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आप चाहे जितनी मेहनत कर लें, ओलिंपिक्स में तो चुनिंदा लोग ही जाएंगे: Pullela Gopichand

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Pulela Gopichand
Pullela Gopichand.
 
बचपन में मां-बाबा एक कहावत कहा करते थे,’पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे होगे खराब”। देश में Sports के प्रति बढ़ते क्रेज ने इस कहावत को बिल्कुल बेमानी कर दिया। लेकिन Pullela Gopichand के एक हालिया बयान ने इस बरसों पुरानी कहावत को फिर ज़हन में ताज़ा कर दिया और एक नई बहस को जन्म दे दिया है। Pullela Gopichand बैडमिंटन के दिग्गज खिलाड़ी और एक सफल कोच भी हैं।

Pullela Gopichand ने उठाया Sports में कैरियर पर सवाल

पिछले दिनों अपने एक इंटरव्यू में पूर्व भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी और कोच Pullela Gopichand ने Sports के बढ़ते क्रेज के चलते पढ़ाई को इग्नोर करने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बच्चों में स्पोर्ट्स को लेकर रुचि बढ़ी है। पेरेंट्स भी बच्चों के बहुमुखी विकास पर ध्यान देने लगे हैं। हर बच्चे का सपना है सचिन तेंडुलकर, धोनी,पी वी सिंधू, साक्षी मलिक या नीरज चोपड़ा बनने का! आज सुविधाओं और मौकों की कोई कमी नहीं है। Sports की दुनिया में इतना पैसा, नाम, शोहरत और ग्लैमर हो गया है कि हर कोई Sports में कैरियर बनाना चाहता है। लेकिन सभी को सोचना चाहिए कि Cricket खेलने वाला हर बच्चा Sachin Tendulkar नहीं बन सकता, हर बच्चा Neeraj Chopda नहीं बन सकता।

Pullela Gopichand ने रखी सच्चाई सामने

Pullela ने सवाल किया कि पढ़ाई छोड़कर स्पोर्ट्स में जी-जान लगा देने वाले बच्चे कल अगर किसी स्पोर्ट की टीम में सिलेक्ट नहीं हो पाए तो? आगे उनका क्या भविष्य होगा? देश भर में लाखों बच्चे क्रिकेट सीखते हैं और सबका सपना होता है नैशनल टीम में जगह पाना। लेकिन टीम में तो केवल 11 खिलाड़ी ही होते हैं। पढ़ाई छोड़कर क्रिकेट खेलने वाले वाले वो बच्चे जो टीम में सिलेक्ट नहीं होंगे, उनका भविष्य क्या होगा! साक्षी मलिक Olympic Finals तक पहुंच गईं, लेकिन क्या आपको पता है दूसरे स्थान पर आने वाले खिलाड़ी का क्या हुआ!

सफल खिलाड़ी बनने के लिए भी पढ़ाई तो चाहिए

Coach Pullela Gopichand की बातों का चाहे लोग अलग अर्थ निकालें, लेकिन उन्होंने Sports को बतौर कैरियर चुनने वाले बच्चों और पेरेंट्स को यही सलाह दी है कि पढ़ाई से अपना Focus कभी न हटाएं। माना कि खेल में आज बहुत संभावनाएं और मौके हैं, लेकिन ये भी चांस की बात है। अपना भविष्य सुनिश्चित करने के लिए विद्या का खाता हमेशा भरा रखिए। खेलिए, जरूर खेलिए, लेकिन पढ़ाई की कीमत पर नहीं।