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June 8, 2025

दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे पुल की नींव में मज़बूती से खड़ी IISC की डॉ. माधवी लता 

 Chenab Railway Bridge: चिनाब रेलवे पुल- जो एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है- 272 किलोमीटर लंबे उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक का हिस्सा है, जिसमें 36 सुरंगें और 943 पुल हैं और यह रेलवे लाइन के माध्यम से जम्मू और श्रीनगर को जोड़ने के एक सदी पुराने विचार को साकार करता है। डॉ गली माधवी लता को याद नहीं है कि चेनाब नदी के किनारे की पहाड़ी ढलानों पर कितनी बार छुपे हुए आश्चर्य सामने आए, जिससे उनकी टीम को दुनिया का सबसे ऊंचा Railway Arch Bridge बनाने के लिए वास्तविक समय में पुनः डिजाइन करने के लिए बाध्य होना पड़ा।

भारत का गर्व-दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल ‘चिनाब रेल्वे पुल’

Chenab Railway Bridge: जम्मू कश्मीर में चिनाब नदी पर बनाए गए दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज पर शुक्रवार को Vande Bharat दौड़ी। पीएम मोदी ने इस ब्रिज का निरीक्षण किया और Eiffel Tower से अधिक ऊंचाई पर तिरंगे को लहराया। भारत को गर्व करने वाले चिनाब ब्रिज का नारी शक्ति कनेक्शन सामने आया है। भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में रॉक मैकेनिक्स विशेषज्ञ और सिविल इंजीनियरिंग की प्रोफेसर माधवी लता का नाम Chenab Railway Bridge के निर्माण के साथ हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गया है।

आसान नहीं था इतिहास बनाना

प्रधानमंत्री मोदी ने जब 6 जून को Chenab Railway Bridge का उद्घाटन कर देश का दशकों लंबा इंतजार खत्म किया, उसके बाद डॉ माधवी लता ने इस ब्रिज के निर्माण के दौरान आई मुश्किलों का खुलासा करते हुए बताया कि आखिर चिनाब ब्रिज क्यों अनूठा है? माधवी लता इस ब्रिज के निर्माण के चलते 17 साल तक पहाड़ों पर चलीं और वहीं रहीं। माधवी लता ने कहा कि लेकिन हमें नहीं पता था कि पहाड़ हमारे सामने क्या रहस्य खोलेगा। लता ने कहा कि चुनौती भरे इलाके, भूविज्ञान और साइट तक पहुंचने की कठिनाई से साफ था कि आगे की डगर आसान नहीं होगी। अपने सामने आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, डॉ. लता और उनकी टीम ने पुल के निर्माण के लिए Design-As-You-Go दृष्टिकोण अपनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार, 6 जून को इंजीनियरिंग के चमत्कार, चेनाब रेल पुल का उद्घाटन किया। यह पुल भारत का गौरव है और जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाला दुनिया का सबसे ऊंचा Single Arch Railway पुल है।

भारतीय वास्तुकला और तकनीक का उत्तम उदाहरण ‘चिनाब रेलवे पुल’

नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर बना 1,315 मीटर लंबा यह पुल एफिल टॉवर से 35 मीटर छोटा है और इसकी आयु 120 वर्ष बताई गई है। 260 किमी प्रति घंटे की हवा की गति और भूकंपीय गतिविधि को झेलने के लिए बनाया गया चिनाब रेलवे पुल 1,486 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। चिनाब रेलवे पुल को पूरा होने में करीब दो दशक लग गए। बीच में, 2008 में साइट की स्थिति और नए रेलवे अलाइनमेंट के कारण परियोजना में रुकावट आई। 2010 में परियोजना को फिर से शुरू किया गया और यह वास्तुकला का एक चमत्कार बन गया। प्रधानमंत्री द्वारा पुल को राष्ट्र को समर्पित किए जाने के बाद, बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में भू-तकनीकी इंजीनियरिंग की प्रोफेसर डॉ. माधवी लता गली ने इस पुल के लिए अपनी जिंदगी के 17 साल समर्पित कर दिए।

 सबसे ऊंची चोटी पर खड़ा अजूबा- चिनाब पुल

28 मई 2025 को Indian Geotechnical Journal के महिला विशेषांक में एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसका नाम था “Design As You Go: The Case Study Of Chenab Railway Bridge।” डॉ. लता द्वारा लिखे गए इस लेख में पिछले 17 वर्षों में पुल के निर्माण में आई चुनौतियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। डॉ. लता- प्राथमिक भू-तकनीकी सलाहकार- और उनकी टीम के पास वास्तव में कार्य शुरू करने से पहले ठोस डिजाइन का अभाव था। “चिनाब पुल जैसे सिविल इंजीनियरिंग चमत्कार के निर्माण में योजना से लेकर पूरा होने तक कई चुनौतियां थीं। निरंतर विकसित हो रही भूवैज्ञानिक और भू-तकनीकी स्थितियों को देखते हुए, निश्चित मानकों और पूर्व-निर्धारित समाधानों के साथ एक कठोर डिजाइन संभव नहीं होता।” उन्होंने लेख में उल्लेख किया।
“इस परियोजना में अपनाए गए डिजाइन-एज-यू-गो दृष्टिकोण ने पुल के निर्माण को संभव बनाया, जबकि इसके निर्माण काल के 17 वर्षों के दौरान हर चरण में कई गंभीर चुनौतियां भी आईं।”
चेनाब पुल में लगभग आधा किलोमीटर लम्बा एक बिना सहारे वाला स्टील का मेहराब है जो ढलानों पर बायीं और दायीं ओर स्थित आधारों पर टिका हुआ है तथा ढलानों पर आठ खंभे हैं, जिनमें से प्रत्येक तरफ चार खंभे हैं। डॉ. लता ने पुल के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से रेलगाड़ी से जोड़ना एक सदी से भी ज़्यादा समय से भारत का सपना रहा है। इस उद्देश्य को समर्पित USBRL (उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक) परियोजना को 2002 में भारत की राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था। यह परियोजना उधमपुर से बारामुल्ला तक विशाल हिमालय पर्वतों से होकर 272 किलोमीटर की दूरी तय करती है और इसमें कुल 38 सुरंगें हैं। चेनाब नदी पर कटरा और काजीगुंड के बीच बनने वाला पुल, दो पहाड़ियों को जोड़ता है। यह दुनिया का अब तक का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है, जो नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर बना है। पुल की योजना 2005 में शुरू हुई थी और आखिरकार यह 2022 में बनकर तैयार हुआ। डॉ माधवी लता ने उत्तर रेलवे, ठेकेदार, Afcon Infrastructure के साथ मिलकर काम किया, पुल का डिजाइन तैयार किया और एक दशकों पुराने ख़्वाब को हक़ीक़त में तब्दील कर दिया।

महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल डॉ माधवी लता

IIT मद्रास की पूर्व छात्रा डॉ. लता 2004 में IISC में शामिल होने से पहले IIT गुवाहाटी में पढ़ा चुकी हैं। उनकी शोध रुचियों में भू-यांत्रिकी के सूक्ष्म से स्थूल तक, टिकाऊ Soil Reinforcement, Earthquake Geotechnical Engineering शामिल हैं। वह भारतीय जियोटैक्निकल सोसायटी से Geotechnical Engineering में सर्वश्रेष्ठ महिला शोधकर्ता पुरस्कार पाने वाली पहली महिला हैं। उन्हें IISc का प्रोफ़ेसर एसके चटर्जी उत्कृष्ट शोधकर्ता पुरस्कार, Karnataka Book Of Records द्वारा महिला अचीवर पुरस्कार और SERB POWER फ़ेलोशिप भी मिल चुकी है। वह STEAM ऑफ़ इंडिया की शीर्ष 75 महिलाओं में शामिल हैं। जब डॉ. लता IISC में शामिल हुईं, तो वह पहली महिला संकाय सदस्य थीं। हालांकि, तब उनकी मुख्य चुनौती अकादमिक नहीं थी।

तब महिलाओं के लिए नहीं थे इतने अवसर

IISC ने अपनी वेबसाइट पर लिखा, “उस समय विभाग में महिलाओं के लिए कोई विशेष शौचालय नहीं था। केवल पुरुषों के लिए शौचालय थे।” डॉ माधवी लता ने बताया, “ मुझे भू-तकनीकी इंजीनियरिंग भवन में महिलाओं के लिए शौचालय बनवाने के लिए वास्तव में संघर्ष करना पड़ा।” आज, IISC और डॉ. लता दोनों को संस्थान में अपनी उपलब्धियों पर गर्व है। अब, सेंटर फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजीज (CST) की अध्यक्ष डॉ. लता इस बात से खुश हैं कि विभाग में छात्रों के बराबर ही छात्राएं भी हैं।
IISC की वेबसाइट पर डॉ माधवी लता ने कहा, “मैं कहूंगी कि अनुपात 40-60 है। पिछले कुछ सालों में, उन्होंने अपनी प्रयोगशाला को अपनी महिला छात्रों के लिए ज़्यादा बेहतर बनाने की कोशिश की है। उदाहरण के लिए, महिला छात्रों को ऐसे प्रयोगों में मदद करने के लिए सहायक बनाकर, जिनमें भारी वजन उठाने की ज़रूरत होती है, ताकि वे पुरुष छात्रों के साथ तालमेल बिठा सकें।” वह कहती हैं कि महिला छात्रों के लिए अपनी चिंताएं साझा करने के लिए उनके दरवाज़े हमेशा खुले रहते है। ‘एक महिला होने के नाते, मैं यह सुनिश्चित करती हूँ कि मैं समझ सकूं कि उन्हें क्या चाहिए।”

डॉ माधवी लता को मिली उच्च स्तर पर प्रशंसा

चिनाब रेलवे पुल के उद्घाटन के तुरंत बाद, IISc ने X पर लिखा, “हमें माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए #ChenabBridge में प्रोफेसर माधवी लता और उनकी टीम के योगदान पर गर्व है। टीम ने ढलानों की स्थिरता, नींव के डिजाइन और निर्माण, ढलान स्थिरीकरण प्रणालियों के डिजाइन, खतरों का सामना करने के लिए रॉक एंकर सहित काम किया।” अर्थशास्त्री और लेखक संजीव सान्याल ने डॉ. लता के दृढ़ निश्चय की तारीफ़ करते हुए X पर कहा, “माधवी लता, चेनाब रेलवे पुल बनाने में मदद करने वाली बेहतरीन इंजीनियरों में से एक हैं। उन्होंने 17 साल पहले इस मुद्दे पर विचार करना शुरू किया था। इस पुल में एफिल टॉवर के मुकाबले चार गुना ज़्यादा स्टील लगा है – जो पहाड़ी, भूकंप-प्रवण क्षेत्र में बना हुआ है।”
NIT वारंगल में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली और IISC में शामिल होने से पहले IIT मद्रास से Phd करने वाली लता ने कहा, “हमें अपनी रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ा और वास्तविक समय में संशोधन करना पड़ा।” 2005 में जब Afcon ने उन्हें प्रोजेक्ट कंसल्टेंट के तौर पर भर्ती किया था, तब वह वहां असिस्टेंट प्रोफेसर थीं। उन्होंने कहा, “मैं एक सौ साल पुराने सपने को साकार करने वाली परियोजना का हिस्सा बनकर खुश हूं।”

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