सिंगरौली, मध्य प्रदेश का एक आदिवासी बहुल क्षेत्र, अब महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में नई कहानी लिख रहा है। कोयला मंत्रालय के अधीन आने वाली PSU कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) ने अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) पहल के तहत सिंगरौली महिला लघु धारक पोल्ट्री परियोजना शुरू की है। यह परियोजना आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पोल्ट्री परियोजना के माध्यम से सिंगरौली की 750 से अधिक आदिवासी महिलाओं को पोल्ट्री फार्मिंग की ट्रेनिंग और रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
एनसीएल का सीएसआर ला रहा है सिंगरौली की आदिवासी महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव
इन महिलाओं को न केवल मुर्गी पालन की तकनीकी जानकारी दी जा रही है, बल्कि उन्हें आर्थिक सहायता और मार्केटिंग में भी मदद मिल रही है। NCL यानी Northern Coalfields Limited ने अपने CSR – Corporate Social Responsibility की मदद से महिलाओं को उनके गांवों में ही छोटे पोल्ट्री यूनिट स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को ऐसा कौशल देना है जिससे वे अपने परिवार की आय बढ़ा सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। सिंगरौली की आदिवासी महिलाओं के लिए यह परियोजना किसी वरदान से कम नहीं है।
सीएसआर की मदद से एनसीएल ने बनाई है महिला पोल्ट्री प्रोड्यूसर्स कंपनी लिमिटेड
Northern Coalfields Limited ने सिंगरौली (Madhya Pradesh News) महिला पोल्ट्री प्रोड्यूसर्स कंपनी लिमिटेड बनाई है। सिंगरौली जिले के 16 गांव में 750 इकाइयां कम कर रही है। सीएसआर की मदद से एनसीएल की पोल्ट्री परियोजना में एक महिला सदस्य एक साल में चिकन के 6 से 7 बैच पालती है। मुर्गी पालन में दिन में दो से तीन घंटे का समय लगता है। 500 मुर्गियों के सेट से 35000 से लेकर 45000 रुपए सलीना की कमाई ये महिलाएं कर रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 18 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ जबकि फिलहाल के चालू वर्ष 2024-25 में अब तक 10 करोड़ रुपए का कारोबार हो चुका है। इस फाइनेंसियल ईयर में 24 करोड़ से अधिक आय के कारोबार का लक्ष्य रखा गया है।
NCL के इस परियोजना से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिल रहा है बढ़ावा
यह परियोजना न केवल महिलाओं के जीवन में बदलाव ला रही है, बल्कि सिंगरौली की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बना रही है। पोल्ट्री उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण स्थानीय बाजारों में व्यापार बढ़ रहा है। साथ ही, यह पहल गांवों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही है। हम आपको बता दें कि 750 आदिवासी महिलाएं प्रत्यक्ष रूप से इस परियोजना से लाभान्वित हो रही है। रोजगार की तलाश में अब इन महिलाओं को बाहर नहीं बल्कि उनके घर पर ही रोजगार मिल रहा है और इन रोजगारों से कमाई भी अच्छी खासी हो रही है। आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ अब इन आदिवासी महिलाओं के हर सपनों को पंख लग रहे हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में सीएसआर का ये एक बड़ा कदम है
सीएसआर से एनसीएल (NCL) की यह पहल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक उदाहरण बन रही है। कंपनी का मानना है कि सशक्त महिलाएं न केवल अपने परिवार का भविष्य बेहतर बनाती हैं, बल्कि पूरे समाज के विकास में भी योगदान देती हैं। सिंगरौली महिला लघु धारक पोल्ट्री परियोजना, आदिवासी महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की एक सफल पहल है। यह न केवल महिलाओं के जीवन में बदलाव ला रही है, बल्कि समाज के विकास की नई दिशा भी तय कर रही है। ऐसी पहलें यह साबित करती हैं कि यदि महिलाओं को सही अवसर और समर्थन मिले, तो वे समाज और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।