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April 19, 2025

इंदौर का गोबर्धन बनेगा विश्व का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट

Indore Bio CNG Plant: देश का सबसे स्वच्छ शहर अब एक और उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। MP के इंदौर में विश्व का सबसे बड़ा Bio CNG Plant बन रहा है। यहां के देवगुराड़िया में अभी एशिया का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट है, जिसका अब इसका विस्तार किया जा रहा है। निगम की MIC बैठक में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद मास्टर प्लान की 450 करोड़ की लागत से बनने वाली 23 सड़कों के निर्माण, मृत पशुओं के शव का नई तकनीक से निपटान और सफाई के लिए नई तकनीक की स्वीपिंग मशीन आदि पर काम चल रहा है। निगम मुख्यालय में दिसंबर 2024 में हुई MIC बैठक में देवगुराड़िया में एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट का विस्तार करने को मंजूरी दी गई। अब यह विश्व का सबसे बड़ा Bio CNG Plant बन जाएगा। देवगुराड़िया प्लांट की क्षमता अभी 500 MLD की है, विस्तार के बाद करीब 300 MLD क्षमता बढ़ जाएगी। यानि प्लांट में 800 एमएलडी गैस का उत्पादन होगा। नगर निगम प्लांट को इसके लिए अतिरिक्त जमीन भी आवंटित करेगा।

Indore को कचरामुक्त करने की क़वायद

Indore Bio CNG Plant: इंदौर में गोबरधन बायो-सीएनजी प्लांट परियोजना की आवश्यकता के पीछे मुख्य मुद्दा जैविक कचरे का अनुचित निपटान था, जो पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को जन्म दे रहा था। इंदौर में हर दिन घरों, रेस्तरां और अन्य प्रतिष्ठानों से बड़ी मात्रा में जैविक कचरा निकलता है। इस कचरे को खुले डंप या लैंडफिल में फेंका जा रहा था, जिससे दुर्गंध, वायु प्रदूषण और दूषित भूजल पैदा हो रहा था। इसके अलावा, कचरे का ऊर्जा उत्पादन के लिए संसाधन के रूप में पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जा रहा था। जैविक कचरे को बायोगैस और अन्य मूल्यवान उप-उत्पादों में परिवर्तित करके इन मुद्दों को हल करने के लिए गोबरधन बायो-सीएनजी प्लांट परियोजना शुरू की गई थी। इस परियोजना का उद्देश्य पूरे शहर में छोटे पैमाने के बायो-गैस संयंत्र स्थापित करके अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक विकेन्द्रीकृत दृष्टिकोण का उपयोग करना है। इंदौर का Gobardhan Bio-CNG Plant एशिया का सबसे बड़ा प्लांट है और यह गीले कचरे से सीएनजी गैस का उत्पादन करता है। यह प्लांट कचरे को संसाधन में बदलने, उत्सर्जन कम करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह प्लांट शहर के गीले कचरे को प्रक्रिया करके उससे बायो-सीएनजी गैस बनाता है। प्लांट में प्रतिदिन 550 टन गीले कचरे से 18,000 किलोग्राम सीएनजी गैस बनाने की क्षमता है। यह प्लांट कचरे को जलाने से बचाता है और मीथेन उत्सर्जन को कम करता है, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है। Gobardhan Bio CNG Plant से हर साल शहर को 16.5 करोड़ रुपये की कमाई होती है। प्लांट में पूरी तरह से स्वचालित प्रणालियां हैं जो अपशिष्ट प्रबंधन को पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रिया में बदल देती हैं। मीथेन गैस निर्माण के दौरान अलग की जाने वाली कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कोल्ड ड्रिंक्स, रेफ्रिजरेशन और ड्राई आइस के निर्माण में किया जाता है। भविष्य में इस प्लांट से प्राप्त सीएनजी गैस का उपयोग लगभग 400 बसों को चलाने में किए जाने की योजना है।

Bio CNG उत्पादन प्रक्रिया

नगर निगम करीब 600 कचरागाड़ियां शहर में चला रहा है। इनसे घर-घर जाकर गीला, सूखा कचरा, बॉयो मेडिकल वेस्ट आदि अलग-अलग लिया जाता है। यहां से नगर निगम के 10 सब स्टेशनों पर अलग-अलग डंप कर दिया जाता है। यहां से बड़ी गाड़ियों में गीला कचरा लेकर बॉयो CNG प्लांट पर पहुंचाया जाता है। यह गीला कचरा एक डीप बंकर में डाला जाता है, फिर उसे ग्रेप क्रेन के माध्यम से प्री-ट्रीटमेंट के लिए भेजा जाता है, जहां इसे क्वालिटी फीड में बदल दिया जाता है। फिर बायोगैस बनाई जाती है और शुद्धिकरण यूनिट में अशुद्धियों को हटाया जाता है। इस प्लांट में लगभग 17 से 18 टन हर दिन प्रोड्यूस होता है, यानी रोजाना 17 से 18 टन सीएनजी गैस का उत्पादन होता है । वहीं 100 टन जैविक खाद का उत्पादन होता है , जिसका उपयोग जैविक खेती के लिए किया जाता है। गैस बनने का प्रोसेस तीन चरणों में पूरा होता है। सबसे पहले डाइजेस्टर, उसके बाद बैलून, फिर कंप्रेस्ड, इसके बाद शुद्ध मिथेन गैस रिफिल सेंटर में पाइप लाइन द्वारा पहुंचता है।

Indore ने यहां भी बाज़ी मारी

Indore Bio CNG Plant: देश की राजधानी नई दिल्ली में कचरा आज भी चुनावी मुद्दा है, लेकिन इंदौर ने इसे एक साल पहले ही मीलों पीछे छोड़ दिया है। इंदौर के घरों से हर रोज 500 टन गीला कचरा यानी सब्जी, फल, जूठन को कभी यूं ही फेंक दिया जाता था। नगर निगम के अलावा सरकार से जुड़े एक्सपर्ट्स ने राय दी कि गीले कचरे से न सिर्फ BIO CNG बन सकती है, बल्कि खाद भी तैयार हो जाएगी। फिर क्या था, मिशन की तरह टीमें लगा दी गईं। अंतत: 19 फरवरी 2022 को देवगुराड़िया के पास इस भारी-भरकम प्लांट का उद्घाटन हो गया। आज यहां से 100 टन जैविक खाद और 17 हजार किलोग्राम CNG गैस रोजाना बनाकर पंपिंग स्टेशंस आदि को सप्लाई होती है। इससे हर महीने 4 करोड़ रुपए की कमाई हो रही है। दावा है कि 5 से 6 साल में इस प्लांट को बनाने में खर्च किए गए 150 करोड़ रुपए की लागत निकल जाएगी।

पर्यावरण को भी प्लांट से फायदा

Bio CNG Plant के माध्यम से एक साल में 1 लाख 30 हजार टन कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा। इससे फिलहाल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आई है। ग्रीन एनर्जी भी मिल रही है, साथ ही ऑर्गेनिक कंपोस्ट का उत्पादन भी हो रहा है। प्लांट हेड के मुताबिक, जो डायजेस्टेड होता है, आफ्टर डायजेशन उसे सॉलिड-लिक्विड सेपरेटर में डालकर सॉलिड अलग करके उसका जैविक खाद बनाते हैं। जैविक खाद की कुछ मात्रा किसानों को सीधे बेच दी जाती है और बाकी फर्टिलाइजर कंपनियों को बेचा जाता है। 70 प्रतिशत खाद नेशनल फर्टिलाइजर और राष्ट्रीय कैमिकल फर्टिलाइजर को 4 रुपए किलो में सेल करते हैं। वहीं बची हुई 30 प्रतिशत खाद किसानों को 2 रुपए किलो में देते हैं। ये किसान प्लांट से 30 किलो मीटर के दायरे में रहते हैं।

रोजाना 19 हजार यूनिट बिजली की खपत

प्लांट पर बिजली की खपत लगभग 19 हजार यूनिट प्रतिदिन है। उसमें से 20 प्रतिशत बिजली Solar Power से जनरेट करते हैं। प्लांट जब शुरू हुआ था तब सोलर से बिजली जनरेट नहीं होती थी। Plant के पास जो क्षमता है, जो जमीन है जो रूफ टॉप है, उस हिसाब प्लानिंग की जाती है कि अगले पांच साल में 40-50 परसेंट बिजली खुद बनाई जाए। इस तरह से प्लांट को सौर ऊर्जा से संचालित करने की तैयारी है। Plant से प्रतिदिन 12 लाख रुपए की Bio CNG की बिक्री होती है और डेढ़ लाख रुपए का खाद बेचा जाता है। 3.5 से 4 करोड़ रुपए महीने की सेल प्लांट से बायो सीएनजी और खाद की होती है।प्लांट की लागत 150 करोड़ के आसपास है और उम्मीद है कि आने वाले 5-6 साल में इसे रिकवर कर लिया जाएगा। नगर निगम के साथ Gobardhan Bio CNG Plant का 20 साल का एग्रीमेंट है। इसके बाद प्लांट नगर निगम को सौंप दिया जाएगा।Bio CNG Plant पर तीन शिफ्ट में काम होता है। सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक की पहली शिफ्ट रहती है। इसके बाद 2 से रात 10 बजे तक और फिर रात 10 से सुबह 6 बजे तक की शिफ्ट। अलग-अलग शिफ्ट में कुल करीब 120 कर्मचारी प्लांट पर काम करते हैं। अवंतिका गैस लिमिटेड ने प्लांट में पाइप लाइन बिछाने का काम कर लिया है। अब नेचुरल गैस की पाइप लाइन में Bio CNG इंजेक्ट करने से परिवहन का खर्च भी बच रहा है। कुल मिलाकर Indore का Gobardhan Bio CNG Plant पर्यावरण, प्रदूषण और स्वास्थ्य, तीनो क्षेत्रों में सबसे बड़ा योगदान दे रहा है।

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