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डूबती मुंबई का जिम्मेदार कौन ?

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Mumbai Rains
 
सपनों की नगरी मुंबई डूब रही है, मुंबई में मूसलाधार मानसूनी बारिश हो रही है, इस आफत की बारिश ने इस कदर कोहराम मचाया है कि मुंबईकरों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। निचले इलाकों में तो बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। बारिश के कारण कई दुर्घटनाओं से मुंबई दो चार हो रही है, रेलवे ट्रैक और सड़कों पर पानी भर गया है वहीं हवाई यातायात भी इससे प्रभावित हुआ है। मौसम विभाग ने मुंबई में सोमवार को मूसलाधार मानसूनी बारिश व तीन से पांच जुलाई के बीच बाढ़ जैसी स्थिति बनने की आशंका जताई है। अनुमान है कि इस दौरान महानगर और आसपास के इलाकों में 1 दिन में 200 मिलीमीटर या उससे भी अधिक वर्षा रिकॉर्ड की जा सकती है। इस प्रकार से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
भारी बारिश का असर मुंबई की ट्रैफिक पर भी देखने को मिल रहा है। रास्तों पर चींटियों की तरह गाड़ियां रेंग रही है। जल जमाव के कारण ट्रेनों को रद्द और डायवर्ट कर दिया गया है। बारिश का पानी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के घरों में घुस रहा है। अबतक अलग अलग दुर्घटनाओं में आधे दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, महाराष्ट्र में कर्जत और लोनावला के बीच एक मालगाड़ी पटरी से उतर गई जिसके कारण मुंबई-पुणे इंटरसिटी और लंबी दूरी की ट्रेन सेवाएं बाधित हुईं।
बारिश के मौसम में हर साल मुंबई पानी में डूब जाती है, सड़कों पर घुटनों और उससे भी ऊपर तक पानी जमा हो जाती है, गाड़ियां तक पानी में फंस जाती हैं। रेलवे ट्रैक पर पानी भर जाने की वजह से लोकल ट्रेनों की आवाजाही ठप्प भी हो जाती है और एक बार अगर आमची लोकल रुक जाए तो दौड़ने-भागने वाली मुंबई की रफ्तार बारिश की मूसलाधार बूंदों की वजह से थम जाती है। मुंबई में इस तरह की बारिश का कोई पहला साल नही है, हर साल ऐसा ही होता है जिसके कई कारण है। इन कारणों पर नज़र डालें तो – मुंबई में ड्रेनेज की समस्या है। मुंबई का ड्रेनेज सिस्टम ब्रिटिशकालीन है, इसे पूरी तरह से बदला नहीं गया है, कई जगहों पर मरम्मत हुई है लेकिन वो नाकाफी है। जिस गति से ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए काम होना चाहिए, वो नहीं हो रहा है।
मुंबई के कई निचले इलाकों में लोकल ट्रेन की पटरियां समुद्र लेवल से भी नीचे हैं, इसलिए बारिश के पानी में वो डूब जाती है, इससे लोकल ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ता है। नालियों की नियमित रूप से सफाई होनी चाहिए. नालियों से कूड़ा बाहर निकाला भी जाता है तो लेकिन उसे ठिकाने नहीं लगाया जाता, बारिश में बहकर वो फिर नालियों में चला जाता है, नालियां जाम हो जाती हैं। ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के लिए जिन कॉन्ट्रैक्टर को लगाया जाता है, वो ठीक से काम ना भी करें तो उनके खिलाफ कार्रवाई तक नहीं होती, ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों को दुबारा कॉन्ट्रैक्ट मिल जाता है।
मुंबई में हर दिन करीब 650 मिट्रिक टन कूड़ा निकलता है, इन कूड़े में 10 फीसदी प्लास्टिक होता है। प्लास्टिक की थैलियां और बोतल की वजह से नालियां जाम होती हैं बीएमसी की अफसरशाही भी इसकी जिम्मेदार है, ठेकेदारों के खराब काम को भी अफसरों की मंजूरी मिल जाती है, नालियों की साफ सफाई, ड्रेनेज समस्या को दुरुस्त करने के कॉन्ट्रैक्ट देने में भी देरी की जाती है।
मुंबईकरों की भी जिम्मेदारी बनती है कि लोग कूड़ा कहीं भी न फेंके, प्लास्टिक पर पाबंदी होने के बावजूद भी लोग इस्तेमाल करते है। ये सब कारण है कि थोड़ी ही बारिश में मुंबई जलमग्न होने के कगार पर पहुंच जाती है, ऐसे में अब हमें अपनी जिम्मेदारियों को दिखाना पड़ेगा और बीएमसी, हम खुद और सरकारी तंत्रों को मिलकर मुंबई की इस समस्या से निजात पाना चाहिए।