एक कहावत है, गरीब की थाली में जब पुलाव आ जाये तो समझों कि देश में चुनाव आ गया है, वही कुछ हो भी रहा है, चुनावी साल है, हर एक राजनीतिक दल चुनावी चाल चल रही है, कोई पूछ रहा है हाऊ इज दी जोश तो कोई पूछ रहा है कि हाऊ इज दी जॉब, भारी संकट है, जनता की, पेशों पेश में है जनता कि किसकी सुने, क्या समझे, क्या करें, किसान खुश है, मिडल क्लास की बल्ले बल्ले है, ओबीसी खुश है, एससी एसटी खुश है और सवर्ण है कि भांगड़ा कर रहा है, हर किसी की झोली में कुछ ना कुछ जा रहा है, सरकार सबका साथ दे रही है, सबका विकास कर रही है, ऐसा नही है कि बीजेपी के इस राज में रामराज्य आ गया है, कतई नही, रामराज्य नही चुनाव आ गया है और जब चुनाव आता है तो सरकार खुश करती है जनता को, व्यापारी, हर क्लास को वही हो भी रहा है। 1 फरवरी को बजट पेश हुआ, उम्मीद लगाए गए थे कि चुनावी साल है, ऐसे में सरकार रिस्क नही लेगी, झोली भरेगी, पिटारा खुलेगा, लेकिन ये सिर्फ उम्मीदों का ही बजट नही रहा बल्कि सरकार ने दिया और ऐसा दिया कि छप्पड़ फाड़ दिया।
चुनावी साल में घोषणाओं की झड़ी लगाकर मोदी सरकार ने सर्दी में सावन का एहसास करा दिया, अभी दो दिन भी नहीं हुए थे इस ख़बर को पढ़ते हुए कि देश में 45 वर्ष में बीते वित्तवर्ष सबसे ज्यादा बेरोज़गारी दर्ज की गई है, वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने तमाम आलोचनाओं को खारिज करते हुए अपने भाषण में सपनों का संसार गुलाबी कर दिया, उनकी प्रत्येक घोषणा के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी अपनी टेबल पर थाप दिए जा रहे थे, बजट सौगातों भरा रहा किसानों को, जिनके पास दो हेक्टेयर से कम ज़मीन है, उनके खाते में 6,000 रुपये प्रतिवर्ष सरकार जमा करा देगी। असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को प्रतिमाह 1,000 रुपये, 15,000 रुपये तक की सैलरी वाले को 3,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन, EPFO में बीमा सीमा छह लाख रुपये, करमुक्त ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की घोषणा। यह सब कुछ दिया वित्तमंत्री ने अपने भाषण में, फायदों के लिए नई सरकार के बजट का इंतज़ार करना होगा। सवर्ण आरक्षण के बाद इनकम टैक्स में छूट मोदी सरकार का ये दूसरा मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। जिनकी आय पांच लाख तक उन्हें कोई भी इनकम टैक्स देने की जरूरत नही है। जाहिर है मोदी सरकार तो सत्ता में साल 2014 में आई लेकिन सरकार का इतना दरियादिली कभी नज़र नही आया।
मोदी सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने एक बात कही कि हमारी दिशा सही और नीति स्पष्ट है, निष्ठा अटल है इसपर विपक्ष ने कहा कि बजट एक और ‘जुमला’ है। बहरहाल ये बजट पूर्ण बजट नही था बल्कि अंतरिम, नई सरकार आने के बाद फिर से बजट रखा जाएगा, ऐसे में सवाल कि मोदी सरकार अपनी घोषणाओं और उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच किस तरीके से जाती है और जनता उनकी बातों पर कितना भरोसा करती है। कुछ भी हो सत्ता हासिल करने के लिए पक्ष विपक्ष लोकलुभावनें वादे कर वोट पाना चाहते है, काश ये नेता जनता का दिल जीतते, काश ये नेता लोग जनता का दुःख जीतते।