Kumar Vishwas Barefoot in Ayodhya and Braj: अयोध्या और ब्रज में जब भी कवि और वक्ता कुमार विश्वास नजर आते हैं, तो एक बात लोगों का ध्यान जरूर खींचती है वे अक्सर नंगे पांव दिखाई देते हैं। सोशल मीडिया से लेकर आम चर्चा तक लोग यही सवाल पूछते हैं कि आखिर कुमार विश्वास अयोध्या में चप्पल-जूते क्यों नहीं पहनते। इसका जवाब सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि बचपन से जुड़ी आस्था, संस्कार और गहरी भक्ति में छुपा है। खुद कुमार विश्वास कई बार यह बात साझा कर चुके हैं कि यह परंपरा उनके जीवन का अहम हिस्सा है और उन्हें मानसिक शांति देती है।
Kumar Vishwas Barefoot in Ayodhya and Braj: बचपन में मां से मिली सीख, जो आज भी निभा रहे हैं
कुमार विश्वास बताते हैं कि बचपन में उनकी मां उन्हें वृंदावन यात्रा पर ले गई थीं। वहीं उन्होंने सिखाया कि पवित्र स्थलों पर हमेशा नंगे पांव चलना चाहिए। मां का मानना था कि इससे मन और आत्मा दोनों को शांति मिलती है और भगवान से सीधा जुड़ाव महसूस होता है। यही सीख कुमार विश्वास के मन में इतनी गहराई से बैठ गई कि आज भी वे अयोध्या और वृंदावन (Ayodhya and Vrindavan) जैसे पवित्र धाम में उसी भावना के साथ चलते हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक धार्मिक नियम नहीं, बल्कि Spiritual Discipline है।
भक्ति और समर्पण का प्रतीक है नंगे पांव चलना
कुमार विश्वास के मुताबिक, नंगे पांव चलना भगवान के प्रति उनके समर्पण का एक रूप है। वे इसे प्रभु के चरणों का स्पर्श मानते हैं। उनका कहना है कि जब वे धरती को नंगे पांव छूते हैं, तो उन्हें भीतर से पवित्रता और असीम आनंद का अनुभव होता है। यही वजह है कि वे अयोध्या में रामलला के दर्शन के दौरान या Ayodhya Pran Pratishtha Ceremony जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में भी नंगे पांव ही रहते हैं। यह उनकी Deep Devotion को दर्शाता है।
आस्था, परंपरा और आधुनिक दौर
आज के आधुनिक दौर में जहां लोग सुविधा को प्राथमिकता देते हैं, वहीं कुमार विश्वास की यह आदत लोगों को सोचने पर मजबूर करती है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह आस्था और संस्कारों से जुड़े रहने का उदाहरण है। सोशल मीडिया पर भी उनकी यह तस्वीरें खूब वायरल होती हैं और लोग इसे Ayodhya devotion, Ram Bhakti और सादगी से जोड़कर देखते हैं। कुल मिलाकर, अयोध्या में कुमार विश्वास का नंगे पांव रहना कोई दिखावा नहीं, बल्कि बचपन से मिली सीख, मां के संस्कार और भगवान राम के प्रति गहरी आस्था का प्रतीक है। यही वजह है कि लोग उन्हें सिर्फ एक कवि ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और आस्थावान व्यक्ति के रूप में भी देखते हैं।
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