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International Anti-Corruption Day – सूचना का अधिकार करे भ्रष्टाचार पर प्रहार

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भ्रष्टाचार एक ऐसा मकड़जाल है कि देश का हर एक नागरिक इससे जूझ रहा है। भ्रष्टाचार सबसे जटिल सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक घटनाओं में से एक है, जिसने सिर्फ भारत को ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी देशों को प्रभावित किया है। करप्शन जन्म से लेकर मृत्यु तक हर काम में है। भ्रष्टाचार पर दुनिया भर में अध्ययन करने वाली एजेंसी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत एशिया का सबसे भ्रष्ट देश है। हम हर साल 9 दिसंबर को भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए इंटरनेशनल एंटी करप्शन डे (International Anti Corruption Day) मनाते हैं। (International Anti Corruption Day के ख़ास अवसर पर आइए हम आरटीआई यानी सूचना का अधिकार पर जानतें हैं जो भारत में भ्रष्टाचार से लड़ने का सबसे शक्तिशाली हथियार है।

भ्रष्टाचार से लड़ने का कारगर हथियार है आरटीआई

RTI (राइट टु इन्फर्मेशन – Right To Information) यानी सूचना का अधिकार ने आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इस कानून का मकसद सरकारी महकमों की जवाबदेही तय करना और पारदर्शिता लाना है ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके। यह अधिकार आपको ताकतवर बनाता है। ऐसे में अगर आपके बच्चों के स्कूल के टीचर अक्सर गैर-हाजिर रहते हों, आपके आसपास की सड़कें खराब हालत में हों, सरकारी अस्पतालों या हेल्थ सेंटरों में डॉक्टर या दवाइयां न हों, अफसर काम के नाम पर रिश्वत मांगे या फिर राशन की दुकान पर राशन न मिले तो आप सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के तहत ऐसी सूचनाएं पा सकते हैं।

भ्रष्टाचार को खत्म कर रहा है आरटीआई

‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’ का सिर्फ भारतीय नागरिक ही इस कानून का फायदा ले सकते हैं। नागरिकों को डिस्क, टेप, विडियो कैसेट या किसी और इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट आउट के रूप में सूचना मांगने का हक है, बशर्ते मांगी गई सूचना उस रूप में पहले से मौजूद हो। रिटेंशन पीरियड यानी जितने वक्त तक रेकॉर्ड सरकारी विभाग में रखने का प्रावधान हो, उतने वक्त तक की सूचनाएं मांगी जा सकती हैं। हर सरकारी महकमे में एक या ज्यादा अधिकारियों को जन सूचना अधिकारी (पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर यानी पीआईओ) के रूप में अपॉइंट करना जरूरी है। आम नागरिकों द्वारा मांगी गई सूचना को समय पर उपलब्ध कराना इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है।

ये विभाग हैं RTI दायरे में

– राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री दफ्तर
– संसद और विधानमंडल
– चुनाव आयोग
– सभी अदालतें
– तमाम सरकारी दफ्तर
– सभी सरकारी बैंक
– सारे सरकारी अस्पताल
– पुलिस महकमा
– सेना के तीनों अंग
– पीएसयू
– सरकारी बीमा कंपनियां
– सरकारी फोन कंपनियां
– सरकार से फंडिंग पाने वाले एनजीओ

इन पर लागू नहीं होता कानून

– किसी भी खुफिया एजेंसी की वैसी जानकारियां, जिनके सार्वजनिक होने से देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा हो
– दूसरे देशों के साथ भारत से जुड़े मामले
– थर्ड पार्टी यानी निजी संस्थानों संबंधी जानकारी लेकिन सरकार के पास उपलब्ध इन संस्थाओं की जानकारी को संबंधित सरकारी विभाग के जरिए हासिल कर सकते हैं

कहां करें अप्लाई

संबंधित विभागों के पब्लिक इन्फमेर्शन ऑफिसर को एक ऐप्लिकेशन देकर इच्छित जानकारी मांगी जाती है। इसके लिए सरकार ने सभी विभागों में एक पब्लिक इन्फर्मेशन ऑफिसर यानी पीआईओ की नियुक्ति की है। संबंधित विभाग में ही पीआईओ की नियुक्ति की जाती है।

भ्रष्टाचार से परेशान? ऐसे करें आरटीआई अप्लाई

सादे कागज पर हाथ से लिखी हुई या टाइप की गई ऐप्लिकेशन के जरिए संबंधित विभाग से जानकारी मांगी जा सकती है। ऐप्लिकेशन के साथ 10 रुपये की फीस भी जमा करानी होती है।

कैसे करें Online RTI

अगर आपको ऑनलाइन आरटीआई फाइल करना हो तो ये बहुत ही आसान होता है। बस एक क्लिक पर आप Online RTI फाइल कर सकते हैं और फीस भी ऑनलाइन भर सकते हैं। Online RTI करने के लिए यहां क्लिक करें।

इनका रखें ध्यान

– किसी भी विभाग से सूचना मांगने में यह ध्यान रखें कि सीधा सवाल पूछा जाए। सवाल घूमा-फिराकर नहीं पूछना चाहिए। सवाल ऐसे होने चाहिए, जिसका सीधा जवाब मिल सके। इससे जन सूचना अधिकारी आपको भ्रमित नहीं कर सकेगा।
– एप्लिकेंट को इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि आप जो सवाल पूछ रहे हैं, वह उसी विभाग से संबंधित है या नहीं। उस विभाग से संबंधित सवाल नहीं होने पर आपको जवाब नहीं मिलेगा। हो सकता है आपको जवाब मिलने में बेवजह देरी भी हो सकती है।
– एप्लिकेशन स्पीड पोस्ट से ही भेजनी चाहिए। इससे आपको पता चल जाएगा कि पीआईओ को एप्लिकेशन मिली है या नहीं।
– आरटीआई एक्ट कुछ खास मामलों में जानकारी न देने की छूट भी देता है। इसके लिए एक्ट की धारा 8 देख लें ताकि आपको पता चल सके कि सूचना देने से बेवजह मना तो नहीं किया जा रहा है।

कैसे लिखें आरटीआई एप्लीकेशन

– सूचना पाने के लिए कोई तय प्रोफार्मा नहीं है। सादे कागज पर हाथ से लिखकर या टाइप कराकर 10 रुपये की तय फीस के साथ अपनी ऐप्लिकेशन संबंधित अधिकारी के पास किसी भी रूप में (खुद या डाक द्वारा) जमा कर सकते हैं।
– आप हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा में एप्लीकेशन दे सकते हैं।
– ऐप्लिकेशन में लिखें कि क्या सूचना चाहिए और कितनी अवधि की सूचना चाहिए?
– आवेदक को सूचना मांगने के लिए कोई वजह या पर्सनल ब्यौरा देने की जरूरत नहीं। उसे सिर्फ अपना पता देना होगा। फोन या मोबाइल नंबर देना जरूरी नहीं लेकिन नंबर देने से सूचना देने वाला विभाग आपसे संपर्क कर सकता है।

कैसे जमा कराएं फीस

फीस नकद, डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर से दी जा सकती है। डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर संबंधित विभाग (पब्लिक अथॉरिटी) के अकाउंट ऑफिसर के नाम होना चाहिए। डिमांड ड्राफ्ट के पीछे और पोस्टल ऑर्डर में दी गई जगह पर अपना नाम और पता जरूर लिखें। पोस्टल ऑर्डर आप किसी भी पोस्ट ऑफिस से खरीद सकते हैं।
गरीबी रेखा के नीचे की कैटेगरी में आने वाले आवेदक को किसी भी तरह की फीस देने की जरूरत नहीं। इसके लिए उसे अपना बीपीएल सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इसकी फोटो कॉपी लगानी होगी।
सिर्फ जन सूचना अधिकारी को एप्लीकेशन भेजते समय ही फीस देनी होती है। पहली अपील या सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर को दूसरी अपील के लिए भी 10 रुपये की फीस देनी होगी।
अगर सूचना अधिकारी आपको समय पर सूचना उपलब्ध नहीं करा पाता और आपसे 30 दिन की समय सीमा गुजरने के बाद डॉक्यूमेंट उपलब्ध कराने के नाम पर अतिरिक्त धनराशि जमा करने के लिए कहता है तो यह गलत है। ऐसे में अधिकारी आपको मुफ्त डॉक्युमेंट उपलब्ध कराएगा, चाहे उनकी संख्या कितनी भी हो।

एक्स्ट्रा फीस

सूचना लेने के लिए आरटीआई एक्ट में ऐप्लिकेशन फीस के साथ एक्स्ट्रा फीस का प्रावधान भी है, जो इस तरह है :
– फोटो कॉपी: हर पेज के लिए 2 रुपये
– बड़े आकार में फोटो कॉपी: फोटो कॉपी की लागत कीमत
– दस्तावेज देखने के लिए: पहले घंटे के लिए कोई फीस नहीं, इसके बाद हर घंटे के लिए फीस 5 रुपये
– सीडी: एक सीडी के लिए 50 रुपये

कब हो सकता है इनकार

कुछ खास हालात में ही जन सूचना अधिकारी आपकी ऐप्लिकेशन लेने से इनकार कर सकता है, जैसे कि :
– अगर ऐप्लिकेशन किसी दूसरे जन सूचना अधिकारी या पब्लिक अथॉरिटी के नाम पर हो।
– अगर आप ठीक तरह से सही फीस का भुगतान न कर पाए हों।
– अगर आप गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के सदस्य के रूप में फीस से छूट मांग रहे हैं, लेकिन इससे जुड़े सर्टिफिकेट की फोटोकॉपी न दे पाए हों।
– अगर कोई खास सूचना दिए जाने से सरकारी विभाग के संसाधनों का गलत इस्तेमाल होने की आशंका हो या इससे रेकॉर्डों को देखने में किसी नुकसान की आशंका हो।

देरी होने पर कार्रवाई

आमतौर पर सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी 30 दिन में मिल जानी चाहिए। जीवन और सुरक्षा से संबंधित मामलों में 48 घंटों में सूचना मिलनी चाहिए, जबकि थर्ड पार्टी यानी प्राइवेट कंपनियों के मामले में 45 दिन की लिमिट है। ऐसा न होने पर संबंधित विभाग के संबंधित अधिकारी पर 250 रुपये रोजाना के हिसाब से 25 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। गलत या गुमराह करने वाली सूचना देने या गलत भावना से ऐप्लिकेशन रिजेक्ट करने पर भी कार्रवाई का प्रावधान है।

अपील का अधिकार

– अगर आवेदक को तय समय सीमा में सूचना मुहैया नहीं कराई जाती या वह दी गई सूचना से संतुष्ट नहीं होता है तो वह प्रथम अपीलीय अधिकारी के सामने अपील कर सकता है। पीआईओ की तरह प्रथम अपीलीय अधिकारी भी उसी विभाग में बैठता है, जिससे संबंधित जानकारी आपको चाहिए।
– प्रथम अपील के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी। अपनी ऐप्लिकेशन के साथ जन सूचना अधिकारी के जवाब और अपनी पहली ऐप्लिकेशन के साथ-साथ ऐप्लिकेशन से जुड़े दूसरे दस्तावेज अटैच करना जरूरी है।
– ऐसी अपील सूचना उपलब्ध कराए जाने की समय सीमा के खत्म होने या जन सूचना अधिकारी का जवाब मिलने की तारीख से 30 दिन के अंदर की जा सकती है।
– अपीलीय अधिकारी को अपील मिलने के 30 दिन के अंदर या खास मामलों में 45 दिन के अंदर अपील का निपटान करना जरूरी है।

सेकंड अपील कहां करें

– अगर आपको पहली अपील दाखिल करने के 45 दिन के अंदर जवाब नहीं मिलता या आप उस जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप 45 दिन के अंदर राज्य सरकार की पब्लिक अथॉरिटी के लिए उस राज्य के स्टेट इन्फर्मेशन कमिशन से या केंद्रीय प्राधिकरण के लिए सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिशन के पास दूसरी अपील दाखिल कर सकते हैं। दिल्ली के लोग दूसरी अपील सीधे सेंट्रल इन्फर्मेशन कमिशन में ही कर सकते हैं।

आरटीआई के ये है दुष्परिणाम

– आम जनता के लिए कोई उद्देश्य नहीं रखने वाली बाहरी जानकारी का RTI के तहत अनुरोध करके, सरकारी दफ्तरों के मूल्यवान समय को बर्बाद करने के लिए कभी-कभी आरटीआई का दुरुपयोग या दुरुपयोग किया जा सकता है।
– कुछ लोग आरटीआई का इस्तेमाल निम्न तथ्यों को उजागर करके कुख्याति प्राप्त करने के साधन के रूप में कर सकते हैं।
– जब आरटीआई का दुरुपयोग किया जाता है, तो सार्वजनिक अधिकारियों पर कभी-कभी दबाव डाला जाता है और परेशान किया जाता है।