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सीएसआर कानून में संशोधन, रिटायर्ड अर्धसैनिक बल के जवानों पर हुआ खर्च सीएसआर माना जायेगा

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कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानि सीएसआर के कानून में संशोधन हुआ है, सीएसआर कानून के संशोधन के बाद बड़े पैमाने पर रिटायर्ड अर्धसैनिक बलों के जवानों और उनपर आश्रितों को इसका लाभ मिल सकेगा। वित्त मंत्रालय ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानि सीएसआर कानून के संशोधन की गजेट जारी करते हुए बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (Central Armed Police Force), केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (Central Para Military Forces) के वरिष्ठों के साथ-साथ उनके आश्रितों के लिये कॉर्पोरेट कंपनियों द्वारा किये जाने वाले योगदान को अब कंपनी कानून के तहत सीएसआर खर्च माना जायेगा।

अर्धसैनिक बल को लेकर सीएसआर कानून के सातवीं अनुसूची में संशोधन

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम 2013 की सातवीं अनुसूची में संशोधन किया है। यह अनुसूची उन गतिविधियों से संबंधित है, जिन्हें सीएसआर गतिविधियां माना जाता है। मंत्रालय ने 23 जून की एक अधिसूचना में कहा कि सातवीं अनुसूची में ‘केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (सीपीएमएफ) के वरिष्ठों और उनकी विधवाओं सहित उनके आश्रितों‘ को सम्मिलित किया जायेगा।

सीएसआर कानून में संशोधन के बाद, सातवीं अनुसूची में अर्धसैनिक बल भी शामिल

कंपनी कानून के तहत कुछ निश्चित श्रेणी की कंपनियों को किसी वित्तीय वर्ष में अपने तीन साल के औसत मुनाफे के कम से कम दो फीसद के बराबर सीएसआर मद में खर्च करना होता है। इनमें 500 करोड़ रुपये के नेटवर्थ, हजार करोड़ रुपये के टर्नओवर या पांच करोड़ या इससे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनियां शामिल हैं। सीएसआर के तहत कंपनियां इन कार्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी, भूख, कुपोषण, मातृ व शिशु स्वास्थ्य सुधारना, पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए कार्य, खेल गतिविधियों को बढ़ाना, राष्ट्रीय विरासत का संरक्षण और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में योगदान देना आदि शामिल है। अब इस सूची में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और केंद्रीय अर्ध-सैनिक बल (सीपीएमएफ) के सेवानिवृत कर्मियों एवं उनके आश्रितों को शामिल किया गया है।

सीएसआर कानून में बदलाव के बाद सुरक्षा बलों को होगा फायदा

सीएसआर कानून में बदलाव के बाद जानकारों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। इससे इन सुरक्षा बलों के जवानों व उनके आश्रितों को व्यापक लाभ होगा। कंपनियां इन सुरक्षाबलों के पूर्व जवानों व शहीदों के आश्रितों के सहयोग के लिए प्रेरित होंगी।