकि तब कोर्ट ने संकेत दिया था कि इस पर सुनवाई जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 मामले के बाद की जाएगी। अब सभी की नजर अगस्त में होने वाली सुनवाई पर टिकी है। यह फैसला सिर्फ शिवसेना के भविष्य को ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति को भी गहराई से प्रभावित कर सकता है। उद्धव ठाकरे गुट को उम्मीद है कि कोर्ट से उन्हें न्याय मिलेगा और चुनाव आयोग के फैसले को पलटा जा सकेगा।
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