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सीएसआर से मिलेगी कोरोना पीड़ित अनाथ बच्चों को सहायता

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कोरोना काल में कईयों ने अपने को खोया तो कई मामले ऐसे भी देखने को मिले कि परिवार का परिवार उजड़ गया। घर में रोने के लिए कोई नहीं बचा। कोरोना महामारी में बच्चों का भी हाल बेहाल रहा। अभिभावक कोरोना की चपेट में आ गए तो बच्चे अनाथ हो गए। अब इन्हीं अनाथ बच्चों देखभाल के लिए आगे आया है कॉरपोरेट्स और कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर)। दरअसल कोरोना काल में अनाथ हुए या परिवार में प्रमुख व्यक्ति की मौत होने के बाद बच्चों को राहत देने के लिए राजस्थान की बाल कल्याण समिति ने सभी कॉरपोरेट्स को आदेश दिया है कि सीएसआर फंड से ऐसे बच्चों की मदद करें।

अनाथ बच्चों के लिए चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का ये फैसला है सराहनीय

ये फैसला चित्तौड़गढ़ CWC यानी बाल कल्याण समिति ने किया है जो की बेहद सराहनीय है और अनुकरणीय है। हम आपको बता दें कि राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले में संचालित विभिन्न उपक्रम जैसे हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, बिरला सीमेंट वर्क्स, आदित्य सीमेंट, जेके सीमेंट, वंडर सीमेंट, लाफार्ज सीमेंट सहित अन्य कई कॉरपोरेट्स संचालित है और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी द्वारा इन सभी उपक्रम को आदेश दिया गया है कि सीएसआर फंड से बच्चों की मदद और उनके लालन-पालन में, उनकी शिक्षा में आगे आये।
अकेले चितौड़गढ़ में कोरोना के समय कुल 15 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है, 6 बच्चे ऐसे हैं जिनके माता या पिता की मृत्यु हुई है, इसके अलावा 19 बच्चे ऐसे हैं जिनके कमाने वाले पिता की मृत्यु हो गई है। इन सभी बच्चों को सीएसआर फंड में से 40 प्रतिशत राशि इन बच्चों के कल्याण के लिए खर्च करने के निर्देश CWC ने दिए है। चाइल्ड वेलफेयर कमिटी ने इन औद्योगिक संस्थानों को आदेश दिया है कि अपने क्षेत्र के आसपास इन बच्चों का तत्काल निशुल्क शिक्षा, आर्थिक सहायता करें।

कोरोना काल में 1742 बच्चे हुए है अनाथ

हालही में सुप्रीम कोर्ट में नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमे कहा है कि कोरोना काल में 1742 बच्चे अनाथ हुए है। एनसीपीसीआर के आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 7464 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने दोनों में से किसी एक अभिभावक को खोया है। इन बच्चों के पुनर्वसन और देखभाल के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों ने भी मदद के हाथ बढ़ाये है। केंद्र सरकार ने हाल ही में अनाथ बच्चों के लिए बड़ा ऐलान किया है। केंद्र सरकार द्वारा अनाथ बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाया जाएगा। साथ ही 18 साल होने पर बच्चों को स्कॉलरशिप भी दिया जाएगा। सभी बच्चों को आयुष्मान भारत का कवर भी दिया जाएगा।

राज्य सरकारें कर रही है इस तरह मदद

उत्तर प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों का पालन करने का जिम्मा उठाया है। अनाथ बच्चों के गार्जियन को ₹4000 प्रतिमाह दिया जाएगा। जिन बच्चों का कोई नहीं है उन्हें सरकारी संस्थाओं में रखा जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार ने भी ऐसे बच्चों को ₹5000 पेंशन देने की की बात कही है। इसके अलावा बच्चों की स्कूल और कॉलेज पढ़ाई का खर्च उठाने का ऐलान किया गया है। वहीं दिल्ली सरकार अनाथ बच्चों को 25 साल तक की उम्र तक पेंशन देने की बात कही गई है। दिल्ली सरकार बच्चों को ढाई हज़ार रुपये महीने की पेंशन भी देगी और पढ़ाई मुफ्त में कराई जाएगी। वही कोरोना के चलते अनाथ हुए 74 बच्चों को केरल सरकार ₹2000 महीने की आर्थिक सहायता देगी।

इन अनाथ बच्चों की सहायता के लिए कॉरपोरेट्स भी आये है आगे

सिर्फ केंद्र सरकार और राज्य सरकारें ही नहीं देश की कॉरपोरेट्स भी खुद संज्ञान लेते हुए इन बच्चों की मदद के लिए सामने आ रहे है। Confederation of Indian Industry (CII) केरल सरकार और तमिलनाडु सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि अनाथ बच्चों की आर्थिक और शैक्षिक सहायता कर सकें। IIMT ग्रुप ऑफ कॉलेज ने भी 100 COVID अनाथों की मदद की पेशकश की है और उन्हें उनके मेरठ परिसर के छात्रावास में रहने की भी बात कही है। इन बच्चों को कॉलेज तक उनकी शिक्षा के लिए समर्थन दिया जाएगा। Unacademy भी इन बच्चों की सहायता के लिए आगे आया है।
कोरोना संकटकाल में लाखों लोगों ने अपनों को खोया लेकिन सबसे बड़ा दुखों का पहाड़ छोटे बच्चों पर टूटा है। कोरोना काल में देश के अलग-अलग हिस्सों में से कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां किसी छोटे से बच्चों को मां-बाप कोरोना की भेंट चढ़ गए हैं या किसी बच्चे की मां या फिर पिता दुनिया को छोड़ कर चला गया। कई परिवारों में माता पिता ने अपने बच्चों को खोया है छोटे बच्चों के ऊपर से मां बाप का साया उठ जाने के बाद सबसे बड़ा संकट उनके भविष्य पर है और इन्ही भविष्य को संवारने का काम अब Corporate Social Responsibility (CSR) कर रहा है।