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सीएसआर कानून में संशोधन, सरकार ने कसी नकेल

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भारत सरकार ने एक बार फिर से सीएसआर कानून में संशोधन किया है, कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करते हुए सीएसआर नियमों में बदलाव किया है। 22 जनवरी 2021 को जारी इस अधिसूचना में सीएसआर नियमों को और भी असरदार और कड़क करने की कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की एक सराहनीय कदम है। कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility – CSR) के नए नियमों के मुताबिक अब सीएसआर फंड में कॉर्पोरेट कंपनीज गोलमाल नहीं कर पाएंगी।

कंपनी ने सीएसआर फंड खर्च नहीं किया तो दूसरे प्रोजेक्ट में फंड करनी होगी ट्रांसफर (Amendment in CSR Law)

कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कंपनियों पर नकेल कसते हुए जो नई व्यवस्था बनाई है उसके तहत यदि कंपनी अपने सालाना बजट का सीएसआर फंड नहीं खर्च कर पाती है, तो उसे सरकार की ओर से बताए गए फंड में रकम ट्रांसफर करनी होगी। साथ ही अगर कोई कंपनी अपने सीएसआर फंड का पूरा खर्च नहीं कर पाती है तो उसे अपनी डायरेक्टर रिपोर्ट में इसका जिक्र भी करना होगा। इस महत्वपूर्ण बदलाव के साथ साथ कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने कई और भी बदलाव किये है।

यदि कंपनी सालाना बजट से ज्यादा खर्च करती है तो अगले तीन सालों तक उस रकम को समाहित कर सकती है

नए नियम के मुताबिक यदि कंपनी पूरा सीएसआर फंड नहीं खर्च कर पाती तो बची राशि को सरकार द्वारा बताए गए किसी फंड में ट्रांसफर करना होगा। यदि कंपनी वार्षिक बजट से ज्यादा खर्च करती है तो अगले तीन सालों तक उस रकम को समाहित कर सकती है। साथ ही ऐसी संस्थाएं जो रजिस्टर्ड ट्रस्ट हों या सोसाइटी या चैरिटेबल उद्देश्य से बनी कंपनी हों यदि सीएसआर का काम कर रही हैं तो उन्हें सीएसआर एक फार्म फाइल करके पंजीकरण भी  करवाना होगा। इस पंजीकरण नंबर से सीएसआर का काम कर रही कंपनियों की पहचान की जा सकेगी। इस नए फॉर्म को प्रैक्टिसिंग प्रोफेशनल से सत्यापित भी करवाना होगा।

फाइनेंसियल हेड से सीएसआर फंड के खर्चों को सत्यापित भी कराना होगा

कंपनियां अब अपने सीएसआर प्रोग्राम को बनाने व विकसित कराने के लिए किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था को नियुक्त कर सकती हैं। ये पहले भी था कि कंपनियां अकेले या दूसरी कंपनियों के साथ शामिल रूप से सीएसआर फंड खर्च कर सकती हैं। लेकिन अपने-अपने खर्च का ब्यौरा अलग-अलग देना होगा। कंपनी के चीफ फाइनेंसियल ऑफिसर या फाइनेंसियल हेड साल भर हुए सीएसआर फंड के खर्चों को सत्यापित भी करेगा। सीएसआर समिति कंपनी के सालाना सीएसआर प्लान, बजट और उसे खर्च करने के मदों व तरीकों को बनाकर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को देगी और कंपनी उसी तरीके से सीएसआर खर्च करेगी।

10 करोड़ से ज्यादा सीएसआर खर्च पर इंपैक्ट असेसमेंट भी करवाना होगा

सीएसआर के तहत काम करने वाली ऐसी कंपनियां, जिनका सालाना खर्च पिछले तीन सालों में 10 करोड़ या उससे अधिक है, उन्हें इंपैक्ट असेसमेंट भी करवाना होगा। कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर सीएसआर पॉलिसी के साथ-साथ सीएसआर समिति का ब्यौरा भी देना होगा। पहली बार कंपनी द्वारा कोविड-19 की वैक्सीन से संबंधित रिसर्च पर काम किया जा रहा है तो अगले तीन वर्षों तक यह कार्य सीएसआर में शामिल किया जा सकता है। हालांकि यह रिसर्च किसी सरकारी संस्था के साथ ही होनी चाहिए ऐसा भी नियम बनाया गया है।

क्या कहता है सीएसआर कानून (CSR Kya Hai)

सीएसआर को अनिवार्य करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। भारत में सीएसआर का कानून 1 अप्रैल 2014 से लागू है। कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत प्रावधानों के माध्यम से अनिवार्य कर दिया गया है। कानून के अनुसार, एक कंपनी को जिसका सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ों रुपए या उसका सालाना इनकम 1000 करोड़ रुपए या उनका वार्षिक प्रॉफिट 5 करोड़ का हो तो उनको सीएसआर पर खर्च करना जरूरी होता है। यह जो खर्च होता है उनके 3 साल के एवरेज प्रॉफिट का कम से कम दो प्रतिशत तो होना ही चाहिए।