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October 30, 2025

शरीर की चर्बी से उगेंगे नए बाल! वैज्ञानिकों की खोज ने निकाला गंजेपन का इलाज !

The CSR Journal Magazine
Cambridge और Harvard University के वैज्ञानिकों ने Fat Breakdown से हेयर ग्रोथ को जोड़ा ! शरीर की वसा कोशिकाएं भेजती हैं बाल उगाने वाले जैविक संकेत! अब गंजापन नहीं बनेगा चिंता का सबब!

मिल गया वैश्विक परेशानी गंजेपन का इलाज

गंजेपन और बाल झड़ने से परेशान लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। वैज्ञानिकों ने एक नई खोज में पाया है कि शरीर में जमा फैट (चर्बी) का टूटना नए बालों की वृद्धि (Hair Growth) को प्रोत्साहित कर सकता है। यह अध्ययन बाल झड़ने के इलाज में एक क्रांतिकारी ब्रेकथ्रू साबित हो सकता है।शोध ब्रिटेन के प्रतिष्ठित Cambridge University और Harvard Medical School के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। इस अध्ययन में पाया गया कि जब शरीर की वसा कोशिकाएं (Fat Cells) टूटती हैं, तो वे ऐसे रासायनिक संकेत (Chemical Signals) छोड़ती हैं जो बालों के रोमकूपों (Hair Follicles) को सक्रिय कर देते हैं। यही संकेत पुराने निष्क्रिय रोमकूपों को फिर से जागृत कर नए बालों के विकास की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।

फैट टूटेगा, तब उगेंगे बाल

वैज्ञानिकों ने यह परीक्षण चूहों पर किया, जिसमें उन्होंने पाया कि जिन चूहों के शरीर में फैट का मेटाबॉलिज्म (Fat Metabolism) तेज था, उनके बाल तेजी से बढ़े और झड़ने की दर कम हुई। इसके बाद जब उन्हीं जैविक तंत्रों को मानव कोशिकाओं पर आजमाया गया, तो वही परिणाम देखने को मिले। मुख्य शोधकर्ता डॉ. एमिली हेंडरसन ने बताया, “हमने पाया कि फैट का टूटना केवल ऊर्जा पैदा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शरीर के ऊतकों को पुनर्जीवित करने में भी मदद करता है। बालों के रोमकूप फैट सेल्स से निकलने वाले संकेतों के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं।”

क्या होता है चर्बी का टूटना- Fat Metabolism या Lipolysis 

हमारा शरीर अतिरिक्त ऊर्जा को फैट सेल्स (Adipose Cells) में जमा करता है। यह फैट पेट, जांघों, बाजुओं और त्वचा के नीचे जमा रहता है। जब शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है (जैसे व्यायाम, उपवास या ठंड में), तो शरीर एक प्रक्रिया शुरू करता है जिसे लिपोलाइसिस कहते हैं।इसमें तीन प्रमुख चरण होते हैं-
1- हार्मोन का संकेत: जब इंसुलिन का स्तर घटता है और एड्रेनालिन या नॉरएड्रेनालिन बढ़ते हैं, तो वे फैट सेल्स को संकेत देते हैं कि अब ऊर्जा चाहिए।
2- फैट का टूटना– फैट सेल्स में मौजूद ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) एंजाइमों की मदद से टूटकर फैटी एसिड (Fatty Acids) और ग्लिसरॉल (Glycerol) में बदल जाते हैं। यही प्रक्रिया आम बोलचाल में “फैट फटना” कहलाती है।
3- ऊर्जा उत्पादन– टूटे हुए फैटी एसिड खून के जरिए मसल्स और लिवर तक पहुंचते हैं। वहां वे ऑक्सीजन के साथ जलकर ऊर्जा (ATP) बनाते हैं। इस दौरान निकलने वाले कुछ रासायनिक संकेत बालों के रोमकूपों को भी सक्रिय कर सकते हैं। यही बात इस नई रिसर्च में साबित हुई है।

Fat Metabolism का बालों की वृद्धि से संबंध

शोध में पाया गया कि जब फैट जलता है या टूटता है, तो फैट सेल्स से सिग्नलिंग मॉलिक्यूल्स (जैसे प्रॉस्टाग्लैंडिन्स, लिपोकाइंस आदि) निकलते हैं। ये संकेत स्किन टिश्यू और हेयर फॉलिकल्स तक पहुंचकर उन्हें दोबारा सक्रिय करते हैं, जिससे नए बाल उगने लगते हैं।

फैट जलाने के प्राकृतिक तरीके

यदि आप प्राकृतिक रूप से फैट ब्रेकडाउन को बढ़ाना चाहते हैं, तो कुछ आदतें मदद करती हैं- नियमित व्यायाम (विशेषकर कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग)
पर्याप्त नींद
शुगर कम करना और प्रोटीन बढ़ाना
इंटरमिटेंट फास्टिंग (वैज्ञानिक निगरानी में)
तनाव कम करना
जब शरीर अपनी जमा चर्बी तोड़कर ऊर्जा बनाता है, तो वही प्रक्रिया कोशिकाओं को पुनर्जीवित कर नए बालों के विकास का कारण भी बन सकती है।

गंजापन- एक सार्वभौमिक समस्या, जो उम्र और सीमा दोनों से परे है

गंजापन (Baldness) आज दुनिया भर में एक ऐसी समस्या बन चुका है जो न तो उम्र देखता है, न ही देश-धर्म या लिंग। यह केवल सौंदर्य का नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा विषय बन गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, विश्व की लगभग 60 फ़ीसदी पुरुष आबादी और 40 फ़ीसदी महिलाएं किसी न किसी स्तर पर बाल झड़ने या पतले होने की समस्या से जूझ रही हैं।

गंजेपन के कारण

गंजापन कई वजहों से होता है।
आनुवंशिक (Genetic)– अधिकांश मामलों में यह वंशानुगत होता है। यानी अगर माता-पिता में से किसी को गंजापन है, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है।
हार्मोनल परिवर्तन– पुरुषों में “डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरॉन (DHT)” नामक हार्मोन बालों के रोमकूपों को कमजोर कर देता है, जिससे बाल धीरे-धीरे गिरने लगते हैं।
तनाव और असंतुलित जीवनशैली– नींद की कमी, अनियमित खानपान और मानसिक तनाव बालों की जड़ों को प्रभावित करते हैं।
पोषण की कमी– आयरन, जिंक, प्रोटीन और विटामिन D की कमी भी बाल झड़ने का बड़ा कारण बनती है।
प्रदूषण और रसायनिक उत्पादों का प्रभाव– बालों पर लगातार केमिकल आधारित शैंपू, जेल या डाई का प्रयोग रोमकूपों को नुकसान पहुंचाता है।

वैश्विक समस्या की विश्व में स्थिति

अमेरिका, भारत, जापान और यूरोप जैसे देशों में पुरुष गंजेपन (Male Pattern Baldness) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं महिलाएं भी “हेयर थिनिंग” या “पैच हेयर लॉस” से प्रभावित हो रही हैं। भारत में हर साल लाखों लोग हेयर ट्रांसप्लांट, विग, या दवाओं पर करोड़ों रुपये खर्च करते हैं। हाल ही में हुई वैज्ञानिक खोजों से उम्मीद जगी है कि गंजेपन का स्थायी समाधान अब दूर नहीं। फैट सेल्स से निकलने वाले संकेत बाल उगाने में मदद कर सकते हैं (जैसा हालिया शोध में पाया गया)। “Stem Cell Therapy” और “Regenerative Medicine” के प्रयोग भी सकारात्मक परिणाम दे रहे हैं।

सामाजिक- मानसिक प्रभाव, कैसे बचें इस समस्या से

गंजापन केवल बाहरी रूप को नहीं बदलता, बल्कि आत्मविश्वास, सामाजिक छवि और मानसिक स्वास्थ्यपर भी गहरा असर डालता है। कई लोग इसके कारण अवसाद, आत्महीनता या सामाजिक दूरी का अनुभव करते हैं। इसलिए अब चिकित्सक इसे सिर्फ कॉस्मेटिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौती मान रहे हैं।इसलिए गंजेपन से बचने के संभावित उपाय अपनाए जा सकते हैं।
संतुलित आहार और तनाव-मुक्त जीवनशैली
बालों की नियमित मालिश और प्राकृतिक तेलों का उपयोग
अत्यधिक केमिकल उत्पादों से परहेज
समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श। 

नई रिसर्च ने जगाई लाखों लोगों में उम्मीद

यह खोज उन लाखों लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण है जो बाल झड़ने, गंजेपन या एलोपेसिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस सिद्धांत पर आधारित नई दवाएं विकसित की जाती हैं, तो वे हेयर ट्रांसप्लांट या केमिकल ट्रीटमेंट से कहीं अधिक सुरक्षित और प्रभावी साबित हो सकती हैं। वर्तमान में इस तकनीक पर आधारित एक प्रारंभिक क्लिनिकल ट्रायल अमेरिका और जापान में चल रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में इसका उपयोग प्राकृतिक रूप से बालों की पुनर्वृद्धि के लिए किया जा सकेगा।

क्या है विशेषज्ञों की राय

त्वचा रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यह शोध बायोटेक्नोलॉजी और पुनर्योजी चिकित्सा (Regenerative Medicine) के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि शरीर की चर्बी सिर्फ ऊर्जा भंडारण का माध्यम नहीं, बल्कि ऊतक निर्माण और पुनर्जीवन की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है। यह अध्ययन इस बात का प्रमाण है कि “फैट खराब नहीं, बल्कि बालों के लिए वरदान साबित हो सकता है।” अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो आने वाले कुछ वर्षों में बाजार में ऐसी दवाएं उपलब्ध हो सकती हैं जो आपके अपने शरीर की चर्बी की मदद से बाल फिर से उगा सकेंगी।
गंजापन अब केवल उम्र की निशानी नहीं रहा, यह एक वैश्विक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास की समस्या बन चुका है। लेकिन विज्ञान, तकनीक और प्राकृतिक चिकित्सा की प्रगति के साथ अब यह समस्या भी जल्द ही इतिहास बन सकती है।
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