पिछले कुछ हफ्तों में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बेटे क़ासिम ख़ान ने सार्वजनिक रूप से अपनी चिंता ज़ाहिर की है कि क्या उनके पिता सुरक्षित, घायल या ज़िंदा भी हैं? क्योंकि उनसे परिवार या वकीलों का सम्पर्क महीनों से नहीं हो पाया है। क़ासिम ने कहा है कि “पापा के सुरक्षित, घायल या जीवित होने का पता न होना” एक तरह का “साइकोलॉजिकल टॉर्चर” है। उन्होंने यह भी कहा कि, “आज हमारे पास उनकी स्थिति के बारे में कोई सत्यापित जानकारी नहीं है।” उनकी सबसे बड़ी चिंता है कि “कुछ अपरिवर्तनीय हो चुका हो , यानी कि पिता की सेहत या ज़िंदगी से जुड़ी कोई गंभीर बात हो सकती है, जिसे परिवार से छुपाया जा रहा हो।
इमरान ख़ान की ‘गुमशुदगी’ से पाकिस्तान में हलचल
पाकिस्तान की राजनीति में हड़कम्प मच गया है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की अचानक-से गायब होने की खबरों ने देश ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता पैदा कर दी है। उनके सबसे छोटे बेटे क़ासिम ख़ान ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उन्हें यह तक नहीं पता कि उनके पिता सुरक्षित हैं, घायल हैं या जिंदा! और यह अनिश्चितता उनके लिए “मानसिक यातना” से कम नहीं। क़ासिम ख़ान का कहना है कि यह कयास लगाना कि “कुछ अपरिवर्तनीय हो चुका हो” जैसे कि पिता की सेहत अचानक बिगड़ गई हो, उनके लिए नमुमकिन है। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा है कि पिछले कई महीनों से परिवार और वकीलों को उनके पिता से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है और इस असमंजस की स्थिति ने पूरी तरह भय, घबराहट और अविश्वास पैदा कर दिया है।
कहां हैं इमरान ख़ान– ज़िंदा भी हैं ?
उनके परिवार और समर्थक अब सार्वजनिक तौर पर सरकार और जेल प्रशासन से “जिंदा हैं या नहीं”, इसकी विश्वसनीय पुष्टि मांग रहे हैं। इस बीच, मीडिया पर तो उनकी तस्वीर, आवाज़ या किसी प्रकार की जानकारी पर पाबंदी जैसी अफवाहें भी चल रही हैं, जिससे मामला और उलझा हुआ प्रतीत हो रहा है। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि अगर ऐसा है कि इमरान खान की Skeleton-कंडीशन या उनके इलाज तक पहुंच परिवार से रोक दी गई है, तो यह सिर्फ एक न्यायिक मामला नहीं रहेगा, बल्कि मानवाधिकार और लोकतान्त्रिक मूल्यों पर हमला होगा। समर्थकों को डर है कि उनके राजनीतिक प्रभाव और लोकप्रियता को कम करने के लिए उन्हें जनता और मीडिया की नजरों से दूर कर दिया गया है।
#WhereIsImranKhan
PTI KPK has officially called for a protest against Imran Khans solitary confinement. The protest locations are shown in the graphics below. Everyone is urged to join in large numbers.#WHEREISIMRANKHAN pic.twitter.com/3v0K3vnLdu
— Hopeful (@high_hopeful) December 1, 2025
पाकिस्तान समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस घटना ने काफी हलचल मचा दी है। सोशल-मीडिया पर #WhereIsImranKhan जैसे हैशटैग चल रहे हैं, लोग पूछ रहे हैं, “क्या वह सुरक्षित हैं? क्या वे जिंदा हैं?” और उनके लिए न्याय, पारदर्शिता और खुली जानकारी की मांग जोर पकड़ रही है।
इमरान ख़ान जेल में- वजह क्या है
इमरान ख़ान पर कई मामले चल रहे हैं जिनमें भ्रष्टाचार, डिप्लोमैटिक साइफर (Cipher Leak), और अन्य आरोप शामिल बताए जाते रहे हैं। इन मामलों के चलते अदालतों ने उन्हें दोषी ठहराया है और उन्हें जेल में भेजा गया है। उनकी पार्टी और समर्थकों का कहना है कि ये मुकदमे राजनीतिक प्रेरित हैं, यानी उनकी राजनीतिक लोकप्रियता व प्रभाव को देखते हुए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। इस तरह, इमरान ख़ान को जेल में रखने का औपचारिक कारण अदालतीन फैसलों व उन मामलों में दोषसिद्धि है। हालांकि इसके पीछे राजनैतिक विवाद और असंतोष भी मौजूद है।
गायब होने की खबर कैसे शुरू हुई
हाल ही में इमरान ख़ान के सबसे छोटे बेटे क़ासिम ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उन्हें यह नहीं मालूम कि उनके पिता सुरक्षित हैं, घायल हैं या जिंदा? क्योंकि उनसे मिलना, संचार करना अथवा कोई अपडेट प्राप्त करना परिवार और वकीलों के लिए महीनों से संभव नहीं हुआ है। उन्होंने इस स्थिति को “मानसिक यातना” कहा क्योंकि यह असमंजस कि पिता की वर्तमान स्थिति क्या है, उन्हें अत्यधिक तनाव में रख रहा है। इस प्रकार, “No Proofs Of Life/No Confirmed Information” यानी कि पिता की असली हालत के बारे में पारिवारिक व बाहरी किसी को जानकारी न होने की स्थिति ने अचानक गायब होने की चर्चाओं और चिंताओं को जन्म दिया।
क्यों हो रहा बड़ा विवाद
आमतौर पर, जेल में बंद व्यक्ति की हालत, स्वास्थ्य या मुलाकात की जानकारी मिलनी चाहिए। लेकिन अगर सालों से इस तरह की जानकारी किसी को न हो, तो यह पारिवारिक व मानवाधिकार-संबंधित चिंताओं को जन्म देता है। इस तरह की अस्पष्टता न सिर्फ एक व्यक्तिगत परिवार का मामला है, बल्कि राजनैतिक व सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इमरान ख़ान एक लोकप्रिय और विवादित नेता रहे हैं। इसीलिए, गायब होने की खबर, चाहे वह अफ़वाह हो या वास्तविकता, ने मीडिया, जनता व समर्थकों में बड़ी हलचल खड़ी कर दी है।
इमरान खान : एक सितारे से सत्ता तक और सत्ता से संघर्ष तक
पाकिस्तान की राजनीति में इमरान खान का सफर किसी रोमांचक उपन्यास से कम नहीं रहा। क्रिकेट के मैदान पर विश्व विजय दिलाने वाला यह युवा नायक जब राजनीति में उतरा, तो शुरुआत में उसे एक आदर्शवादी, ईमानदार और परिवर्तनकारी चेहरे के रूप में देखा गया। जनता ने उसे “नया पाकिस्तान” के सपनों का वाहक माना। लेकिन सत्ता तक पहुंचने का सफर जितना कठिन था, सत्ता में बने रहने और सत्ता छोड़ने के बाद का संघर्ष उससे कहीं ज्यादा पेचीदा साबित हुआ।
इमरान ख़ान और तहरीक-ए-इंसाफ़
इमरान खान ने 1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की स्थापना की। यह वह दौर था जब पाकिस्तान की राजनीति दो बड़े परिवारों-शरीफ और भुट्टो के इर्द-गिर्द घूमती थी। उनके सामने किसी तीसरी ताकत के खड़े होने की कल्पना भी मुश्किल लगती थी। शुरुआती एक दशक तक PTI लगभग राजनीतिक हाशिये पर रही। चुनावों में सीटें तो दूर, जमीन पर संगठन भी कमजोर था। आलोचक उन्हें ‘टीवी के नेता’ ‘आदर्शों में उलझा क्रिकेटर’ और ‘राजनीति का नौसिखिया’ कहकर खारिज कर देते थे। लेकिन इमरान खान ने हार नहीं मानी। उन्होंने भ्रष्टाचार, जवाबदेही, और न्याय जैसे मुद्दों पर लगातार आवाज़ उठाई। समय के साथ-साथ युवा तबके, मध्यम वर्ग और शहरी आबादी ने उन्हें एक उम्मीद की तरह अपनाना शुरू किया। 2011 का लाहौर रैली उनका बड़ा राजनीतिक मोड़ बना, जहां लाखों की भीड़ ने उन्हें पाकिस्तान की मुख्य धारा की राजनीति में मजबूती से खड़ा कर दिया। यह वह पल था जब PTI ने पहली बार दिखाया कि वह एक वास्तविक राजनीतिक चुनौती बन सकती है।
2018 में इमरान बने पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री
2013 के चुनावों में वे विपक्ष की बड़ी ताकत के रूप में सामने आए। भ्रष्टाचार और शासन-व्यवस्था के खिलाफ उनके धारदार अभियान ने उन्हें राष्ट्रीय मंच पर शीर्ष नेताओं की कतार में ला खड़ा किया। लेकिन उनका असली उभार 2018 के चुनाव में हुआ, जब PTI बहुमत की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और इमरान खान पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री बने। उन्होंने वादा किया कि वे पाकिस्तान को एक ऐसी कल्याणकारी राज्य में बदलेंगे, जहां न भ्रष्टाचार होगा, न भेदभाव, और न ही जनता की आवाज दबाई जाएगी। सत्ता संभालने के बाद उन्हें अर्थव्यवस्था, महंगाई, आतंकवाद, कूटनीतिक तनाव और प्रशासनिक चुनौतियों से जूझना पड़ा। आलोचकों ने उन पर यह आरोप भी लगाए कि उनकी सरकार को सेना का समर्थन प्राप्त था, और यही राजनीतिक स्थिरता का आधार था। लेकिन उनके समर्थक मानते हैं कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तानी पहचान को मजबूत बनाया, सामाजिक कल्याण योजनाएं शुरू कीं, और न्याय-व्यवस्था को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करने का प्रयास किया।
जब छूटी सत्ता की बागडोर
2022 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया और वे सत्ता से बाहर हो गए। इसके बाद पाकिस्तान की राजनीति में उनकी लोकप्रियता और आक्रामक हो गई। देशभर में उन्हें एक ‘पीड़ित’ नेता की तरह देखा जाने लगा। लेकिन उसी समय से उनके खिलाफ मुकदमों की बाढ़ आ गई। भ्रष्टाचार, राज्य रहस्य लीक, दंगे, अवैध फंडिंग और अन्य मामलों में उन्हें अदालतों का सामना करना पड़ा। धीरे-धीरे उनका सफर न्यायालयों, जेलों और राजनीतिक संघर्ष के बीच सिमट गया। सत्ता से बाहर होने के बाद इमरान खान का राजनीतिक सफर और भी विवादों में घिर गया। कभी उन्हें गिरफ्तार किया गया, कभी उनकी पार्टी पर कार्रवाई की गई, कभी उनके मीडिया कवरेज पर पाबंदी की चर्चा रही। इसके बावजूद उनका जनसमर्थन कम होता दिखाई नहीं दिया। विरोधियों के अनुसार वे जनभावनाओं को भड़काते हैं, जबकि समर्थकों के शब्दों में वे “सिस्टम से अकेले लड़ने वाले” नेता हैं।
ग़ायब है पाकिस्तान का सबसे लोकप्रिय नेता
आज हालात ऐसे हैं कि उनके बारे में आधिकारिक जानकारी तक परिवार को नहीं मिल पा रही है, और देश-दुनिया सवाल कर रही है कि पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय नेताओं में गिने जाने वाले इमरान खान की मौजूदा स्थिति आखिर है क्या? इमरान खान का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव, संघर्ष और असाधारण लोकप्रियता का संगम है। क्रिकेट में विश्वकप जिताने वाला कप्तान, राजनीति में भी देश के इतिहास में सबसे चर्चा-में-रहने वाला चेहरा बन गया। लेकिन उसका अंत कैसा होगा, यह पाकिस्तान की राजनीति का सबसे बड़ा अनुत्तरित सवाल है।
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