देश की अग्रणी कम्युनिकेशंस कंपनी टाटा कम्युनिकेशंस ने सीएसआर के सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड समारोह The CSR Journal Excellence Awards 2023 में अवॉर्ड जीता है। टाटा कम्युनिकेशंस ने ये अवॉर्ड अपने सीएसआर प्रोजेक्ट एमपावर्ड के लिए जीता है। ट्रिकल अप के सहयोग से टाटा कम्युनिकेशंस का प्रोजेक्ट एमपावर्ड का उद्देश्य झारखंड और ओडिशा के दूरदराज के स्थानों से प्रति दिन 91 रुपये से कम पर गुजारा करने वाली गरीब महिलाओं को मोबाइल टेक्नोलॉजी और Sustainable Livelihood Development के माध्यम से अपनी आजीविका बढ़ाकर उन गरीब महिलाओं को सशक्त बनाना है।
ग्रामीण भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं मोबाइल फोन का उपयोग कम करती है इसी अंतर को देखते हुए टाटा कम्युनिकेशंस ने सोचा कि अगर महिलाओं को सशक्त बनाना है तो इसमें मोबाइल तकनीक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। लिहाजा मोबाइल के माध्यम से सरकारी योजनाओं के बारे में महिलाओं के हाथों में जानकारी तक त्वरित पहुंच हो या उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मोबाइल से ही प्रशिक्षण या अन्य संसाधन प्रदान करने पर कंपनी ने काम किया। इसके अलावा टाटा कम्युनिकेशन ने एक कस्टमाइज मोबाइल ऐप, पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज बनाया जिसमें पांच फसलों की जैविक खेती के तकनीकों पर मॉड्यूल के साथ स्थानीय भाषा में एप्प बनाया जिससे महिलाओं को बेहतर कृषि, पशुधन और व्यवसाय को अपनाने में सक्षम बनाया जा सके।
टाटा कम्युनिकेशंस का सीएसआर प्रोजेक्ट एमपावर्ड का ये है इम्पैक्ट
टाटा कम्युनिकेशंस अपने सीएसआर प्रोजेक्ट एमपावर्ड के तहत महिला सशक्तिकरण (वीमेन एम्पावरमेंट एंड चाइल्ड वेलफेयर – टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड Women Empowerment and Child Welfare Tata Communications) पर काम कर रहा है, लाभार्थियों की बात करें तो (Tata Communications CSR) टाटा बेहद गरीब आदिवासी महिलाएं को टारगेट करती है जो ओडिशा के सुंदरगढ़ और बोलांगीर जिले और झारखंड के पश्चिम सिंगभूम और पाकुड़ जिले में काम कर रही है। इस कार्यक्रम के तहत 47,800 से अधिक महिलाओं को लाभ मिला है।
टाटा के इस कार्यक्रम से महिलाओं की बढ़ रही है सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा
79 फीसदी महिलाओं ने टाटा मोबाइल ऐप के माध्यम से बेहतर कृषि के नए नए तरीकों और व्यावसायिक पद्धतियों को सफलतापूर्वक अपनाया है। 73 फीसदी महिलाएं आजीविका में लगी हुई हैं। ज्यादातर महिलाओं की वार्षिक आय में 6,148 रुपये की वृद्धि हुई है, जबकि 88 फीसदी महिलाओं की वार्षिक बचत में 3,247 रुपये की वृद्धि देखी गई है। परिवारों में माइग्रेशन में 73 फीसदी की कमी आयी है। टाटा की इस पहल से महिलाओं में जानकारी आयी है। अब ये महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सजग हुई है साथ ही मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं तक इनकी पहुंच भी बढ़ी है जिसकी वजह से महिलाओं की सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा भी बढ़ी है।