मुंबई के निचले इलाकों में पानी की लहरें इस तरह से उफान पर थी कि मानो समंदर की लहरें मुंबई की सड़कों को डुबो रही है लेकिन अफसोस मुंबई की सड़कों पर यह सैलाब समंदर के पानी का नहीं बल्कि आसमानी बारिश का है, मुंबई में चिलचिलाती धूप से लोगों को राहत तो मिली लेकिन बारिश ने ना सिर्फ मुंबईकरों को भिगोया बल्कि काफी आफत भी साथ लेकर आई। मानसून की पहली बारिश से मुंबई पानी-पानी हो गया, मूसलाधार बारिश लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई। हालात ऐसे हो गए हैं कि सड़कों पर पानी भर गया, गाड़ियां रेंग-रेंग कर चलने पर मजबूर हो गयी, तो वहीं रेल सेवाएं भी प्रभावित हो गयी। जगह जगह जलजमाव हो गया साथ ही पैदल चलने वालों का तो हाल और भी बुरा हो गया।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी सच साबित हुई है। दरअसल, मौसम विभाग ने मुंबई सहित महाराष्ट्र के उत्तरी तटीय क्षेत्र में 9 से 12 जून तक तेज बारिश का पूर्वानुमान जताया था, साथ ही शनिवार को मानसून के मुंबई दस्तक देने की संभावना भी जताई थी। मानसून के शनिवार को मुंबई में दाखिल होते ही बारिश का कहर इस कदर हुआ कि दौड़ती भागती मुंबई की गति थम सी गयी। प्री मानसून बारिश आते ही 3 मुंबईकरों की मौत बिजली के झटके से हो गई, और अबतक हुई बारिश लगभग 15 जिंदगियों को लील गयी।मानसून की बारिश के साथ पहले से जलमग्न मुंबई की मुश्किलें अब और बढ़ गयी थी, हालात को देखते हुए मौसम विभाग ने लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी।
लागातार हो रही बारिश के कारण मुंबई में जलभराव की समस्या आ गई। सड़कों पर पानी भर गया। वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई। मुंबई के लो लाइन इलाकों में पानी का सैलाब रास्तों पर आगया, हिंदमाता, परेल, अंधेरी, कुर्ला, दादर, विक्रोली, घाटकोपर, खार, अंधेरी और मिलन सब वे पानी से लबालब हो गए लेकिन बारिश से मुंबईकरों की बेहाली ने बीएमसी और प्रदेश सरकार पर कई सवाल खड़े कर दिए। बीएमसी का बजट देश के कई छोटे राज्यों से कही ज्यादा है। इस साल बीएमसी का बजट 27,258 करोड़ रुपये रहा जो कि पिछले साल से 8.42 फीसदी ज्यादा है। ऐसे में सवाल जरूर उठता है कि जब इतनी धन्नासेठ मुंबई बीएमसी है तो हर बारिश में बीएमसी के दावे पानी मे क्यों बह जाते है।क्या बीएमसी करोड़ों रुपये का टैक्स मुंबईकरों से वसूलती है इस तरह की सुविधा प्रदान करने के लिए ? थोड़ी सी बारिश हुई नही कि मुंबईकरों को परेशानी झेलनी पड़ती है, ये आखिरकार हमेशा से क्यों होता है।
जानकारों की माने तो शहर में बारिश का पानी निकालने के लिए जो वॉटर ड्रेनेज सिस्टम बना है वो 158 साल पुराना है। उसे ब्रिटिश काल 1860 में बनाया गया था। उस वक्त बने ड्रेनेज सिस्टम कीक्षमता 25 मिमी. प्रति घंटे की है। यानी एक घंटे में 25 मिमी. की बारिश को ही ड्रेनेज सिस्टम संभाल सकता है। अगर इससे ज्यादा बारिश हुई तो ड्रेनेज सिस्टम संभाल नहीं पाएंगे और पानी भरना शुरू हो जाएगा। जब मुंबई का वॉटर ड्रेनेज सिस्टम बनाया गया, तब से लेकर अब तक मुंबई की पॉपुलेशन 10 गुना ज्यादा बढ़ गई है। स्टॉर्म वॉटर ड्रेन डिपार्टमेंट के मुताबिक, मुंबई में ड्रेनेज की क्षमता को 25 मिमी. प्रति घंटे से बढ़ाकर 35 मिमी. प्रति घंटे तक कर दी गई है।
26 जुलाई 2005 में मुंबई में सबसे ज्यादा 944 मिमी. बारिश हुई थी। जिससे एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। तब बीएमसी ने ‘बृहनमुंबई स्टार्म वॉटर डिस्पोजल सिस्टम यानीब्रिमस्टोवॅड योजना’ शुरू की। जिसके तहत 58 प्रोजेक्ट शुरू किए गए।इसके तहत मुंबई के ड्रेनेज सिस्टम की क्षमता बढ़ाकर 50 मिमी. तक किया जाना था। इसके अलावा पानी निकालने के लिएआठ पंपिंग स्टेशन बनाए जाने थे। प्रोजेक्ट को दो फेज 2011 और 2015 में पूरा होना था। लेकिन दोनों फेज में ही प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका। मई 2018 तक प्रोजेक्ट 83% ही पूरा हो सका है। मुंबईका पानी सिर्फ दो जगहों पर निकलता है। पहला मिठी नदी दूसरा अरब सागर। मिठी नदी की क्षमता 123 मिमी. प्रति घंटे की है, लेकिन लगातार तीन घंटे की बारिश में मिठी नदीं भी उफान पर आजाती है। मुंबई में पार्क, मिट्टी का एरिया बहुत कम है। कंक्रीट एरिया ज्यादा है। ऐसे में बारिश का पानी जमीन के अंदर जाने की जगह सड़कों, नालों और ड्रेनेज सिस्टम से ही निकल सकता है।
मौसम विभाग ने सोमवार तक भारी बारिश की चेतावनी को वापस लेते हुए मानसून को कुछ दिनों के लिए कमजोर बताया लेकिन जब शुरवाती बारिश ने मुंबई का ये हाल बना दिया तो ना जाने मुंबईकरों को अभी और क्या देखना बाकी है।