सिख मर्यादा की रक्षा के लिए अकाल तख्त साहिब का निर्देश, केवल गुरुद्वारों में ही संपन्न होगा विवाह संस्कार! सिख धर्म की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त साहिब ने आनंद कारज (सिख विवाह संस्कार) को लेकर एक अहम और सख़्त आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार अब पार्क, होटल, रिसॉर्ट, मैरिज हॉल या अन्य व्यावसायिक स्थलों पर आनंद कारज आयोजित नहीं किया जाएगा। यह पवित्र संस्कार केवल गुरुद्वारा साहिब के परिसर में सिख मर्यादा के अनुसार ही संपन्न होगा।
पार्क-हॉटल्स में आनंद कारज पर रोक
अकाल तख़्त साहिब पर रविवार के दिन पांच अहम फ़ैसले लिए गए। 2025 की आख़िरी बैठक में लिए गए फ़ैसले सीधे सिख संगत से जुड़े हैं। अकाल तख़्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज़ ने बताया कि आनंद कारज अब सिर्फ़ गुरुद्वारों में ही संपन्न होंगे। पार्क, होटल और अन्य खुली जगहों पर आनंद कारज की सख़्त मनाही रहेगी। गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को किसी भी विवाह स्थल पर ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पावन स्वरूपों से जुड़े मामलों में किसी भी राजनीतिक दल को हस्तक्षेप ना करने की चेतावनी दी गई है। वर्तमान सरकार को भी चेतावनी दी गई कि यदि सिखों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद नहीं किया गया तो पंथक परंपराओं के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
सिख मर्यादा की पवित्रता बनाए रखने पर ज़ोर
अकाल तख्त साहिब ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि आनंद कारज केवल सामाजिक या कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष एक आध्यात्मिक और धार्मिक संस्कार है। इसे मनोरंजन या दिखावे से जोड़ना सिख परंपराओं के विरुद्ध है। होटल और पार्क जैसे स्थलों पर होने वाले आयोजनों में अक्सर धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन होता है, जिसे रोकना आवश्यक है।
व्यावसायीकरण पर चिंता
धार्मिक नेतृत्व ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि हाल के वर्षों में आनंद कारज का व्यावसायीकरण बढ़ा है। आलीशान सजावट, तेज़ संगीत, फ़ोटोशूट और गैर-धार्मिक गतिविधियां इस पवित्र संस्कार की आत्मा को नुकसान पहुंचा रही हैं। अकाल तख्त ने कहा कि आनंद कारज को शो और स्टेटस सिंबल बनने से बचाना ज़रूरी है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सिख समुदाय के सभी गुरुद्वारों को इस निर्णय का सख्ती से पालनकरना होगा। जो ग्रंथी या गुरुद्वारा प्रबंधन समिति इस आदेश की अवहेलना करेगी, उसके खिलाफ धार्मिक अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
संगत से सहयोग की अपील
अकाल तख्त साहिब ने सिख संगत से अपील की है कि वे विवाह आयोजनों में सादगी, मर्यादा और गुरमत सिद्धांतों का पालन करें। साथ ही, परिवारों से कहा गया है कि वे सामाजिक दबाव या आधुनिक दिखावे के बजाय धार्मिक परंपरा को प्राथमिकता दें।धार्मिक जानकारों के अनुसार, इससे पहले भी अकाल तख्त साहिब समय-समय पर आनंद कारज को लेकर दिशा-निर्देश जारी करता रहा है, लेकिन कई जगहों पर उनका पालन नहीं हो रहा था। अब इस नए आदेश को स्पष्ट चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले भी अकाल तख्त साहिब ने आनंद कारज की मर्यादा को लेकर दुल्हन की ड्रेस (Bride’s Dress Code) पर स्पष्ट आदेश जारी किया था। उसका उद्देश्य भी वही था- सिख परंपरा, सादगी और धार्मिक गरिमा की रक्षा!
अकाल तख्त का निर्देश: दुल्हन की पोशाक सिख मर्यादा के अनुरूप हो
अकाल तख्त साहिब ने कुछ वर्ष पहले आनंद कारज के दौरान दुल्हन की पोशाक को लेकर अहम दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि सिख विवाह एक धार्मिक संस्कार है, न कि फैशन शो या प्रदर्शन का मंच, इसलिए दुल्हन की ड्रेस सिख मर्यादा और गुरमत सिद्धांतों के अनुरूप होनी चाहिए। अकाल तख्त ने स्पष्ट किया था कि आनंद कारज के दौरान अत्यधिक भड़काऊ, अंग-प्रदर्शक या पश्चिमी शैली के परिधान, जैसे गाउन, ऑफ-शोल्डर ड्रेस या ऐसे कपड़े जो सिख संस्कृति से मेल नहीं खाते, अनुचित माने जाएंगे। ऐसे परिधानों से विवाह की पवित्रता प्रभावित होती है।
सादगी और शालीनता पर ज़ोर- सिर ढकना अनिवार्य
निर्देशों में कहा गया कि दुल्हन की पोशाक शालीन, पूरी देह ढकने वाली और सम्मानजनक होनी चाहिए। पारंपरिक सिख वेशभूषा, जैसे सलवार-कमीज़, लहंगा या अन्य पारंपरिक भारतीय पोशाक को प्राथमिकता देने की बात कही गई, ताकि गुरुद्वारा साहिब की मर्यादा बनी रहे। अकाल तख्त ने यह भी दोहराया कि गुरुद्वारा साहिब में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की तरह दुल्हन के लिए भी सिर ढकना अनिवार्य है। यह सिख धार्मिक परंपरा का मूल नियम है और इसमें किसी प्रकार की ढील नहीं दी जा सकती।
गुरुद्वारा प्रबंधन को सख़्ती के निर्देश
आदेश में गुरुद्वारा प्रबंधन समितियों और ग्रंथियों को निर्देश दिए गए थे कि वे आनंद कारज से पहले यह सुनिश्चित करें कि विवाह की पूरी प्रक्रिया और वेशभूषा मर्यादा के अनुसार हो। उल्लंघन की स्थिति में आनंद कारज संपन्न न कराने की चेतावनी भी दी गई थी। अकाल तख्त साहिब ने अपने संदेश में कहा था कि आधुनिकता के नाम पर यदि सिख विवाह परंपराओं को बदला गया, तो इससे आने वाली पीढ़ियों में धार्मिक पहचान कमजोर होगी। इसलिए संगत से अपील की गई कि वे परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाए रखें।
अकाल तख्त साहिब का यह आदेश सिख धर्म की मूल आत्मा, मर्यादा और आध्यात्मिक गरिमा की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। आने वाले समय में इसका प्रभाव सिख विवाह परंपराओं में सादगी और धार्मिक अनुशासन के रूप में दिखाई देने की उम्मीद है।
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