केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव और संभावित हवाई खतरों को देखते हुए 7 मई को पूरे देश में युद्ध जैसी स्थिति की मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। इस ड्रिल का मकसद आम नागरिकों को हवाई हमले, ड्रोन अटैक और मिसाइल हमले जैसे हालात से निपटने के लिए तैयार करना है। Civil Defence Training
Emergency War Drill: कैसी होगी मॉक ड्रिल और क्या होगा इसका उद्देश्य
मॉक ड्रिल के दौरान कई अहम उपाय किए जाएंगे, जिनमें हवाई हमले की चेतावनी देने वाले युद्ध सायरन का संचालन, बंकरों और खाइयों की सफाई, और सिविल डिफेंस ट्रेनिंग शामिल है। इस अभ्यास का उद्देश्य सिर्फ सरकारी मशीनरी की तैयारी नहीं, बल्कि जनभागीदारी और जन जागरूकता को भी परखना है।
कहां-कहां लगाए जाएंगे युद्ध सायरन
गृह मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक युद्ध चेतावनी देने वाले विशेष सायरन प्रशासनिक भवनों, पुलिस मुख्यालय, फायर स्टेशन, सैन्य ठिकानों, भीड़भाड़ वाले बाजारों और संवेदनशील क्षेत्रों में लगाए जाएंगे। यह सायरन 120-140 डेसिबल की तीव्रता के साथ 2 से 5 किलोमीटर की दूरी तक सुनाई देंगे। इनकी आवाज सामान्य हॉर्न से अलग और कंपन वाली होती है, ताकि यह स्पष्ट चेतावनी के रूप में पहचानी जा सके। Blackout Practice in India
सायरन बजते ही क्या करना चाहिए?
सायरन बजने पर आम नागरिकों को घबराना नहीं है, बल्कि इन निर्देशों का पालन करना है:
खुले स्थानों से हटकर घर या सुरक्षित इमारत में जाएं
पैनिक न करें, शांत रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें
सरकारी सूचना स्रोत जैसे रेडियो, टीवी और अलर्ट ऐप्स पर नजर रखें
अफवाहों से बचें, केवल आधिकारिक जानकारी पर विश्वास करें
5 से 10 मिनट के भीतर सुरक्षित स्थान तक पहुंचने का प्रयास करें
ड्रिल में होंगे छात्र और आम नागरिक भी शामिल
सिविल डिफेंस विभाग की देखरेख में इस अभ्यास में स्कूल और कॉलेजों के छात्र, एनसीसी कैडेट, और स्वयंसेवी नागरिक भी हिस्सा लेंगे। उन्हें प्राथमिक चिकित्सा, आग बुझाने, बंकर में छिपने और दूसरों की मदद करने जैसे कौशल सिखाए जाएंगे।
ब्लैकआउट का भी अभ्यास
इस बार ब्लैकआउट यानी पूर्ण अंधकार की रणनीति भी लागू की जाएगी। हमले की आशंका पर सभी घरों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों की लाइटें बंद कर दी जाएंगी। यह रणनीति 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी अपनाई गई थी, और अब 54 साल बाद इसे दोबारा लागू किया जा रहा है।
ड्रिल से क्या होगा लाभ?
आम नागरिक आपात स्थिति में सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे
घबराने की बजाय शांतिपूर्वक सुरक्षित स्थानों पर पहुंच सकेंगे
अफवाहों से बचाव और सरकारी निर्देशों का पालन बढ़ेगा
नागरिकों में आत्मविश्वास और सहायक भावना का विकास होगा
7 मई को होने वाली यह मॉक ड्रिल केवल अभ्यास नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक जागरूकता का एक अहम कदम है। यदि नागरिक सहयोग करते हैं और बताई गई प्रक्रियाओं का पालन करते हैं, तो किसी भी संकट की घड़ी में जानमाल की हानि को कम किया जा सकता है।