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July 8, 2025

9 जून के देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा की गेट मीटिंग

Joint Trade Union Strike– 9 जुलाई को प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के लिए सोमवार को SP Mines चितरा कोलियरी में गेट मीटिंग आयोजित की गई। मजदूर नेताओं ने सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया।

9 जुलाई को Joint Trade Union का ‘भारत बंद’

बुधवार, 9 जुलाई, 2025 को 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा किसानों और ग्रामीण मज़दूर संगठनों के साथ मिलकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस विरोध प्रदर्शन को “भारत बंद” नाम दिया गया है, जिसका उद्देश्य सरकार की नीतियों का विरोध करना है, जिन्हें यूनियनें कॉर्पोरेट समर्थक और मज़दूर विरोधी बताती हैं। आयोजकों को उम्मीद है कि औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों में 25 करोड़ से ज़्यादा मज़दूर इसमें भाग लेंगे, जिसमें ग्रामीण भारत से किसान और खेतिहर मज़दूर शामिल होंगे।

25 करोड़ कर्मचारी शामिल होंगे हड़ताल में

Joint Trade Union Strike- इस हड़ताल में 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी हिस्सा लेने वाले हैं। इसमें बैंक, डाक, कोयला खनन, बीमा, परिवहन, फैक्ट्रियां और निर्माण जैसे कई सेक्टरों के कर्मचारी शामिल हैं। इसके अलावा, किसान और ग्रामीण मजदूर भी इस विरोध में शामिल होंगे। ये हड़ताल देशभर में होगी। रेलवे और टूरिज्म जैसे कुछ जरूरी सेक्टरों को इस हड़ताल से बाहर रखा गया है। शिक्षण संस्थानों, जैसे स्कूल और कॉलेजों के बारे में कोई साफ जानकारी नहीं है कि वे पूरी तरह बंद रहेंगे। परिवहन सेवाओं के प्रभावित होने की वजह से आने-जाने में दिक्कत हो सकती है।

पहले भी हो चुकी इस तरह की हड़तालों को SKM का समर्थन

Joint Trade Union Strike- इस हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और कृषि मजदूरों के संगठनों का भी समर्थन मिला है। वे ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, रैलियां और सभाएं आयोजित करेंगे। इसके अलावा कुछ विपक्षी पार्टियां भी इस हड़ताल का समर्थन कर रही हैं। ट्रेड यूनियनों ने पहले भी ऐसी देशव्यापी हड़तालें की हैं। नवंबर 2020, मार्च 2022 और फरवरी 2024 में भी इसी तरह की हड़तालें हुई थीं, जिनमें लाखों कर्मचारियों और किसानों ने हिस्सा लिया था।
यूनियनों का कहना है कि ये हड़ताल शांतिपूर्ण होगी और इसका मकसद सरकार का ध्यान मजदूरों-किसानों की समस्याओं की ओर खींचना है। हालांकि, इतने बड़े पैमाने की हड़ताल से कुछ जगहों पर तनाव या असुविधा की स्थिति बन सकती है।

सरकार ने Joint Trade Union Strike मुद्दे पर साधी चुप्पी

Joint Trade Union Strike- अभी तक सरकार की ओर से इस हड़ताल पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन पहले की हड़तालों को देखें तो सरकार अक्सर इन्हें “सीमित प्रभाव” वाली बताती रही है। इस बार भी सरकार और यूनियनों के बीच तनाव बढ़ सकता है, क्योंकि यूनियनें सरकार की नीतियों को बदलने की मांग कर रही हैं।

मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए Joint Trade Union हड़ताल

Joint Trade Union Strike- 9 जुलाई को प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के उद्देश्य से सोमवार को संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा द्वारा SP Mines चितरा कोलियरी के वर्कशॉप के समक्ष गेट मीटिंग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मजदूरों को हड़ताल के कारणों से अवगत कराते हुए जागरूक किया गया और सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए मजदूर नेता पशुपति कोल, श्याम सुंदर तिवारी, रामदेव सिंह सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि सरकार कोयला खदानों का तेजी से निजीकरण कर रही है, जिससे मजदूरों के अधिकारों का हनन हो रहा है।

सरकार पर लगाया निजीकरण का आरोप

Joint Trade Union Strike- सभा में एटक के रामाश्रय प्रसाद सिंह ने कहा वर्तमान मोदी सरकार द्वारा अपने कॉरपोरेट आकाओं को दी गई चुनाव-पूर्व मोदी-गारंटी, यानी व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राहत, रियायतें, छूट और प्रोत्साहन प्रदान की जा रही है। निजीकरण के विभिन्न तरीकों के माध्यम से राष्ट्रीय संपत्ति और संसाधनों को सौंपने की तैयारी की जा रही है। अगला विनाशकारी कदम, 29 मौजूदा श्रम कानूनों को निरस्त करते हुए उन्हें चार श्रम संहिताओं में शामिल करने का निर्णय लिया गया है।

Joint Trade Union हड़ताल को सफल बनाने लिया गया संकल्प

सीटू के आर के गोरांई ने कहा श्रमिकों के एक बड़े वर्ग को लेबर कोड से बाहर रखा गया है। कोड के कार्यान्वयन के लिए श्रमिकों के न्यूनतम संख्या की सीमा को इस स्तर तक बढ़ा दिया गया है कि नियोक्ता आसानी से सुरक्षा अधिकारी, कल्याण अधिकारी, कैंटीन, विश्राम कक्ष या भोजन कक्ष, एम्बुलेंस आदि उपलब्ध कराने के दायित्वों से बच सकते हैं। HMS के एस के सिंह ने कहा, “मज़दूर यह संकल्प दोहराते हैं कि सामाजिक परिवर्तन के संघर्ष में मज़दूरों और कर्मचारियों की अधिकतम भागीदार सुनिश्चित करेंगे और आगामी 9 जूलाई को होने जा रही देशव्यापी हड़ताल को मुक्कमल सफल करेंगे।” सभा की अध्यक्षता प्रवेश कुमार ने किया। वहीं दूसरी ओर मोर्चा की ओर से एक सभा का आयोजन मनसा सिंह गेट के समक्ष किया गया, जिसे एटक के बी के राम, सीटू के आर के गोरांई, एआईयूटीयूसी के सुभाष प्रमाणिक ने संबोधित किया।

अधिक काम , कम वेतन, न्यूनतम सुविधा का मुद्दा

Joint Trade Union Strike- आउटसोर्सिंग कंपनियों में मजदूरों से आठ घंटे से अधिक कार्य कराया जा रहा है, लेकिन उन्हें न तो समान काम का समान वेतन दिया जा रहा है और न ही आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों के अधिकारों को छीना जा रहा है। ठेका मजदूरों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं दी जा रही हैं, जिससे उनका जीवन और कठिन हो गया है। इसी के विरोध में आगामी 9 जुलाई को देशभर में मजदूर एकजुट होकर हड़ताल करेंगे। उन्होंने सभी को इस आंदोलन को सफल बनाने की अपील की। इस अवसर पर त्रिलोचन राय, छबोनी मरांडी, सोना मुनी मुर्मू, शांति मुर्मू, शोभा देवी, मंजू देवी, जुगल दास, किसान मलिक, बलराम मंडल, पवन भोक्ता, भोला महतो, जितेंद्र मंडल, सुशील मरांडी समेत बड़ी संख्या में मजदूर व ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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