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कर्नाटक – सरकारी स्कूलों के 30 से ज्यादा सूखे हुए बोरवेल रिचार्ज, 10 हज़ार बच्चों को होगा लाभ  

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अगर आप पानी की समस्या से जूझ रहे हैं तो ऐसे पाएं घर के भीतर जल से जल
 
जहां देश भर में भीषण गर्मी से हाल बेहाल है वहीं पानी की समस्या से भी लोग जूझ रहे है। भीषण गर्मी से ग्रामीण इलाकों में जहां ग्राउंड वाटर का स्तर नीचे चला जाता है, नल सुख जाता है और पीने के पानी की समस्या भयावह हो जाती है। लेकिन भीषण गर्मी के बावजूद कर्नाटक के कोप्पल में स्कूल पानी और हरियाली से भरपूर हैं। लेकिन कुछ साल पहले कोप्पल के सरकारी स्कूलों का भी हाल बेहाल था, आलम ये था कि एक के बाद एक सरकारी स्कूलों के नल सूख जाते थे। बच्चों को पीने का पानी नहीं मिलता था। लेकिन अब ये बात पुरानी हो चुकी है। बच्चों को अब पीने का पानी भी मिल रहा है और Ground Water Level भी ठीक है।

सीएसआर पहल से 30 से अधिक सरकारी स्कूलों में पहुंचा पानी

इसका श्रेय जाता है सिकंदर मीरानायक को, जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में स्कूलों में 30 से अधिक सूखे बोरवेलों में पानी पहुंचाया है। सिकंदर एक एनजीओ चलाते है जिसका नाम संकल्प रूरल डेवलपमेंट सोसायटी है। जिसकी मदद से सिकंदर बोरवेल को रिचार्ज करते है। जब सिकंदर को ये जानकारी मिली कि जिले के कई स्कूलों में पीने का पानी नहीं है और कुछ स्कूलों में बोरवेल हैं, लेकिन वे सूख गए हैं। तब उन्होंने एक माइक्रोफाइनेंस कंपनी से संपर्क किया और सीएसआर पहल के माध्यम से फंड इकट्ठा किया, और कोप्पल के स्कूलों में बोरवेल को रिचार्ज करने का काम शुरू किया।

नहीं मिली सरकारी मदद तो सीएसआर से हुआ बोरवेल रिचार्ज

The CSR Journal ने जब Sikandar Meeranaik से बात की तो उन्होंने बताया कि Karnataka का Koppal जिला एक सूखा क्षेत्र है और इस क्षेत्र के कई स्कूलों ने बोरवेल की मरम्मत के लिए सरकारी मदद लेने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। बोरवेल सूख जाने के कारण स्कूल अधिकारियों ने मदद मांगना बंद कर दिया। भूमिगत जलस्तर गिरने से बोरवेल सूखने लगे हैं। किसानों ने 2022 और 2023 में अपनी फसलों को बचाने के लिए टैंकर लाने की कोशिश की, लेकिन कई अन्य लोगों की बर्बाद हो गई। दो साल पहले सिकंदर को इसके बारे में पता चला और उसने कोप्पल में फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक से संपर्क किया और स्कूलों की स्थिति के बारे में बात की। फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक का मैनेजमेंट CSR से मदद करने के लिए सहमत हो गया और इस संयुक्त उद्यम से 10,000 से ज्यादा छात्रों को मदद मिली।

छात्रों और किसानों के मिली आशा, पीने का पानी हुआ उपलब्ध

सिकंदर का कहना है कि जब उन्हें सूखे बोरवेल के बारे में पता चला तो उन्होंने कुछ स्कूलों का दौरा किया और एक सूची बनाई, उनके प्रयासों से स्कूलों में 30 से ज्यादा बोरवेल और यहां परेशान किसानों के 10 बोरवेल को सफलतापूर्वक रिचार्ज किया गया है। इस प्रयास से न सिर्फ तात्कालिक जल संबंधी समस्या का समाधान हुआ बल्कि किसानों और स्कूली बच्चों में आशा भी जगी है। एक बार बारिश के पानी से रिचार्ज होने के बाद, ये बोरवेल एक स्थायी जल स्रोत बने रहेंगे। आपको बता दें कि कोप्पल एक गर्म स्थान है और इस बार तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इस स्थान के चारों ओर चट्टानी पहाड़ियां हैं, इसलिए यहां गर्मी अधिक होती है। बहरहाल Corporate Social Responsibility पहल से बच्चों को काफी राहत मिली है।