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जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है भारतीय लोकतंत्र 

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इसे लोकत्रंत की खूबसूरती ही कहेंगे कि एक्ट्रेस कंगना रनौत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की गरिमा को भूलकर तू तड़ाक पर उतर आयी। इसे लोकतंत्र की खूबसूरती ही कहेंगे कि आतंकी कसाब ने भारत देश पर हमला किया और उसे ही हम क़ानूनी मदद दिए। ये लोकतंत्र की खूबसूरती ही है कि हम देश के पीएम तक को गालियां देतें है और अभिव्यक्ति की आज़ादी का हवाला देते हुए बस यही हम कहतें हैं “ये भारत देश है, यहां सब चलता है” ये इसलिए चलता है क्योंकि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है। बड़े गर्व की बात ये भी है कि भारत देश, विश्व में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।

भारतीय लोकतंत्र में है अभिव्यक्ति की आज़ादी

भारत के लोकतंत्र ने बदलते समय के साथ खुद को ढाला है। बीते कुछ समय से आप एक शब्द सुन रहे है लोकतंत्र की हत्या, संविधान की हत्या। कंगना का मामला हो या फिर दिल्ली एनआरसी मामले को लेकर दंगा हो। अक्सर अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में जब कोई बात अपने पक्ष में नहीं होती तो हम ऐसा जोर-जोर से चिल्लाने लगते हैं। खास तौर पर पिछले कुछ सालों ऐसा काफी देखने को मिला रहा है। अपनी सुविधाओं के अनुसार चलने वाले लोगों की माने तो कभी यह खतरे में आ जाता है और कभी इससे छेड़छेड़ हो जाती है। कभी लोकतंत्र की हत्या हो जाती है तो कभी किसी दिन को लोकतंत्र को काला दिन करार दिया जाता है।
इन सबके बावजूद देश के सबसे कमजोर और ज़रूरतमंद लोगों का इसमें विश्वास बरकरार है और लोकतांत्रिक सरकारें अपनी कल्याणकारी योजनाओं के सहारे देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में पड़ाव दर पड़ाव मंज़िल की ओर बिना थके बढ़ती जा रही हैं। लोकतंत्र की ही महिमा है कि आज देश की आधी आबादी, समाज के दबे-कुचले तबके उन सुविधाओं का आनंद ले रहे हैं जो हमारे पड़ोसी देशों के लोगों को मयस्सर तक नहीं है। 15 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस है तो आईये इस ख़ास दिन को हम भी सेलिब्रेट करें और जानें भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती।

लोकतंत्र क्या है ?

लोकतंत्र की खूबसूरती को समझने के लिए सबसे पहले लोकतंत्र को समझते है। लोकतंत्र का अर्थ सिर्फ लोगों का, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए, नहीं है. इसका व्यापक अर्थ सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक लोकतंत्र है। एक देश सही रूप में तभी लोकतांत्रिक है यदि देश में रहने वाले सभी लोगों को समान समाजिक अवसर और प्रतिष्ठा प्राप्त हो, जब देश के सभी लोगों को सामान आर्थिक अवसर मिलें और देश के सभी लोगों को राजनीति में समान भागीदारी मिले।

क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस

लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 15 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य दुनिया में लोकतंत्र की स्थिति की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करना है। यह दिन सभी सरकारों से अपने नागरिकों को लोकतंत्र में सक्रिय, सशक्त और सार्थक भागीदारी के अधिकार का सम्मान करने का आग्रह करता है। यह दिन सभी सरकारों से अपने नागरिकों के लोकतंत्र में सक्रिय, सशक्त और सार्थक भागीदारी के अधिकार का सम्मान करने का आग्रह करता है। लोकतंत्र एक ऐसी प्रक्रिया है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय, राष्ट्रीय शासी निकायों, नागरिक समाज और व्यक्तियों द्वारा पूर्ण भागीदारी और समर्थन के साथ ही होगी। लोकतंत्र एक दो-तरफ़ा सड़क है जो नागरिक समाज और राजनीतिक वर्ग के बीच निरंतर संवाद पर बनी है।

विपक्ष की ताकत ही भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाती है

किसी भी लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। लेकिन हमारे देश में विपक्ष के दल कमजोर हैं, लाचार है। उनकी बेबसी, उनकी निष्क्रियता के कारण साफ महसूस किये जाते हैं। संजीदा और लोगों के रोजमर्रे के बढ़ते संकट के बीच उनकी चुप्पी परेशानी का सबब है। दो एक नेताओं के ट्वीट के अलावे सरकार की नीतियों के संदर्भ में कोई टिप्पणी या आलोचना के स्वर सुनायी नहीं देते हैं। क्योंकि सक्रिय विपक्ष के बगैर जिम्मेदार और लोगों के प्रति जबावदेह सरकार की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती है। 2019 के चुनाव के बाद की विपक्षी राजनीति की खामोशी बताती है कि वे बिना लड़े ही हथियार डालने के लिए तैयार हैं। जबकि विधानसभा चुनावाओं में नागरिक विकल्प की तलाश करते नजर आते हैं।

भारत में गहरी है भारतीय लोकतंत्र की जड़े

भारत में लोकतंत्र का विचार हजारों साल पुराना है। यहां लोकतंत्र की जड़े काफी गहरी है और वैदिक काल से ही हमारे यहां लोकतंत्र की परंपरा रही है। प्राचीन काल से इस देश में अपनी बात मनवाने के लिए शस्‍त्र का नहीं शास्‍त्र और संवाद को सहारा लिया गया। पश्चिमी विचारधारा से प्रभावित राजनीतिशास्‍त्र के विद्वानों की यह धारणा कदापि सही नहीं है कि लोकतंत्र का सबसे पहले उदय यूनान में हुआ। उनकी यह मान्‍यता सही नहीं है। भारत में वैदिक सभ्‍यता के शुरुआत में ऋगवेद की रचना के समय में ही पांच हजार साल पहले लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था की मजबूत नींव पड़ चुकी थी। उस वक्‍त लोकतांत्रिक इकाई में राजा भी आता था, जिसे राजा बनते समय उसे जनता के कल्‍याण के शपथ लेनी पड़ती थी। मौर्य, गुप्‍ता और हर्ष काल में ग्राम सभाओं और पंचायत का विकास हुआ जो ग्रामीण व्‍यवास्‍था की देखरेख के साथ न्‍याय प्रशासन का कार्य भी किया करते थे। गणराज्‍य एक तरह से पहले से स्‍थापित जनपदों का ही विकसित रूप था। इन्‍हीं जनपदों ने आगे चलकर गणतंत्र का रूप लिया।

भारतीय लोकतंत्र की मजबूती

भारत के संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व, संपन्न, लोकतांत्रिक, समानता वादी धर्मनिरपेक्ष गणराज्य है। भारत में संसद देश का सबसे मजबूत और शक्तिशाली सदन है। संविधान में नागरिकों को विशेष अधिकार दिए हैं। जिसका हनन होने पर वह न्यायालय के सहायता ले सकते हैं। भारत का संविधान लिखित रूप में है और यही इसकी सबसे मजबूत कड़ी है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। देश की जनता को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है। जिसके लिए चुनाव आयोग गठित किया गया है। जनता को अभिव्यक्ति और समानता का अधिकार है। इन सभी अधिकारियों की जानकारी व रक्षा के लिए शिक्षा का अधिकार भी दिया गया है। अगर देश की जनता शासन के कार्यों से असंतुष्ट हो, तो विरोध भी जा सकती है। लोकतंत्र दुनिया में सबसे बेहतरीन शासन प्रणाली माना जाता है। और यही है हमारे लोकतंत्र की मजबूती।

भारतीय लोकतंत्र में कुछ खामियां

लोकतंत्र में कुछ खामियां भी पैदा हो गई है। जैसे कि जोड़ तोड़ की राजनीति करना। राजनैतिक अपराध, राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और अधिकारों की पूर्ण पहुंच ना होना। संसदीय वाद विवाद की कमी होना। यही कारण है कि शिक्षित समाज का राजनीति से रुझान धीरे-धीरे कम होता जा रहा है जो भारत जैसे लोकतंत्र के लिए बहुत ही चिंतनीय विषय है और यही वक्त है, आइए, आज अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस के मौके पर हम सब मिलकर भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को और भी मजबूत करें।